Sawan Me Kamika Ekadashi 2023: सावन की पहली कामिका एकादशी व्रत, जानिए सही तिथि मुहूर्त और महत्व

Sawan Me Kamika Ekadashi 2023 Kab Hai साल 24 एकादशियों में सावन की कामिका एकादशी का अपना महत्व है। इस एकादशी से भूत, प्रेत और डर का नाश होता है। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिलती है। साथ ही भौतिक जीवन में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।

Update:2023-05-12 21:01 IST
सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Sawan Me Kamika Ekadashi 2023 Kab Hai

कामिका एकादशी 2023 सावन में कब है

सावन माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामिका एकादशी व्रत कहते हैं। इस बार कामिका एकादशी 13 जुलाई को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की आराधना कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। हर माह के दो पक्षों की एकादशी की पूजा और उपासना करने से मुक्ति का मार्ग खुलता है। साल 24 एकादशियों में सावन की कामिका एकादशी का अपना महत्व है। इस एकादशी से भूत, प्रेत और डर का नाश होता है।

पुराणों में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिलती है। साथ ही भौतिक जीवन में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।

2023 में कामिका एकादशी व्रत का शुभ मुहूर्त (Kamika Ekadashi shubh muhurat)

इस बार कामिका एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल है। इसके बाद चौघड़िया तिथि देखकर पूजा आराधना कर सकते हैं। सावन की कामिका एकादशी के दिन श्रीविष्णु की पूजा के साथ श्रीगणेश और शिव और गंधर्व-नागों की पूजा भी विधि-विधान से करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं।

13 जुलाई दिन शनिवार को सुबह 19:46 बजे पर हो रहा है और इस तिथि का समापन अगले दिन 14 जुलाई को 18:49 पूर्वाह्न मिनट पर होगा।

  • कामिका एकादशी का आरंभ:13 जुलाई 2023 19:46 बजे
  • कामिका एकादशी का समापन: 14 जुलाई 2023 18:49 पूर्वाह्न

    हरि वसारा की समाप्ति-14 जुलाई 2023 00:24 पूर्वाह्न

    पारण का समय-05:59 अपराह्न - 08:37 अपराह्न

    ब्रह्म मुहूर्त : 04:21 AM से 05:09 AM
  • अमृत काल : 06:25 PM से 08:12 PM
  • अभिजित मुहूर्त: 12:00 से 12:54 तक
  • कामिका एकादशी पूजा-विधि(Kamika Ekadashi puja - vidhi)

कामिका एकादशी में साफ-सफाई का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह स्नान आदि काम निपटा कर सबसे पहले भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद विष्णु प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। पंचामृत में दूध, दही, घी, शहद और शक्कर शामिल है। इसके बाद पुन: पानी से स्नान कराएं। इसके बाद भगवान को गंध (अबीर, गुलाल, इत्र आदि सुगंधित वस्तु), चावल, जौ तथा फूल अर्पित करें। धूप, दीप से आरती उतारें। इसके बाद भगवान विष्णु को मक्खन-मिश्री का भोग लगाएं, साथ में तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं और अंत में क्षमा याचना करते हुए भगवान को नमस्कार करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।

कामिका एकादशी व्रत में चावल व चावल से बनी कोई भी चीज न खाएं। इस दिन बिना नमक का फलाहार करें। फलाहार भी केवल दो समय ही करें। फलाहार में तुलसी दल का अवश्य ही प्रयोग करना चाहिए। पीने के पानी में भी तुलसी दल का प्रयोग करना उचित होता है।

कामिका एकादशी महत्व (Kamika Ekadashi mahatava)

कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा, व्रत, कथा महात्मय सुनने के साथ दान-पुण्य का भी महत्व है। इस दिन पूरे समय ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण,पद्म पुराण व भागवद् के अनुसार कामिका एकादशी समस्त भय और पापों का नाश करने वाली संसार के मोह माया में डूबे हुए प्राणियों को पार लगाने वाली नाव के समान बताया गया है। इस व्रत के करने संतान सुख, अश्वमेध यज्ञ के समान फल मिलता है।

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