क्या आपको पता है दो अलग-अलग कालों को देखा है इन धर्म ग्रंथों के इन पात्रों ने

हम सभी ने रामायण और महाभारत की कथा तो सुनी ही हैं और इनमें वर्णित पात्रों के बारे में भी जानकारी रखते हैं। लेकिन क्या जानते हैं कि ये दिनों अलग-अलग काल की घटनाए हैं कुछ पात्र ऐसे हैं जो दोनों में पाए जाते हैं। 

Update: 2019-06-10 10:56 GMT

जयपुर: हम एक युग को ठीक से देख ले, ये शायद ही संभव है।लेकिन हमारे धर्म ग्रंथों में कुछ ऐसे पात्र है जिन्होंने दो-दो काल को जिया है या ये कहे कि इनका दो कालों में वर्णन मिलता है। हिंदू धर्म में रामायण और महाभारत दोनों का विशेष महत्व हैं। इनमें बताई गई बातें जीवन को सही दिशा देती हैं और उन्नति की ओर ले जाती है। हम सभी ने रामायण और महाभारत की कथा तो सुनी ही हैं और इनमें वर्णित पात्रों के बारे में भी जानकारी रखते हैं। लेकिन क्या जानते हैं कि ये दिनों अलग-अलग काल की घटनाए हैं कुछ पात्र ऐसे हैं जो दोनों में पाए जाते हैं।

*महर्षि दुर्वासा भी एक ऐसे महापुरुष हैं जिन्होंने रामायण भी देखा और महाभारत भी। एक कथा के अनुसार दुर्वासा के शाप के कारण लक्ष्मणजी को राम जी को दिया वचन भंग करना पड़ा था। महाभारत काल में इन्होंने कुंती को संतान प्राप्ति का मंत्र दिया था।

*भगवान परशुराम ने रामायण में सीता स्वयंवर में धनुष टूटने के बाद भगवान राम को चुनौती दी थी। भगवान राम ने परशुराम जी को अपना सुदर्शन चक्र सौंपा था। द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण को परशुराम जी ने सुदर्शन चक्र वापस किया।

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*मयासुर रावण के ससुर थे। महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने जब इसके प्राण लेने चाहे तब अर्जुन ने मयासुर को जीवनदान दिलाया।

*हनुमानजी को चिंरजीवी होने का आशीर्वाद मिला हुआ है। वे कलयुग में आज भी हैं। हनुमानजी ने भगवान राम की सेना का नेतृत्व लंका विजय के लिए किया था। महाभारत के युद्ध में हनुमानजी अर्जुन के रथ पर थे और विजयी बनाने में सहयोग किया था।

*जामवंत की इच्छा थी कि भगवान से मल्लयुद्ध करें। राम जी ने इन्हें वचन दिया कि अगले अवतार में वह इस इच्छा पूर्ण करेंगे। एक बार श्रीकृष्ण एक गुफा में प्रवेश कर गए। इस गुफा में जामवंत पहले थे। जामवंत के साथ 8 दिनों तक श्रीकृष्ण युद्ध करते रहे। इसके बाद जामवंत को एहसास हुआ कि श्रीकृष्ण वास्तव में उनके प्रभु राम हैं। इसके बाद जामवंत ने अपनी पुत्री जामवंती का विवाह श्रीकृष्ण से कर दिया।

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