Ram Navami Ka Havan Kab Kare:रामनवमी का हवन कब और कैसे करें, जानिए हवन करने का महत्व और मंत्र

Ram Navami Ka Havan Kab Kare: चैत्र या शारदीय नवरात्रि हो, मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा के बाद अष्टमी व नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। साथ में होता है पूजा की समाप्ति इसके लिए हवन कर देवी का आह्वान बीज मंत्रों से करते हैं।

Update: 2023-03-29 11:36 GMT
सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Ram Navami Ka Havan kab kare

रामनवमी का हवन कब करें

इस बार 30 मार्च को रामनवमी का त्योहार मनाया जायेगा। धार्मिक काम को सफल बनाने में या कहे आखिर पड़ाव हवन होता है। खासकर नवरात्रि की पूजा हवन के बिना अधूरी मानी जाती है। नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ 9 दिनों की उपासना के बाद हवन कर नवरात्रि व्रत की पूर्णाहुति की जाती है और मां दुर्गा से सुख समृद्धि की कामना करते हैँ।

नवरात्रि में हवन-पूजन का बहुत महत्व है। हवन करने से आदिशक्ति देवी मां भगवती प्रसन्न होती है। कोई भी पूजा और मंत्र का जाप हवन के बिना अपूर्ण है। किसी भी वैदिक पूजा में विधि-विधान से हवन करना जरूरी है। चैत्र या शारदीय नवरात्रि हो, मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा के बाद अष्टमी व नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। साथ में होता है पूजा की समाप्ति इसके लिए हवन कर देवी का आह्वान बीज मंत्रों से करते हैं।

चैत्र नवरात्रि में रामनवमी हवन का महत्व

नवरात्रि में हवन खासकर अष्टमी व नवमी तिथि को किया जाता है। इसी दिन कन्याओं की भी देवी रूप में पूजा की जाती है। वैसे तो सनातन धर्म में हवन हर अनुष्ठान के बाद जरूरी है, लेकिन नवरात्रि में 9 दिन हर घर में हवन होता है। धर्म ग्रंथों में हवन का बहुत महत्व है। कहा गया है कि मनुष्य यज्ञ, पितर यज्ञ, भूत यज्ञ और देव यज्ञ 4 यज्ञ है। इसमें देव यज्ञ को सबसे प्रमुख है। धरती पर मनुष्य यज्ञ , पूर्वजों के लिए पितर यज्ञ , पशु-पक्षियों के लिए भूत यज्ञ और देव यज्ञ देवताओं के लिए किया जाता है।

रामनवमी में पूजा और हवन का शुभ मुहूर्त काल

भगवान राम का जन्म नवमी को दोपहर में हुआ था इसलिए इस दिन दोपहर में पूजा का विधान है

श्रीराम जन्म का मध्याह्न समय 12.32 बजे

नवमी प्रारंभः 29 मार्च, बुधवार को रात 09 .07 मिनट से शुरू

नवमी समाप्तः 30 मार्च, गुरुवार सुबह 11. 30 मिनट

रामनवमी में पूजा और हवन का शुभ मुहूर्त - सुबह 11. 11 मिनट से दोपहर 01 . 40 मिनट तक

  • गुरु पुष्य योग- रात 10 .59 मिनट से 31 मार्च को सुबह 06. 13 मिनट तक
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 30 मार्च को सुबह 6 .6 मिनट से रात 10 .59 मिनट तक
  • अमृत सिद्धि योग- रात 10.59 मिनट से 31 मार्च को सुबह 6.13 मिनट तक
  • रवि योग- 30 मार्च को सुबह 6 .14 मिनट से 31 मार्च को सुबह 6.13 मिनट तक

रामनवमी का हवन करते समय स्वाहा का महत्व

कोई भी हवन हो उसमें हर मंत्र के उच्चारण के बाद स्वाहा बोला जाता है। इसके बिना हवन अधूरा माना जाता है।हवन के आखिर में स्वाहा बोलकर हवन कुंड में आहुति दी जाती है, ऐसा करके 'स्वाहा' देवी को प्रसन्न करते है,जो अग्नि देव की पत्नी है, जब हम हवन करते हैं तो अग्नि देवता को प्रकट कर उसमें किसी देवता का मंत्र बोलकर आखिर में स्वाहा का उच्चारण करके उस देवता तक अग्नि देव और स्वाहा देवी द्वारा सामग्री, भोग, वस्त्र इत्यादि उन तक पहुँचाते हैं।

रामनवमी हवन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री

नवमी के दिन मां दुर्गा की प्रसन्नता पाने के लिए हवन करें।इसके लिए एक सूखा नारियल या गोला, कलावा या लाल रंग का कपड़ा और हवन सामग्री के लिए एक हवन कुंड लें। इसमें आम की लकड़ी, तना और पत्ती, चंदन, अश्वगंधा, ब्राह्मी, मुलेठी की जड़, पीपल का तना और छाल, बेल, नीम, पलाश, गूलर की छाल, कपूर, तिल, चावल, लौंग, गाय का घी, गुग्गल, गोघन , इलायची, चीनी और जौ लें लें।

रामनवमी के हवन की विधि

राम नवमी के दिन प्रात: जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। शास्त्रों के अनुसार हवन के समय पति- पत्नी को साथ में बैठना चाहिए। किसी स्वच्छ स्थान पर हवन कुंड का निर्माण करें। हवन कुंड में आम के पेड़ की लकड़ी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें। हवन कुंड में सभी देवी- देवताओं के नाम की आहुति दें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कम से कम 108 बार आहुति देनी चाहिए। आप इससे अधिक आहुति भी दे सकते हैं। हवन के समाप्त होने के बाद आरती करें और भगवान को भोग लगाएं। इस दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता हैं। आप हवन के बाद कन्या पूजन भी करवा सकते हैं

रामनवमी हवन करने से इन कष्टों का निवारण

नौ दिनों तक व्रत रखने के बाद आप पूजन सामग्री के साथ देवी की मूर्ति के सामने हवन करें। वैसे तो आम की लकड़ी से हवन की जाती है, इसके अलावा हवन की सामाग्री में जौ का प्रयोग नवरात्रि के हवन में अवश्य करना चाहिए। इससे समृद्धि बढ़ती है।

अगर हवन में तिल का इस्तेमाल करते हैं तो आध्यात्मिक उत्कर्ष एवं कष्टों का शमन होता है।

हवन करते समय गुड़ का इस्तेमाल मंगल और सूर्य ग्रह को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।

हवन करते समय चीनी का इस्तेमाल चंद्रमा और शुक्र के लिए है। हवन में गाय के ही घी का का इस्तेमाल करें। घी अग्नि का मित्र और शुक्र का प्रतीक है।

सूखे हवन वाले नारियल का इस्तेमाल अंत में करते हैं। इस पर घी का लेपन करके अग्नि को समर्पित करते हैं। हवन नवरात्रि पूजा की परिपूर्णता है। माना जाता है कि इससे माता प्रसन्न होती हैं और ग्रहों को भोजन मिलता है।

रामनवमी में हवन करते समय मंत्र का जप

हवन करते हुए बीज मंत्र- ॐ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे नमः को जोर-जोर से उच्चारण करें...।

इस मंत्र से मां से सौभाग्य प्राप्ति की उपासना करें-

देहि सौभाग्य मारोग्यम देहिमें परमम सुखम, रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि। इस महामंत्र में सभी मनोकामनाएं सन्निहित हैं। श्री रामचरितमानस के किसी भी मंत्र से भी हवन कर सकते हैं। नवरात्र में ब्रह्ममुहूर्त में श्री राम रक्षा स्तोत्र में वर्णित किसी भी मंत्र से हवन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की स्तुति करें। इन नौ दिनों में सौ गुना फल की प्राप्ति होती है।

ओम गणेशाय नम: स्वाहा

ओम गौरियाय नम: स्वाहा

ओम नवग्रहाय नम: स्वाहा

ओम दुर्गाय नम: स्वाहा

ओम महाकालिकाय नम: स्वाहा

ओम हनुमते नम: स्वाहा

ओम भैरवाय नम: स्वाहा

ओम कुल देवताय नम: स्वाहा

ओम स्थान देवताय नम: स्वाहा

ओम ब्रह्माय नम: स्वाहा

ओम विष्णुवे नम: स्वाहा

ओम शिवाय नम: स्वाहा

ओम जयंती मंगलाकाली, भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवाधात्री स्वाहा

स्वधा नमस्तुति स्वाहा.

ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च: गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु स्वाहा

ओम गुरुर्ब्रह्मा, गुरुर्विष्णु, गुरुर्देवा महेश्वर: गुरु साक्षात् परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नम: स्वाहा।

ओम शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे, सर्व स्थार्ति हरे देवि नारायणी नमस्तुते।

आखिर में नारियल में कलावा या लाल कपड़ा बांध दें। उस पर पुरी, खीर, पान, सुपारी, लौंग, बतासा आदि डालकर हवन कुंड के बीच में रखें। फिर शेष हवन सामग्री पर पूर्ण आहुति मंत्र का पाठ करें।

ओम पूर्णमद: गरीबनामिद् पूर्णं पुण्यं मृदच्यते, पुण्यं निर्धनमादे निर्मनाय विस्मयते स्वाहा और उन्हें अग्नि कुंड में डाल दें।फिर मां दुर्गा की आरती करें। ऐसा करने से घर की सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।

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