Mundan Muhurat 2025: मुंडन का मुहूर्त कब-कब है 2025 में, जानिए सही तारीख की पूरी डिटेल्स
Mundan Muhurat 2025 in Hindi :2025 में कब कब होगा मुंडन संस्कार का मुहूर्त यहां जानिए पूरी डिटेल्स
Mundan Muhurat 2025 in Hindi : मुंडन संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। यह बच्चों के जीवन में एक शुभ शुरुआत के प्रतीक के रूप में किया जाता है। मुंडन का धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है।मान्यता है कि जन्म के समय शिशु के बाल पिछले जन्म के संस्कारों का प्रतीक होते हैं। मुंडन संस्कार इन अशुद्धियों को हटाने और शुद्धता प्राप्त करने के लिए किया जाता है, यह संस्कार बच्चे के लंबे, स्वस्थ और मजबूत बालों के लिए भी शुभ माना जाता है।
मुंडन मुहूर्त 2025
दिनांक आरंभ काल समाप्ति काल
गुरुवार, 30 जनवरी 16:13:08 31:10:41
शुक्रवार, 31 जनवरी 07:10:10 28:15:09
शुक्रवार, 07 फरवरी 18:41:02 31:06:01
सोमवार, 10 फरवरी 07:03:55 19:00:14
सोमवार, 17 फरवरी 06:58:20 28:56:47
बुधवार, 26 फरवरी 06:49:56 11:11:31
सोमवार, 03 मार्च 18:04:34 28:30:29
सोमवार, 17 मार्च 06:29:18 19:36:19
शुक्रवार, 21 मार्च 06:24:41 25:46:15
गुरुवार, 27 मार्च 06:17:42 23:06:16
सोमवार, 31 मार्च 06:13:05 13:45:48
सोमवार, 14 अप्रैल 08:27:45 24:13:56
गुरुवार, 17 अप्रैल 15:26:27 29:54:14
बुधवार, 23 अप्रैल 05:48:11 29:48:11
गुरुवार, 24 अप्रैल 05:47:12 10:50:29
बुधवार, 14 मई 11:47:24 29:31:14
गुरुवार, 15 मई 05:30:37 14:08:04
सोमवार, 19 मई 06:14:48 29:28:25
बुधवार, 28 मई 05:24:42 24:30:22
शुक्रवार, 06 जून 06:34:16 28:50:34
बुधवार, 11 जून 05:22:34 13:15:52
सोमवार, 16 जून 05:22:50 15:34:43
गुरुवार, 26 जून 13:27:29 29:24:52
शुक्रवार, 27 जून 05:25:09 29:25:09
शुक्रवार, 04 जुलाई 16:33:43 29:27:40
मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त
मुंडन के लिए शुभ मुहूर्त का चयन हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर किया जाता है। यह कार्य किसी शुभ तिथि, नक्षत्र, और दिन को ध्यान में रखकर किया जाता है। मुंडन के लिए सामान्यत: चौथे महीने, आठवें महीने या फिर पहले, तीसरे और पांचवें वर्ष को उपयुक्त माना जाता है।
मुंडन मुहूर्त के दौरान ध्यान देने योग्य बातें:
तिथि और दिन:मुंडन संस्कार के लिए अक्षय तृतीया, विजयदशमी, रामनवमी, या अन्य शुभ दिन चुने जाते हैं।
नक्षत्र:श्रवण, पुष्य, मृगशिरा, रेवती, अश्विनी आदि नक्षत्रों को शुभ माना जाता है।
वार:सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार को शुभ माना जाता है।
संस्कार स्थान:यह कार्य किसी पवित्र स्थान जैसे तीर्थस्थल, नदी किनारे, मंदिर, या घर में किया जा सकता है।