सूर्य ग्रहणः देश में कहां कहां, कितने समय रहेगा ग्रहण, देखें यहां

सूर्यग्रहण का सूतक, स्पर्श के चार प्रहर पूर्व अर्थात 12 घण्टे पूर्व अर्थात 20 जून रात्रि 10:15 से माना जाएगा। ग्रहण सूतक प्राम्भ के पश्चात, रखे गये पके हुए भोज्य पदार्थ का इस्तेमाल बाद में भी वर्जित है।

Update:2020-06-20 15:51 IST

देवेन्द्र भट्ट (गुरू जी)

लखनऊ: अषाढ कृष्ण पक्ष अमावस्या 21 जून 2020 को भारत मे दिखने वाला कंकणाकृति खण्डग्रास सूर्यग्रहण भारतीय समयानुसार 9:15 दिन मे प्रारम्भ होकर अपराह्न 3:04 तक रहेगा। वैसे अलग अलग स्थान पर इसका स्पर्श, मध्य और मोक्ष का समय अलग होगा। जैसे—

लखनऊ— 10:27/12:12/13:59

दिल्ली— 10:20/12:02/13:48

जयपुर— 10:15/11:56/13:44

इलाहाबाद—10:28/12:14/14:01

चण्डीगढ़— 10:24/12"05/13:49

भोपाल— 10:15/11:57/13:47

रायपुर— 10:25/12:11:/13:58

पटना— 10:37/12:25/14:09

राँची—10:37/12:25/14:10

अहमदाबाद- 10:04/11:42/1332

कोलकाता— 10:46/12:36/14:17

बंगलौर— 10:13/11:48/13:32

आदि! मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि पर लगने वाला यह ग्रहण विभिन्न राशियो पर अलग अलग प्रभाव वाला होगा।

जैसे—

मेष— श्री

वृष— क्षति

मिथुन—घात

कर्क—हानि

सिंह— लाभ

कन्या— सुख

तुला— माननाश

वृश्चिक— शारीरिक कष्ट

धनु— स्त्रीपीडा

मकर— सौख्य

कुम्भ— चिन्ता

मीन— व्यथा

ध्यान रखने योग्य बातें -

ध्यान रखें कि ग्रहण का कोई भी प्रभाव दूरगामी नही होता। विशेषकर स्वास्थ पर इसका प्रभाव त्वरित होता है। शेष प्रत्येक व्यक्ति की कुण्डली की दशा/महादशा/चरदशा/चलित/गोचर आदि के साथ अलग अलग विवेचना होती है।

पकाकर रखा हुआ भोजन बाद में नहीं खाना है

सूर्यग्रहण का सूतक, स्पर्श के चार प्रहर पूर्व अर्थात 12 घण्टे पूर्व अर्थात 20 जून रात्रि 10:15 से माना जाएगा। ग्रहण सूतक प्राम्भ के पश्चात, रखे गये पके हुए भोज्य पदार्थ का इस्तेमाल बाद में भी वर्जित है। दूध, दही अन्य आवश्यक भोज्य वस्तुओं को तुलसी दल डालकर सुरक्षित कर लें।

ये भी देखें: अंबानी ने बनाया रिकॉर्ड: बड़े-बड़े धन्नासेठ हुए पीछे, एक दिन में करोड़ों का फायदा

ग्रहण के दौरान आदित्य स्त्रोत का जाप करें

21 जून को भी ग्रहण मोक्ष के पूर्व भोजन वर्जित है। परन्तु विद्वानों का मत है कि रविवार की संक्रान्ति/ सूर्यग्रहण मे पुत्रवान व्यक्ति को उपवास नही रहना चाहिए अतः फल फलहार कर लें। ग्रहण के दौरान आदित्य स्त्रोत का जाप करें। भगवान सूर्य के कष्ट को कम करने हेतु महामृत्युंजय जाप उचित है। इस उपाय से साधक का शारीरिक कष्ट निवारण होगा।

ग्रहण के मध्य स्नान दान पर अस्पृश्य जाति का अधिकार होता है एवं ग्रहण मोक्ष पर किए गये स्नान दान को योग्य ब्राह्मण को दान दें।

मा पीताम्बरा कल्याण करें

Tags:    

Similar News