India New EV Policy: सरकार की नई EV नीति में आयात शुल्क को घटाकर 15% करने का प्रस्ताव, भारतीय ऑटो सेक्टर के लिए वरदान या नुकसान?

India New EV Policy Slash Import Duties from 110 to 15 Percent Know Its Positive And Negative Impact On Auto Sector;

Update:2025-02-28 07:00 IST

New EV Policy (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

India’s New EV Policy: सरकार की नई EV नीति, जिसमें आयात शुल्क को 110% से घटाकर 15% करने का प्रस्ताव है, भारतीय ऑटोमोबाइल कंपनियों (Indian Automobile Companies) के लिए मिश्रित प्रभाव डाल सकती है। यह प्रभाव सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रूपों में देखा जा सकता है। इस फैसले से भारतीय ऑटोमेकर कंपनियों पर संभावित नकारात्मक प्रभाव पड़ता हुआ देखा जा सकता है। विशेषज्ञों द्वारा इस बारे में दी गई

जानकारी के मुताबिक, टेस्ला, बीवाईडी (BYD), मर्सिडीज और अन्य विदेशी कंपनियों के प्रवेश से भारतीय कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। टाटा मोटर्स, महिंद्रा और एमजी मोटर्स जैसी कंपनियां, जो EV बाजार में पहले से मजबूत हैं, उन्हें अपनी रणनीतियों में बदलाव करने की जरूरत होगी।

भारतीय कंपनियों की बिक्री पर पड़ेगा असर

यदि टेस्ला और अन्य विदेशी कंपनियां प्रतिस्पर्धी मूल्य पर अपने EV लॉन्च करती हैं, तो भारतीय कंपनियों की बिक्री पर असर पड़ सकता है। उदाहरण के लिए, Tata Nexon EV और Mahindra XUV400 जैसी गाड़ियां जिनकी बाजार में मजबूत पकड़ है, वे नई प्रतिस्पर्धा से प्रभावित हो सकती हैं। विदेशी कंपनियों को टक्कर देने के लिए भारतीय ऑटोमेकर कंपनियों को अधिक निवेश करना पड़ेगा। बैटरी तकनीक, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और उत्पादन क्षमता में सुधार करने के लिए टाटा, महिंद्रा, और ओला जैसी कंपनियों को अतिरिक्त पूंजी खर्च करनी पड़ सकती है।

एक अन्य प्रभाव ये भी पड़ सकता है कि वर्तमान में, टाटा मोटर्स और महिंद्रा का EV मार्केट में दबदबा है, लेकिन विदेशी ब्रांड्स के प्रवेश से इनका मार्केट शेयर कम हो सकता है।

BYD और Hyundai जैसी कंपनियां पहले से ही भारतीय बाजार में EV लॉन्च कर रही हैं, जिससे घरेलू कंपनियों के लिए खतरा बढ़ रहा है। इस नीति का मुख्य उद्देश्य देश में EV विनिर्माण को प्रोत्साहित करना और विदेशी कंपनियों, विशेषकर टेस्ला जैसी अग्रणी निर्माताओं को भारतीय बाजार में प्रवेश के लिए आकर्षित करना है।

प्रस्तावित आयात शुल्क में कमी

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नई नीति के तहत, सरकार ने EV आयात शुल्क को वर्तमान 110% से घटाकर 15% करने का प्रस्ताव रखा है। यह कमी उन वाहनों पर लागू होगी जिनकी लागत, बीमा, और ढुलाई (CIF) मूल्य $35,000 से अधिक है। इस कदम का उद्देश्य विदेशी EV निर्माताओं को भारतीय बाजार में अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर पेश करने में सहायता प्रदान करना है।

निवेश और स्थानीय उत्पादन की शर्तें

आयात शुल्क में इस रियायत का लाभ उठाने के लिए, कंपनियों को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:

न्यूनतम निवेश

कंपनियों को अनुमोदन की तारीख से पांच वर्षों के भीतर EV विनिर्माण में $500 मिलियन (लगभग ₹4,150 करोड़) का निवेश करना होगा। स्थानीय मूल्य संवर्धन: तीन वर्षों के भीतर 25% स्थानीय मूल्य संवर्धन प्राप्त करना होगा, जिसे पांच वर्षों में 50% तक बढ़ाना होगा।

चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश

कंपनियां अपने कुल निवेश का केवल 5% ही चार्जिंग नेटवर्क स्थापित करने में गिन सकती हैं, जिससे मुख्य ध्यान वाहन निर्माण पर रहेगा।

भारतीय EV उद्योग पर संभावित प्रभाव

इस नीति के माध्यम से, सरकार का लक्ष्य देश में EV विनिर्माण को बढ़ावा देना और विदेशी निवेश को आकर्षित करना है। हालांकि, स्थानीय ऑटोमोबाइल निर्माताओं के बीच इस कदम को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि टेस्ला जैसी कंपनियों के आगमन से भारतीय EV बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक विकल्प मिलेंगे। दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि आयातित वाहनों की उच्च कीमतों के कारण स्थानीय निर्माताओं पर इसका सीमित प्रभाव होगा।

निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों को सलाह दी जाती है कि वे इस नई नीति के विकास पर नज़र रखें, क्योंकि यह भारतीय EV बाजार की दिशा और गतिशीलता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है।

भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को संभावित लाभ

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

टेस्ला और अन्य विदेशी कंपनियों के आने से भारतीय कंपनियों को तकनीकी रूप से उन्नत बनने की प्रेरणा मिलेगी। घरेलू कंपनियां नई बैटरी टेक्नोलॉजी, स्वायत्त ड्राइविंग और बेहतर रेंज वाले मॉडल पर ध्यान केंद्रित करेंगी।

EV सेगमेंट का तेजी से विकास की संभावना के साथ जब बड़ी विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार में आएंगी, तो EV उद्योग को बढ़ावा मिलेगा और अधिक उपभोक्ता EV खरीदने के लिए प्रेरित होंगे। इसका लाभ भारतीय कंपनियों को भी मिलेगा क्योंकि पूरा सेक्टर तेजी से बढ़ेगा। इसके अलावा EV कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग में उछाल आने की भी उम्मीद की जा रही है।

विदेशी कंपनियों को सरकार ने स्थानीय विनिर्माण (Local Manufacturing) की शर्तें दी हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को EV कंपोनेंट सप्लाई का फायदा मिलेगा। टाटा, महिंद्रा, और बजाज जैसी कंपनियां EV पार्ट्स और बैटरियों के निर्माण में अधिक निवेश कर सकती हैं।

15 फीसदी आयात शुल्क में कटौती से चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ेगा विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए प्रेरित करने से चार्जिंग नेटवर्क का विस्तार होगा। इससे ओला इलेक्ट्रिक, टाटा पावर और अन्य कंपनियों को चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना में नए अवसर मिल सकते हैं।

भारतीय कंपनियों की प्रतिक्रिया और रणनीति

कीमतों को प्रतिस्पर्धी बनाने की प्रक्रिया के साथ भारतीय कंपनियां EV की लागत को कम करने और अधिक किफायती मॉडल लॉन्च करने पर ध्यान देने की दिशा में अग्रसर होंगी। टाटा मोटर्स पहले ही Tata Tiago EV जैसी सस्ती EV लॉन्च कर चुका है, और भविष्य में अन्य भारतीय ब्रांड भी ऐसे कदम उठा सकते हैं। इस पहल से प्रीमियम EV सेगमेंट में भी तेजी आएगी। यदि टेस्ला जैसी कंपनियां भारत में आती हैं, तो भारतीय कंपनियां भी हाई-एंड EV मॉडल लॉन्च करने पर ध्यान देंगी।

महिंद्रा पहले ही अपनी Born Electric Series (BE Series) की घोषणा कर चुका है, जो 2025-26 तक लॉन्च हो सकती है। इसके अलावा लोकलाइजेशन पर जोर रहेगा।

भारतीय कंपनियां अधिक स्थानीय उत्पादन करेंगी, जिससे उन्हें लागत कम करने में मदद मिलेगी। टाटा और महिंद्रा बैटरी निर्माण में निवेश कर रहे हैं ताकि EV की लागत को नियंत्रित किया जा सके।

यह फैसला भारतीय ऑटो सेक्टर के लिए वरदान या नुकसान?

सरकार की यह नई नीति भारतीय EV उद्योग के लिए एक चुनौती भी है और एक अवसर भी।बात चुनौती की करें तो घरेलू कंपनियों को टेस्ला, BYD और अन्य विदेशी ब्रांड्स के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। वहीं इस निर्णय से मिलने वाले अवसर की लिस्ट में EV मार्केट तेजी से बढ़ेगा, जिससे भारतीय कंपनियों को भी अपने उत्पादों में सुधार और नवाचार करने का मौका मिलेगा।

भारतीय कंपनियों को अब बेहतर टेक्नोलॉजी, किफायती कीमतें और मजबूत चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर ध्यान देना होगा, ताकि वे इस प्रतिस्पर्धा में अपनी स्थिति बनाए रख सकें।

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