Pitru Shradh 2024: पिंडदान-तर्पण में कुश का महत्व क्या है, जानते है पितृ पक्ष के नियम
Pitru Shradh Ke Niyam: आने वाले 15 दिनों का समय पूर्वजों का धरती पर आने का है। इस दौरान पूर्वजो की सेवा तर्पण और दान है। जानते है पितृ पक्ष में कुश का महत्व और नियम...
Pitru Paksha 2024 : पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा 17 सितंबर से शुरु होने वाला है। हिंदू धर्म में पूर्वजों को सम्मान के लिए पितृपक्ष में तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा है। इस बार पितृ पक्ष 2024 की शुरुआत भाद्रपद पूर्णिमा यानी कि 17 सितंबर 2024 से हो रही है। शास्त्रों के अनुसार पिंडदान करने के नियम है। मान्यता है कि विधि पूर्वक से पितरों को तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद। पिंडदान और तर्पण में कुश का बहुत महत्व है।
पितृपक्ष में कुशा का महत्व
कुशा धारण करना-श्राद्ध के समय कुशा कोअनामिका उंगली में पहना जाता है। इसे पवित्री भी कहते हैं। कुशा को पहनने से व्यक्ति पवित्र हो जाता है और श्राद्ध कर्म और तर्पण की प्रक्रिया को आसानी से पूरा कर सकता है।
कुश से तर्पण करना-तर्पण करते समय कुश के अग्रभाग से जल पितरों को दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुश के अग्रभाग में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु और मूल भाग में भगवान शंकर निवास करते हैं।
कुशा से जल छिड़कना-पूजा-पाठ के दौरान जगह पवित्र करने के लिए कुशा से जल छिड़का जाता है।
कुशा का महत्व
कुशा को उशीर भी कहते है। भगवान राम ने लंका जाने का मार्ग इसी की आसनी पर बैठकर मांगा था। ऋषि-मुनि तो इसी की चटाई पर सोते भी थे।मान्यता है कि इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में व्याप्त पितृ दोष से भी छुटकारा पाया जा सकता है। पितरों की पूजा के लिए दोपहर का समय होता है। वहीं पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11:30 से 12:30 बजे तक बताया जाता है।
पितृ पक्ष में दान
ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष के दौरान किए गए अनुष्ठानों से दिवंगत आत्माओं को शांति मिलती है और वे बदले में उस व्यक्ति और उसके परिवार को आशीर्वाद देते हैं जो ये अनुष्ठान करते हैं। इन पारंपरिक अनुष्ठानों के साथ-साथ इस अवधि के दौरान भोजन के रूप में दान देना भी पुण्य का काम माना जाता है। पितृपक्ष के दौरान काले तिल का दान मुख्य रूप से करना चाहिए। सफेद तिल का दान भी शुभ है, लेकिन काले तिल श्रेष्ठ माने जाते हैं।
पितृ पक्ष में इन कार्यों से बचें
पितृ पक्ष के दौरान तामसिक भोजन के सेवन से परहेज करना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान नए व्यापार, महत्वपूर्ण निर्णय या महत्वपूर्ण काम शुरू करने से बचना चाहिए।
पितृ पक्ष के दौरान विवाह, यज्ञ, या अन्य बड़े उत्सव जैसे शुभ कार्य नहीं करने चाहिए, क्योंकि यह समय इन कार्यों के लिए नहीं माना जाता है।
पितृपक्ष में श्राद्ध की दिशा और समय
पितृपक्ष में साफ-सफाई के लिए रोजाना सुबह के समय मुख्य द्वार पर जल चढ़ाना चाहिए, इससे पितृ प्रसन्न होते हैं।
पितृपक्ष में पितरों की तस्वीर लगाते समय जगह का ध्यान रखें। कभी भी बेडरूम, पूजा घर और रसोई जैसी जगहों पितरों की तस्वीर नहीं लगाना चाहिए।
पितृ पक्ष में धन की तिजोरी को घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना चाहिए। इस दिशा में ही पितरों का वास होता है, ऐसे में वे प्रसन्न होकर आपको सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।