भौम प्रदोष आज: भगवान शिव के साथ करें हनुमानजी का ध्यान, होगा हर कष्ट का निदान

शिवजी के चरणों पर गंगाजल अर्पित करें और भगवान को फूल-माला अर्पित करें। भगवान शिव को चंदन लगाएं। शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग पर धतूरा और भांग चढ़ाएं

Update:2021-01-26 08:35 IST
कुश के आसन पर बैठकर शिवजी  के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें। निर्धनों को भोजन कराएं। अगर ये पूजा प्रदोष काल में कर लें तो और भी उत्तम होगा।

लखनऊ: आज पौष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को भौम प्रदोष व्रत है। भौम का अर्थ होता है मंगल और मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसे भौम प्रदोष कहा जाता है। इस दिन भगवान शिव और हनुमान की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखने से कलह, आर्थिक संकट और विवाह संबंधी परेशानियां दूर हो जाती हैं।

प्रातः काल उठकर पूजा का संकल्प लें। इसके बाद ईशान कोण में शिव की स्थापना करें। शिव को पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य अर्पित करें। कुश के आसन पर बैठकर शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद अपनी समस्याओं के अंत होने की प्रार्थना करें। निर्धनों को भोजन कराएं। अगर ये पूजा प्रदोष काल में कर लें तो और भी उत्तम होगा।

ऐसे करें पूजा शिव और हनुमान जी की

शिवजी के चरणों पर गंगाजल अर्पित करें और भगवान को फूल-माला अर्पित करें। भगवान शिव को चंदन लगाएं। शिव प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का अभिषेक करें। शिवलिंग पर धतूरा और भांग चढ़ाएं। भांग-धतूरा न मिलने मौसमी फल भी चढ़ा सकते हैं। भगवान शिव को धूप, दीप और अगरबत्ती जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें।

अब भगवान शिव को भोग लगाएं।भौम प्रदोष के दिन शाम को हनुमान के सामने चमेली के तेल का दीपक जलाएं। उन्हें हलवा पूरी का भोग लगाएं। भाव सहित सुन्दरकाण्ड का पाठ करें। मंगल दोष की समाप्ति की प्रार्थना करें। हलवा पूरी का प्रसाद निर्धनों में बांट दें। मंगल दोष की पीड़ा से छुटकारा मिलेगा।

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भगवान शिव की उपासना के बाद हनुमान जी की उपासना करें। हनुमान को लाल फूलों की माला चढ़ाएं, दीपक जलाएं और गुड़ का भोग लगाएं। इस दिन ताम्बे का तिकोना टुकड़ा भी अर्पित करें। इसके बाद संकटमोचन हनुमानाष्टक का 11 बार पाठ करें। गुड़ का भोग बाटें और ग्रहण करें। तिकोने टुकड़े को गले में धारण कर लें या अपने पास रख लें ।

शुभ मुहूर्त

त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ- 25 जनवरी दिन सोमवार को देर रात 12 बजकर 24 मिनट पर। त्रयोदशी तिथि समाप्त- 26 जनवरी को देर रात 01 बजकर 11 मिनट पर। ऐसे में प्रदोष व्रत 26 जनवरी को रखा जाएगा। पूजा का समय- शाम 05:56 से रात्रि 08:35 तक रहेगा

 

ये मंत्र

कर्ज मुक्ति के लिए भौम प्रदोष की रात्रि को करें। रात्रि को हनुमान के समक्ष घी का दीपक जलाएं। इस दीपक में नौ बातियां लगाएं, हर बाती जलाएं. इसके बाद सके बाद हनुमान को उतने लड्डू अर्पित करें "हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट" का जाप करें। फइर लड्डू का भोग बांट दें ।

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व्रत कथा-

एक नगर में तीन मित्र राजकुमार, ब्राह्मण कुमार और तीसरा धनिक पुत्र रहते थे। राजकुमार और ब्राह्मण कुमार विवाहित थे, धनिक पुत्र का भी विवाह हो गया था, लेकिन गौना होना बाकी था। एक दिन तीनों मित्र स्त्रियों की चर्चा कर रहे थे। ब्राह्मण कुमार ने स्त्रियों की प्रशंसा करते हुए कहा- ‘नारीहीन घर भूतों का डेरा होता है।’ धनिक पुत्र ने यह सुना तो तुरन्त ही अपनी पत्‍नी को लाने का फैसला ले लिया। तब धनिक पुत्र के माता-पिता ने समझाया कि अभी शुक्र देवता डूबे हुए हैं, ऐसे में बहू-बेटियों को उनके घर से विदा करवा लाना शुभ नहीं माना जाता, लेकिन धनिक पुत्र ने एक नहीं सुनी और ससुराल पहुंच गया।

पिता को अपनी बेटी की विदाई

ससुराल में भी उसे मनाने की कोशिश की गई लेकिन वो नहीं माना। कन्या के माता-पिता को अपनी बेटी की विदाई करनी पड़ी। विदाई के बाद पति-पत्‍नी शहर से निकले ही थे कि बैलगाड़ी का पहिया निकल गया और बैल की टांग टूट गई। दोनों को चोट लगी लेकिन फिर भी वो चलते रहे। कुछ दूर जाने पर डाकू उनका धन लूटकर ले गए। दोनों घर पहुंचे। वहां धनिक पुत्र को सांप ने डस लिया।

उसके पिता ने वैद्य को बुलाया तो वैद्य ने बताया कि वो तीन दिन में मर जाएगा। जब ब्राह्मण कुमार को यह खबर मिली तो वो धनिक पुत्र के घर पहुंचा और उसके माता-पिता को शुक्र प्रदोष व्रत करने की सलाह दी। और कहा कि इसे पत्‍नी सहित वापस ससुराल भेज दें। धनिक ने ब्राह्मण कुमार की बात मानी और ससुराल पहुंच गया। धीरे-धीरे उसकी हालात ठीक हो गई और धन-सपंदा में कोई कमी नहीं रही।

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