250 सौ साल से पुराना है ये मंदिर
वजीरपुरा स्थित श्री सिद्ध हनुमान मंदिर का निर्माण करीब ढ़ाई सौ साल पहले हुआ था। पहले मुगल और फिर अंग्रेजी हुकूमत से हिंदू धर्म की रक्षा के लिए इस हनुमान मंदिर का निर्माण किया गया था,
मंदिर के महंत बिजेंद्र उर्फ़ कल्लो गुरू के अनुसार मंदिर का इतिहास राणा प्रताप के जन्म से भी पहले का है और सिर्फ उनके परिवार की 5 पीढ़िया इस मंदिर की सेवा में समय बिता चुकी हैं। पहले यहां अखाड़ा था जिसमे शारीरिक शौष्ठव और मल्ल युद्ध कला सीखने के साथ क्रान्तिकारियों का भी ठिकाना होता था।आजादी के बाद साल 1950 के बाद से यहां अखाड़ा खत्म हो गया।
सिर्फ हनुमान जयंती पर खुलते है कपाट
मंदिर के कपाट बंद रहने के पीछे महंत कल्लो गुरू का कहना है की दुनिया में इतना पाप है की लोग इनके पास आने में समर्थ नहीं है। इसी सोच के लिए सिर्फ हनुमान जयंती पर ही मंदिर परिसर में सबको प्रवेश है अन्य दिनों में बाहर से ही दर्शन किए जा सकते हैं।
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गहरी आस्था
मान्यता है कि एक बार जो इस मंदिर मे आता है, उसकी सारी मनोकामनाएं खुद ही पूरी हो जाती है। इस बार हनुमान जंयती पर 12 साल बाद विशेष संयोग बन रहा है। चंद्र ग्रहण मुक्त होने के साथ चैत्र शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शुक्रवार को होने वाली इस जंयती पर ब्रज योग भी है। सिद्ध योग और राजयोग बनने के साथ ही उधा के सूर्य, उधा के शुक्र और सिंह राशि के गुरू, चंद्र और सूर्य की परस्पर दृष्टि बन रही है। ये विशेष योग 12 साल बाद बन रहा है। लिहाजा इस दिन संकटमोचन की आराधना से सभी संकटों का नाश होगा।