संकष्टी चतुर्थी 2020: ख़ास है आज का दिन, ऐसे करें भगवान गणेश को प्रसन्न
ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा करते वक्त आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। भगवान गणेश के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और लाल गुलाब के फूलों से उन्हें समर्पित करें। बप्पा को भोग में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, का भोग लगाएं, और फूल तांबे के लौटे में जल रखें।
लखनऊ: संकष्टी चतुर्थी का व्रर्त आज यानी 3 दिसंबर को है। संकष्टी चतुर्थी प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनायी जाती है। इस दिन विघ्नहर्ता गणपति बप्पा की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की जाती हैं। संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा की सच्चे मन से पूजा करने से सभी की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत एक साल में 13 बार रखे जाते हैं।
ये हैं संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष विज्ञान के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी 3 दिसम्बर, 2020 को मनाया जा रहा है। चतुर्थी तिथि शाम के 07:26 बजे से प्रारम्भ होगा। वहीं चतुर्थी तिथि का समापन 04 दिसंबर, 2020 को रात 08:03 बजे होगा।
यह भी पढ़ें… राशिफल 3 दिसंबर: जुबान से बिगड़ेगा इन 5 राशियों का काम, जानें बाकी का हाल
संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि क्या है?
प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाने वाली संकष्टी चतुर्थी की पूजा करने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस दिन सूर्योदय से लेकर चन्द्रोदय तक व्रत रखा जाता है। इस दिन भक्तों को सुबह उठकर स्नान करके पूजा घर की साफ सफाई करना चाहिए। इस हल्के पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद आसन पर बैठकर संकल्प लें और भगवान गणेशजी की पूजा शुरू करें। पूजा स्थान पर लाल रंग का आसन बिछाकर बप्पा के मूर्ति को रखें।
बप्पा को लगाएं ये भोग
ध्यान रखें कि भगवान गणेश की पूजा करते वक्त आपका चेहरा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। भगवान गणेश के समक्ष दीप प्रज्वलित करें और लाल गुलाब के फूलों से उन्हें समर्पित करें। बप्पा को भोग में तिल के लड्डू गुड़ रोली, मोली, चावल, का भोग लगाएं, और फूल तांबे के लौटे में जल रखें। भगवान गणेश को दूर्वा (घास) बहुत ही प्रिय है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी के दिन बप्पा को दूर्वा जरूर चढ़ाएं।
यब भी पढ़ें... एक श्लोकी रामायण: जप से बदलेगी किस्मत, रहेंगे हरदम मालामाल, जानें कैसे
जानें संकष्टी चतुर्थी व्रत का क्या है महत्व
हिन्दू धर्म की परम्परा के मुताबिक, संकष्टी चतुर्थी व्रत को सभी व्रतों में सबसे श्रेष्ठ व्रत माना जाता है। भगवान गणपति को सभी देवतागणों में सेप्रथम देव माना गया है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य करने पूर्व सबसे पहले बप्पा का ही ध्यान और पूजा-अर्चना की जाती है। जैसे की गणपति भगवान को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है, इसलिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से सभी के जीवन के कष्ट और बाधाएं दूर हो जाती हैं।
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।