Shree Jagannath Temple Facts: इस कारण अधूरी है भगवान जगन्नाथ जी की मूर्ति

Jagannath Temple : कहा जाता है कि भगवान जगत के स्वामी जगन्नाथ भगवान श्री विष्णु की इंद्रनील या कहें नीलमणि से बनी मूर्ति एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी। मूर्ति की भव्यता को देखकर धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपा दिया।

Update:2023-06-28 19:22 IST
Lord Jagannath Story in Hindi (social media)

Shree Jagannath Temple Facts: कहा जाता है कि भगवान जगत के स्वामी जगन्नाथ भगवान श्री विष्णु की इंद्रनील या कहें नीलमणि से बनी मूर्ति एक अगरु वृक्ष के नीचे मिली थी। मूर्ति की भव्यता को देखकर धर्म ने इसे पृथ्वी के नीचे छुपा दिया। मान्यता है कि मालवा नरेश इंद्रद्युम्न जो कि भगवान विष्णु के कड़े भक्त थे । उन्हें स्वयं श्री हरि ने सपने में दर्शन दिये और कहा कि पुरी के समुद्र तट पर तुम्हें एक दारु (लकड़ी) का लठ्ठा मिलेगा उस से मूर्ति का निर्माण कराओ। राजा जब तट पर पंहुचे तो उन्हें लकड़ी का लट्ठा मिल गया। अब उनके सामने यह प्रश्न था कि मूर्ति किनसे बनवाये। कहा जाता है कि भगवान विष्णु स्वयं श्री विश्वकर्मा के साथ एक वृद्ध मूर्तिकार के रुप में प्रकट हुए।

उन्होंनें कहा कि वे एक महीने के अंदर मूर्तियों का निर्माण कर देंगें। लेकिन उस कारीगर रूप में आये बूढे ब्राह्मण ने राजा के सामने एक शर्त रखी कि वह यह कार्य बंद कमरे में एक रात में ही करेगा और यदि कमरा खुला तो वह काम बीच में
ही छोड़कर चला जाएगा। राजा ने उस ब्राह्मण की शर्त मान ली और कमरा बाहर से बंद करवा दिया। लेकिन काम की समीक्षा करने के लिए राजा कमरे के आसपास घुमने जरुर आता था। महीने का आखिरी दिन था, कमरे से भी कई दिन से कोई आवाज़ नहीं आ रही थी, तो राजा को जिज्ञासा हुई और उनसे रहा न गया और अंदर झांककर देखने लगे और दरवाजा खुलते ही वह ब्राह्मण उस अधूरी मूर्तियों को छोड़ कर गायब हो गया।

वास्तव में वह बूढा ब्राह्मण विश्वकर्माजी थे, जो भगवान विष्णु के आग्रह पर यह जगन्नाथ मंदिर में कृष्णा, बलराम और सुभद्रा की मूर्तियाँ बनाने धरती पर आये थे। राजा को अपने कृत्य पर बहुत पश्चाताप हुआ और वृद्ध से माफी भी मांगी । लेकिन उन्होंने कहा कि यही दैव की मर्जी है। तब उसी अवस्था में मूर्तियां स्थापित की गई। आज भी भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा की मूर्तियां उसी अवस्था में हैं।

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