Yogini Ekadashi 2023 Kab H Date: योगिनी एकादशी 2023 में कब है, जानिए सही तिथि और शुभ मुहूर्त

Yogini Ekadashi 2023 Kab H Date:एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। कहते हैं कि 24 एकादशी का व्रत जो भी करता है उसके सारे कष्ट हर लेता है।वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।

Update:2023-05-11 14:35 IST
सांकेतिक तस्वीर,सौ. से सोशल मीडिया

Yogini Ekadashi-2023 Kab H Date

योगिनी एकादशी 2023 में कब है:

हर माह के दो पक्षों की एकादशी की पूजा और उपासना करने से मुक्ति का मार्ग खुलता है। 24 एकादशियों में आषाढ़ की योगिनी एकादशी का अपना महत्व है। इस साल योगिनी एकादशी व्रत 14 जून 2023 को है। इस दिन श्रीविष्णु की पूजा विधि-विधान से करने से घर परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती हैं।

पुराणों में आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी कहा गया है। इस बार योगिनी एकादशी के दिन मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्रीहरि की पूजा-उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत के पुण्य-प्रताप से पापकर्मों के पाश से मुक्ति मिलती है। साथ ही भौतिक जीवन में सकल मनोरथ सिद्ध होते हैं।विष्णु भगवान की कृपा पाने के लिए एकादशी व्रत सरल माध्यम है। एकादशी व्रत करने से भगवान विष्णु का सान्निध्य प्राप्त होता है।

योगिनी एकादशी का शुभ मुहूर्त

इस बार योगिनी एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त प्रातः काल है। इसके बाद चौघड़िया तिथि देखकर पूजा आराधना कर सकते हैं। योगिनी एकादशी की तिथि

योगिनी एकादशी का आरंभ: 13 जून 09:28 AM से

योगिनी एकादशी का समापन: 14 जून 08:48 AM

ब्रह्म मुहूर्त : 04:08 AM – 04:56 AM

अमृत काल :06:26 AM – 08:02 AM

अभिजित मुहूर्त: नहीं

14 जून को भी योगिनी एकादशी उदयातिथि

सर्वार्थसिद्धि योग -13 जून 01:32 PM - 05:44 AM जून 14
अमृतसिद्धि योग - 13 जून 01:32 PM - 05:44 AM 14 जून

अभिजीत मुहूर्त - 12:02 PM से 12:56 PM

अमृत काल - नहीं

ब्रह्म मुहूर्त - 04:10 AM से 04:58 AM

पारना: 05:23 AM से 08:10 AM

योगिनी एकादशी की पूजा-विधि

योगिनी एकादशी के दिन सुबह साफ-सफाई के बाद स्‍नान कर साफ वस्‍त्र धारण करें। उसके बाद भगवान श्रीहरि की मूर्ति स्‍थापित करें। फिर प्रभु को फूल, अक्षत, नारियल और तुलसी पत्ता अर्पित करें। फिर पीपल के पेड़ की भी पूजा करें।सबसे पहले भगवान विष्‍णु को पंचामृत से स्‍नान कराएं। साथ में भगवान विष्‍णु के मंत्र का भी जप करते रहें। उसके बाद चरणामृत को व्रती अपने और परिवार के सदस्‍यों पर छिड़कें और उसे पिएं। मान्‍यता है कि इससे शरीर के रोग दूर होते हैं और पीड़ा खत्‍म होती है। योगिनी एकादशी व्रत की कथा सुनें और अगले दिन पारण करें।

योगिनी एकादशी का मंत्र

मम सकल पापक्षयपूर्वक कुष्ठादिरोग।

निवृत्तिकामनया योगिन्येकादशीव्रतमहं करिष्ये।।

एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। कहते हैं कि 24 एकादशी का व्रत जो भी करता है उसके सारे कष्ट हर लेता है।वह जीवन में कभी भी संकटों से नहीं घिरता और उनके जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है।

योगिनी एकादशी महत्व

योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ पीपल के पेड़ की पूजा ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए वस्त्र ,चन्दन ,जनेऊ ,गंध, अक्षत ,पुष्प , धूप-दीप नैवेध,पान-सुपारी चढ़ाकर करनी चाहिए। इससे श्रीहरि की कृपा बरसती है। विष्णु पुराण,पद्म पुराण व भागवद् के अनुसार योगिनी एकादशी समस्त पापों का नाश करने वाली संसार के मोह माया में डूबे हुए प्राणियों को पार लगाने वाली नाव के समान है। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में एकादशी के महत्व को बताया है। इस व्रत को करने से गौदान और 88 हजारों ब्राह्मणों को भोजन कराने के समतुल्य फल की प्राप्ति होती है। इसका उल्लेख तीनों लोकों में है।

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