What is Flex Fuel: फ्लेक्स फ्यूल क्या है, कैसे बनता है? इसे भविष्य का ईंधन क्यों कहा जा रहा है?

What is Flex Fuel: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इन दिनों फ्लेक्स-फ्यूल (Flex Fuel) की खूब चर्चा हो रही है।

Report :  Jyotsna Singh
Update: 2023-02-08 14:33 GMT

फ्लेस फ्यूल (फोटो- सोशल मीडिया)

Flex Fuel: पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच इन दिनों फ्लेक्स-फ्यूल (Flex Fuel) की खूब चर्चा हो रही है। एक ओर सरकार जहां इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर फ्लेक्स-फ्यूल से चलने वाली गाड़ियों पर। आज पूरी दुनिया प्रदूषण जैसी गंभीर समस्या का सामना कर रही है। जिसका सबसे बड़ा कारण इस धरती पर मौजूद वाहनों की संख्या है, जो आज के समय में भारत की कुल आबादी से भी ज्यादा (लगभग 1.5 अरब) है।

यही वजह है कि दुनियाभर की सरकारें अपने देशों में भविष्य का ईंधन कहे जाने वाले फ्लेक्स फ्यूल को तेजी से अपनाने की कोशिश में जुटी हुई हैं। ताकि आने वाले समय में पर्यावरण के दुष्परिणामों से बचा जा सके या उन्हें कम किया जा सके। ब्राजील फ्लेक्स फ्यूल इंजनों का इस्तेमाल करने वाला सबसे बड़ा देश है।

भारत में इस प्रोजेक्ट पर तेज़ी से काम चल रहा है। इसका निर्माण शुरू कर फ्लेक्स फ्यूल के इस्तेमाल के लिए ऐसी गाड़ियां बाजार में उपलब्ध कराई जा रहीं हैं जो फ्लेक्स इंजन (Flex Engine) पर चलने वाली हों।

ऐसी गाड़ियां दुनिया के कई हिस्सों में बनती और चलती हैं। इनमें फ्लेक्स फ्यूल इंजन लगे होते हैं। फ्लेक्स फ्यूल इंजन एक तरह से इंटरनल कंबस्शन इंजन ही होता है जो एक से ज्यादा तरह के ईंधन से चल सकता है और आप चाहें तो इसे मिक्स फ्यूल पर भी चला सकते हैं। आइए जानते विस्तार से जानकारी-

फ्लेक्स फ्यूल क्या है, कैसे बनता है? इसे भविष्य का ईंधन क्यों कहा जा रहा है?

फ्लेक्स-फ्यूल ईंधन पर चलने वाली कारें भारत के लिए नई हो सकती हैं। लेकिन दुनिया के कई देशों (जैसे अमेरिका, यूरोप ब्राजील, चीन) में ये कारें पहले से चलन में हैं।

Flex Fuel यानि की Flexible fuel, दो ईंधन को मिलाकर तैयार किये गए फ्यूल को फ्लेक्स फ्यूल कहते हैं। जैसे- पेट्रोल में एथेनॉल या मेथेनॉल मिलाने पर जो मिश्रण तैयार होगा, उसे फ्लेक्स फ्यूल कहा जायेगा।

एथेनॉल क्या है?

एथेनॉल एक एल्कोहल बेस्ड फ्यूल है, जो मुख्य रूप से गन्ने से बनाया जाता है। लेकिन इसे ऐसे खाद्य पदार्थों से भी बनाया जा सकता है जिनमें स्टार्च मौजूद होता है। जैसे मक्का, सड़े आलू, कसावा और सड़ी हुई सब्जियों से भी तैयार किया जा सकता है।

फ्लेक्स-फ्यूल के प्रकार

E-5 यानि पांच प्रतिशत एथेनॉल और 95 प्रतिशत पेट्रोल

E-10 यानि 10 प्रतिशत एथेनॉल और 90 प्रतिशत पेट्रोल

E-20 यानि 20 प्रतिशत एथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल

E-85 यानि 85 प्रतिशत एथेनॉल और 15 प्रतिशत पेट्रोल

फ्लेक्स-फ्यूल और बाई-फ्यूल वाहन में अंतर

फ्लेक्स फ्यूल अपने आप में दो फ्यूल का मिश्रण होता है, इसलिए ये वाहन में मौजूद एक ही फ्यूल टैंक में भरा जा सकता है। जबकि बाई-फ्यूल वाहन ऐसा वाहन होता है जो दो अलग-अलग ईंधन पर चलने में सक्षम हो। जैसे- पेट्रोल+सीएनजी कार, जो दो ईंधन पर तो चल सकती है । लेकिन इसके दोनों ईंधन को एक साथ मिक्स नहीं किया जा सकता है। बाई-फ्यूल वाहन में एक ईंधन से दूसरे ईंधन पर स्विच किया जा सकता है, जबकि फ्लेक्स-फ्यूल के लिए अलग तरह के इंजन की जरुरत पड़ती है। जिसे पूरी तरह पेट्रोल, एथेनॉल या दोनों के मिश्रण यानि फ्लेक्स-फ्यूल के प्रयोग से भी चला सकते हैं।

भविष्य का ईंधन

फ्लेक्स को भविष्य का ईंधन कहे जाने के दो मुख्य कारण हैं।पहला, इससे अन्य ईंधन की तुलना में 35 प्रतिशत कम कार्बन मोनो-ऑक्साइड निकलता है। दूसरा, ये अन्य ईंधन की तुलना में किफायती भी है।

भारत में हो चुकी है शुरुआत

अक्टूबर, 2022 में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने हरी झंडी दिखा कर देश की पहली फ्लेक्स फ्यूल कार की शुरुआत कर दी थी। जो टोयोटा द्वारा तैयार की गयी कोरोला अल्टिस हाइब्रिड कार थी। जिसके बाद जनवरी 2023 में देश में हुए ऑटो में एक्सपो में मारुति सुजुकी भी अपने फ्लेक्स-फ्यूल मॉडल के रूप में वैगन-आर कार पेश कर चुकी है।

किन देशों में पहले मौजूद हैं फ्लेक्स-फ्यूल कारें

फ्लेक्स-फ्यूल ईंधन पर चलने वाली कारें भारत के लिए नई हो सकती हैं, लेकिन दुनिया के कई देशों (जैसे अमेरिका, यूरोप ब्राजील, चीन) में ये कारें पहले से चलन में हैं। 

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