Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है, जानिए क्या हैं इसके नियम और पूजन विधि

Putrada Ekadashi 2024: आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है और इसे करने की विधि क्या है और नियम किस प्रकार हैं।

Update: 2024-01-19 05:02 GMT

Putrada Ekadashi 2024 (Image Credit-Social Media)

Putrada Ekadashi 2024: पुत्रदा एकादशी का व्रत इस साल 21 जनवरी, 2024 रविवार को रखा जायेगा। आज हम आपको इस व्रत का महत्त्व और इसे क्यों रखा जाता है बताने जा रहे हैं। साथ ही इस व्रत को कैसे धारण करना चाहिए और इसकी पूजन विधि क्या है इसके बारे में आइये विस्तार से जानते हैं।

पुत्रदा एकादशी का व्रत के नियम और पूजन विधि 

पुत्रदा एकादशी पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। जो इस साल 21 जनवरी, 2024 रविवार को पड़ रही है। आपको बता दें कि पूरे साल में पुत्रदा एकादशी का व्रत दो बार पड़ता है। जहाँ पहला पौष माह में होता है वहीँ दूसरा सावन के महीने में किया जाता है।

इस व्रत को अक्सर महिलाएं या विवाहित जोड़े रखते हैं। दरअसल इस व्रत को पति-पत्नी संतान प्राप्ति की चाह में करते हैं इस व्रत को भगवान् विष्णु के लिए रखा जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

जो इस व्रत का पालन करता है भगवान् विष्णु उससे प्रसन्न होकर सुख, समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। साथ ही जब आप इस व्रत के नियमों के साथ इसका पालन करते हैं तो संतान सुख की प्राप्ति भी होती है।

पुत्रदा एकादशी का व्रत न सिर्फ संतान प्राप्ति के लिए बल्कि संतान की समस्याओं के समाधान के लिए भी रखा जाता है। इसलिए अगर आप इस व्रत को करने की सोच रह हैं तो इसे पूरे नियमों के साथ रखिये और उनका पालन भी करीये।

गौरतलब है कि पुत्रदा एकादशी के व्रत का पारण 22 जनवरी को किया जायेगा ऐसे में आप इस व्रत का पारण सुबह 07.14 मिनट से लेकर 9.21 मिनट के बीच कर सकते हैं। साथ ही 22 जनवरी को द्वादशी तिथि भी शाम 7.51 मिनट पर समाप्त होगी।

पुत्रदा एकादशी व्रत का पूजन का समय प्रातः 08 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। वहीँ इसके पारण का समय 22 जनवरी प्रातः 07 बजकर 14 मिनट से प्रातः 09 बजकर 21 मिनट के बीच रहेगा।

पुत्रदा एकादशी व्रत की पूजन विधि और नियम

  • इस व्रत में सुबह उठकर स्नान करें इसके बाद भगवान् के सामने व्रत करने का संकल्प लें
  • इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान विष्णु का पूजन करें और शाम को भगवान् विष्णु के समक्ष दिया प्रज्वलित करें।
  • एकादशी की सारी रात भगवान विष्णु का भजन-कीर्तन करें और अपनी किसी भी प्रकार की गयी गलती के लिए भगवान् विष्णु से क्षमा मांगें।
  • अगली सुबह भी भगवान् विष्णु का ध्यान करें व उनकी पूजा करें।
  • किसी ब्राह्मण को भोजन कराने के उपरान्त ही खुद भोजन ग्रहण करें।

इस व्रत को विधि पूर्वक करने से भगवान् विष्णु के साथ माता लक्ष्मी भी प्रसन्न होती हैं। इसके साथ धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से संतान सुख की भी प्राप्ति होती है।

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