10 जुलाई से शुरू हो रहा है सावन, विशेष योग से पूर्ण है पूरा माह, शिव को ना करें नाराज

Update:2017-07-04 12:54 IST

लखनऊ: हिंदू धर्म में सावन माह को पवित्र माना जाता है। पुराणों के अनुसार सावन माह को भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे उपयुक्‍त समय बताया गया है। उसमें भी झारखंड स्‍थित देवघर यानि बाबा बैद्यनाथ धाम की महिमा सावन माह में सबसे ज्‍यादा होती है। 10 जुलाई से शुरू होने जा रहा सावन माह इस बार बेहद खास होगा। वजह है इस बार विशेष योग का बनना।दरअसल इस बार सावन माह में पांच सोमवार हैं। ये पवित्र माह सोमवार से ही शुरू होगा और सोमवार को ही इसका समापन (7 अगस्त) भी होगा। ये खास योग कई वर्षों के बाद ही बनता है।

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सावन का पूरा महीना ही जहां आराधना के लिए विशेष है तो वहीं 5 दिन सावन सोमवार के भी भक्तों के लिए व्रत रखने को मिलेंगे। प्रथम सावन सोमवार 10 जुलाई को, दूसरा 17 जुलाई को, तीसरा 24 जुलाई, चौथा सोमवार 31 जुलाई और 7 अगस्त को 5वां सोमवार होगा। इस दिन भाई बहन के पवित्र बंधन का त्यौहार रक्षाबंधन भी मनेगा।

यदि कोई व्यक्ति शिवजी की कृपा प्राप्त करना चाहता है तो उसे रोज शिवलिंग पर जल अर्पित करना चाहिए। विशेष रूप से सावन के हर सोमवार शिवजी का पूजन करें। इस नियम से शिवजी की कृपा प्राप्त की जा सकती है। भगवान की प्रसन्नता से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और परेशानियों दूर सकती हैं।

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सोमवार को सुबह जल्दी उठें और स्नान आदि नित्य कर्मों से निवृत्त होकर शिवजी के मंदिर जाएं। मंदिर पहुंचकर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें। इस व्रत में एक समय रात्रि में भोजन चाहिए। दिन फलाहार किया जा सकता है। साथ ही दूध का सेवन भी किया जा सकता है।

संकल्प के बाद शिवलिंग पर जल अर्पित करें। गाय का दूध अर्पित करें। इसके बाद पुष्प हार और चावल, कुमकुम, बिल्व पत्र, मिठाई आदि सामग्री चढ़ाएं।

पूजन में इस शिव मंत्र का जप करें....

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शिव मंत्र 1- ऊँ महाशिवाय सोमाय नम:।

या

शिव मंत्र 2-ऊँ नम: शिवाय।

मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग सर्वश्रेष्ठ रहता है। शिव परिवार (प्रथम पूज्य श्री गणेश, माता पार्वती, कार्तिकेय, नंदी, नाग देवता) का भी पूजन करें।

*बाबा बैद्यनाथ का धाम भगवान शिव के 12 ज्‍योतिर्लिंगों में से एक है तथा द्वादश ज्‍योतिर्लिंग स्‍तोत्र में यह पांचवें स्‍थान पर हैं। इस ज्‍योतिर्लिंग को मनोकामना लिंग भी कहा जाता है। मान्‍यता है कि यह ज्‍योतिर्लिंग राक्षसराज रावण ने कैलास पर्वत पर घोर तपस्‍या के बाद इसे वरदान - स्‍वरूप प्राप्‍त किया था।

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*बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग एकमात्र ऐसा ज्‍योतिर्लिंग है जहां शिव और शक्‍ति एक साथ विराजमान हैं। पुराणों के अनुसार सुदर्शन चक्र के प्रहार से यहीं पर मां शक्‍ति का हृदय कटकर गिरा था। बैद्यनाथ दरबार 51 शक्‍तिपीठों में से एक है।

*शिव और शक्‍ति के इस मिलन स्‍थल पर ज्‍योतिर्लिंग की स्‍थापना खुद देवताओं ने की थी। श्रावण मास में बैद्यनाथ ज्‍योतिर्लिंग का अभिषेक गंगाजल से किया जाता है। गंगाजल यहां से 105 किमी दूर सुल्‍तानगंज से लाई जाती है।

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*कहते हैं कि यहां मांगी गई मनोकामना काफी देर में, लेकिन पूरी जरूर होती है। देर से मनोकामना पूरी होने के कारण इसे दीवानी दरबार भी कहते हैं। भगवान श्रीराम और महाबली हनुमान ने भी श्रावण मास के दौरान यहां कांवर यात्रा की थी। यहां ज्‍योतिर्लिंग नीचे की ओर दबा हुआ है। शिव पुराण और पद्मपुराण के पातालखंड में इस ज्‍योतिर्लिंग की महिमा गायी गई है।

 

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