Adani Case : जगन रेड्डी की पार्टी ने दी सफाई, अडानी ग्रुप से सीधे समझौते से किया इनकार

Adani Case : वाईएसआरसीपी के केंद्रीय कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि, “राज्य सरकार ने बिजली खरीदने के लिए एसईसीआई के साथ एक समझौता किया था।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2024-11-22 15:41 IST

Adani Case : अमेरिका में गौतम अडानी और उनके सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी और रिश्वतखोरी के मामले में आंध्र प्रदेश के एक अधिकारी का भी नाम आया है जिसके बारे में आरोप लगाया गया है कि राज्य में सोलर बिजली खरीद का ठेका हासिल करने के लिए उस आला अधिकारी को 1750 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गयी थी।

ये आरोप उस समय के हैं, जब जगन रेड्डी की वाईएसआरसीपी आंध्र प्रदेश में सत्ता में थी। अब वाईएसआरसीपी के केंद्रीय कार्यालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि, “राज्य सरकार ने बिजली खरीदने के लिए एसईसीआई के साथ एक समझौता किया था। आंध्र प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों और अडानी समूह से संबंधित किसी भी अन्य संस्था के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है। इसलिए, अभियोग के आलोक में राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं।” बयान में बिजली खरीद का प्रोसेस बताया गया है और साथ में राज्य को मिलने वाला फायदा भी गिनाया गया है। एक महत्वपूर्ण बात ये है कि बयान में केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग और उससे मिली मंजूरी का भी जिक्र किया गया है। जगन की पार्टी ने सब कुछ बताया है लेकिन किसी अधिकारी की क्या भूमिका थी, इसका कोई उल्लेख नहीं किया है।

वैसे, आन्ध्र प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू या उनकी तेलुगु देशम पार्टी की तरफ से अडानी प्रकरण पर कोइ रिएक्शन नहीं आया है। जगन रेड्डी को घेरने की भी कोई कोशिश अभी तक नजर नहीं आई है।

बयान में दी पूरी सफाई

जगन की पार्टी के बयान में उस समय बिजली खरीद से संबंधित मुद्दों का विस्तार से वर्णन किया गया है। बयान में कहा गया है कि : “आंध्र प्रदेश की वितरण कम्पनियाँ कृषि क्षेत्र को प्रति वर्ष लगभग 12,500 एमयू मुफ्त बिजली की आपूर्ति करती हैं। इस मोर्चे पर, सरकार उस बिजली से संबंधित आपूर्ति की लागत की सीमा तक वितरण कंपनियों को मुआवजा देती है। आंध्र प्रदेश की पिछली सरकारों की नीतियों के कारण, राज्य बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) पर प्रभाव की परवाह किए बिना अत्यधिक टैरिफ पर बिजली खरीद समझौते किए गए थे, बिजली खरीदने की लागत लगभग 5.10 रुपये प्रति किलोवाट तक बढ़ गई थी। इससे सब्सिडी की लागत एपी सरकार पर बहुत बोझ बन रही थी।

बयान में कहा गया है - इस समस्या को कम करने के उद्देश्य से, आंध्र प्रदेश की राज्य सरकार ने 2020 में राज्य में विकसित किए जाने वाले सौर पार्कों में 10,000 मेगावाट सौर क्षमता स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इस संबंध में, एपीजीईसीएल (आंध्र प्रदेश ग्रीन एनर्जी कॉरपोरेशन लिमिटेड) द्वारा नवंबर 2020 में 6,400 मेगावाट बिजली की सौर ऊर्जा क्षमता के विकास के लिए एक निविदा जारी की गई थी, जिसमें 2.49 रुपये से 2.58 रुपये प्रति किलोवाट घंटे की सीमा में टैरिफ के साथ 24 से अधिक बोलियां प्राप्त हुईं। हालांकि, निविदा को कानूनी और नियामक मोर्चे पर कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। सरकार को बाद में एसईसीआई से 2.49 रुपये प्रति किलोवाट घंटे की सबसे कम टैरिफ पर 7,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति करने का प्रस्ताव मिला। इसके आलोक में, आंध्र प्रदेश सरकार ने एसईसीआई से 7,000 मेगावाट बिजली 2.49 रुपये प्रति किलोवाट घंटे की दर से खरीदने की व्यवस्था की।

आरोपों को ख़ारिज किया

अमेरिकी अदालत में लगे आरोपों को खारिज करते हुए बयान में कहा गया है: 7,000 मेगावाट की बिजली खरीद को एपीईआरसी (आंध्र प्रदेश विद्युत नियामक आयोग) ने 11 नवंबर, 2021 को अपने आदेश के माध्यम से मंजूरी दी थी। इसके बाद, 1 दिसंबर, 2021 को एसईसीआई और एपी डिस्कॉम के बीच बिजली बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह सीईआरसी (केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग) की मंजूरी के बाद हुआ। एसईसीआई भारत सरकार का उद्यम है। एपी डिस्कॉम और अडानी समूह से संबंधित किसी भी अन्य इकाई के बीच कोई सीधा समझौता नहीं है। इसलिए, अभियोग के आलोक में राज्य सरकार पर लगाए गए आरोप गलत हैं। बयान में यह भी कहा गया है: "...यह परियोजना राज्य के हितों के लिए बेहद अनुकूल है और इतनी सस्ती दर पर बिजली की खरीद से राज्य को प्रति वर्ष 3,700 करोड़ रुपये की बचत के साथ काफी लाभ होगा। चूंकि यह समझौता 25 साल की अवधि के लिए है, इसलिए इस समझौते के कारण राज्य को कुल लाभ बहुत अधिक होगा।"

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