Shani Dev Puja Vidhi : जानिए शनिदेव की पूजा कैसे करें? और शनि की पूजा में किन बातों का रखें ध्यान, जिससे बनेंगे बिगड़े काम

Shani Dev Puja Vidhi, शनिदेव की पूजा विधि: शनिवार शनिदेव का दिन है, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि इस शनिदेव का जन्म हुआ था। शनिदेव की पूजा करके उन्हे प्रसन्न किया जा सकता है, अगर नियमों से शनिदेव को पूजा जाए तो हर दुख का निवारण होता है.जानते है शनिदेव की पूजा विधि...

Update:2023-03-11 09:43 IST

सांकेतिक तस्वीर, सौ. से सोशल मीडिया

Shani Dev Puja Vidhi

शनिदेव की पूजा विधि

धर्मानुसार शनिवार शनि देव को समर्पित है। इस दिन शनिदेव का खास तरह से पूजा करने पर व्यक्ति के सभी कष्ट दूर हो जाते है। वहीं जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चलती है वह भी खत्म हो जाती है। शनिदोष से मुक्ति के लिए मूल नक्षत्रयुक्त शनिवार से आरंभ करके सात शनिवार तक शनिदेव की पूजा करने के साथ साथ व्रत रखना चाहिए। शनिदेव को 9 ग्रहों के समूह में सबसे क्रूर मानते हैं। कहा जाता है कि अगर शनिदेव किसी पर मेहरबान हो तो वो उस व्यक्ति को धन-धान्य से परिपूर्ण कर देते हैं। ज्योतिष के अनुसार, शनिदेव एक ही राशि में करीब 30 माह तक रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं।

शनिदेव की पूजा से कष्ट निवारण

भगवान शनिदेव की पूजा आमतौर पर शनिवार के दिन की जाती है। इस दिन भगवान शनिदेव की पूजा औऱ पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है। ब्रम्हपुराण के 118 वें अध्याय में लिखा है कि शनिदेव महाराज कहते हैं कि शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करता है उनके सभी कार्य सिद्ध होंगे तथा उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होगीं और मुझसे उन्हें कोई पीड़ा नहीं होगी। ब्रह्मपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पीपल के पेड़ का दोनों हाथ से स्पर्श करते हुए ओम नम: शिवाय का जाप करें। इस मंत्र का 10 बार जप करने से दुख कठिनाई एवं ग्रहदोष का प्रभाव समाप्त हो जाता है। पद्मपुरांण के अनुसार शनिवार को पीपल के जड़ में जल चढ़ाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। तथा इस दिन पीपल के पेड़ के सामने व भगवान शनिदेव के मंदिर में उनकी मूर्ती के सामने तेल का दीपक जलाने से सभी दोष समाप्त हो जाते हैं और शनिदेव की कृपा बनी रहती है।

शनिदेव की पूजा कैसे करें? 

सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं। अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें। घर के मंदिर में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी के पूजन से पूजा प्रारंभ करें। भगवान शिव औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं। पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा दोहराकर पूजा का समापन करें। उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें। शनिवार को पूजा करते समय मंत्रों का जाप भी किया जाता है। शनिदेव के कुछ मंत्रों हैं इन विशेष मंत्रों के जाप से यश, सुख, समृद्धि, कीर्ति, पराक्रम, वैभव, सफलता और अपार धन-धान्य के साथ प्रगति के द्वार खुलते हैं। यदि किसी भी मंत्र की कम से कम 1 माला (108) बार इसका जाप करें।

बीज मंत्र-

ॐ शं शनैश्चराय नम:

शनि का वेदोक्त मंत्र-

ॐ शमाग्निभि: करच्छन्न: स्तपंत सूर्य शंवातोवा त्वरपा अपास्निधा:

श्री शनि व्यासवि‍रचित मंत्र-

ॐ नीलांजन समाभासम्। रविपुत्रम यमाग्रजम्।

छाया मार्तण्डसंभूतम। तम् नमामि शनैश्चरम्।।

शनिचर पुराणोक्त मंत्र-

सूर्यपुत्रो दीर्घेदेही विशालाक्ष: शिवप्रिय: द

मंदचार प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि:


शनि स्तोत्र-

नमस्ते कोणसंस्‍थाचं पिंगलाय नमो एक स्तुते

नमस्ते बभ्रूरूपाय कृष्णाय च नमो ए स्तुत

नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चांतकाय च

नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते सौरये विभो

नमस्ते मंदसज्ञाय शनैश्चर नमो ए स्तुते

प्रसाद कुरू देवेश दिनस्य प्रणतस्य च

कोषस्थह्म पिंगलो बभ्रूकृष्णौ रौदोए न्तको यम:

सौरी शनैश्चरो मंद: पिप्लदेन संस्तुत:

एतानि दश नामामी प्रातरुत्थाय ए पठेत्

शनैश्चरकृता पीडा न कदचित् भविष्यति

तंत्रोक्त मंत्र-

ॐ प्रां. प्रीं. प्रौ. स: शनैश्चराय नम:।

शनि की पूजा में इन बातों का रखें ध्यान

  • शनि देव की पूजा शनि की मूर्ति के समक्ष न करें। शनि के उसी मंदिर में पूजा आराधना करनी चाहिए जहां वह शिला के रूप में हों। प्रतीक रूप में शमी के या पीपल के वृक्ष की आराधना करनी चाहिए। शनि देव के समक्ष दीपक जलाना सर्वश्रेष्ठ है, परन्तु तेल उड़ेल कर बर्बाद नहीं करना चाहिए। जो लोग भी शनि देव की पूजा करना चाहते हैं , उनको अपना आचरण और व्यवहार अच्छा रखना चाहिए।
  • शनि देव की नजर अच्छे और बुरे कर्म करने वालों पर हमेशा बनी रहती है। महिलाएं जब शनि देव कुंडली में शनि दोष हो या फिर शनि की महादशा से निजात पाने के लिए उनकी आराधना कर सकती है।
  • शनि देव की पूजा करते वक्त महिलाएं गलती से शनि की मूर्ति को स्पर्श न करें।ऐसा करना आपको मुश्किल में डाल सकता है। शास्त्रों के अनुसार शनि देव की मूर्ति को छूने से महिलाओं पर शनि की नकारात्‍मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है।
  • शास्त्रों के अनुसार महिलाओं का शनि देव की मूर्ति पर तेल चढ़ाना भी वर्जित है। शनि को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक लगाएं या फिर शनि मंदिर में शनि के निमित्त दीपक लगा सकती हैं।
  • शनि की कृपा पाने के लिए महिलाएं शनि मंदिर में शनि चालीसा का पाठ करें। महिलाओं के लिए ये सबसे सरल और उत्तम फलदायी पूजा मानी जाती है।
  • शनिवार के दिन महिलाओं को शनि से संबंधित चीजें जैसे सरसों का तेल, काले कपड़े, काले जूते, लोहे का बर्तन, काली उड़द, काला तिल का दान करें. इससे शनि दोष शांत होता है. साथ ही शनि देव बेहस प्रसनन होते हैं।

शनिदेव क्रोधित देवता नहीं है जैसा कि उन्हें समझा जाता है। वह भगवान शिव द्वारा सौंपे गए अपने दायित्वों का निर्वहन कर रहे हैं। वह व्यक्ति को उसके बुरे कर्मों का फल देते हैं। शनि की गृहदशा चलने पर शनिवार के दिन विधि विधान से भगवान शनिदेव की पूजा अर्चना करें। इस दिन तिल के तेल से स्नान कर पूरे दिन उपवास रखें। तथा जरूरतमंद लोगों को काला कंबल, उड़द, तिल का तेल, काली गाय, भैंस, कपड़े, जूते आदि चीजों का दान करें। इससे जल्द ही आपके ऊपर से शनिदेव की गृहदशा टल जाती है।

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