स्टार्टअप वर्ल्ड (Startup World) में इन्क्यूबेशन सेंटर (Incubation Center) का जिक्र आज कल आप लोग अक्सर सुन ही रहे हैं. क्या हैं ये इन्क्यूबेशन सेंटर (Incubation Center) ?
इन्क्यूबेशन सेंटर : स्टार्टअप व्यवसाय को विकसित करने में मददगार
स्टार्टअप व्यवसाय को विकसित करने में मदद करने वाले संस्थानों को इन्क्यूबेशन सेंटर कहा जाता है. इन्क्यूबेशन सेंटर प्रारंभिक चरण (Primary Stage) में स्टार्टअप्स के लिए संजीवनी के सामान होते हैं. ये संस्थान आम तौर पर स्टार्टअप्स को व्यापारिक एवं तकनीकि सुविधाओं, सलाह, प्रारंभिक विकास निधि (Seed Funding), नेटवर्क (Network) और सम्बन्ध (Connections), सहकारी रिक्त स्थान (Co-Working Space), प्रयोगशाला की सुविधा (Labs), सलाह और सलाहकार समर्थन (Consultancy Services) जैसी सुविधाएं प्रदान करती हैं.
शुरुआती चरण के गुरु हैं इन्क्यूबेशन सेंटर
शुरुआती चरण में इनक्यूबेटर इन स्टार्टअप्स के लिए एक गुरु की भूमिका निभाता है और वो इनके लगभग सम्पूर्ण पारिस्थिक तंत्र (Eco-system) का हिस्सा होते हैं.
आईआईएमए (IIMA) के सेंटर फॉर इनोवेशन इनक्यूबेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (CIIE) के अनुसार “इन्क्यूबेशन (Incubation) को एक प्रक्रिया (Process) के रूप में देखा जाना चाहिए जो स्टार्टअप विचार (Startup Idea) को असफल (Failure) होने के हर खतरे से बचाता है तथा उन्हें सफल होने में आने वाली बाधाओं को पार करने में मदद करता है.”
स्टार्टअप नीति के तहत इन्क्यूबेशन सेंटर की भूमिका
स्टार्टअप इंडिया स्कीम में इनक्यूबेटर की महत्वपूर्ण भूमिका है. इस योजना के तहत, सरकार ने स्टार्टअप्स समर्थन (Supporting Startups) के लिए देश में 56 इन्क्यूबेटरों (Incubation Centers) को मान्यता प्रदान की गई है. ये इन्क्यूबेटर्स स्टार्टअप्स का मूल्यांकन (Evaluation) कर स्टार्टअप इंडिया स्कीम (Startup India Scheme) के तहत लाभ प्रदान करने के लिए, इनके नाम सरकार को सुझाते हैं.
कुल मिलाकर, देश में लगभग 250 मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर ( Including 56 incubators under Startup Policy) हैं और उनमें से कई को आईआईएम (IIM), आईआईटी (IIT) और केरल स्टार्टअप मिशन (Kerala Startup Mission) जैसी विशेष स्टार्टअप एजेंसियों (Startup Agencies) तथा सम्मानित शैक्षणिक संस्थानों (Educational Institutions) द्वारा प्रायोजित किया गया है.
भारत में स्टार्टअप इनक्यूबेटर (Startup Incubators in India)
सरकार की स्टार्टअप पॉलिसी में इनक्यूबेटरस की भूमिका महत्वपूर्ण है और वे स्टार्टअप्स को मान्यता (Recognition) प्रदान करने, उनके लिए दिशा निर्देश निर्माण (Building Directives) एवं वित्तीय सहयोग (Support for Funding) प्रदान करने में महती भूमिका में अदा करते हैं. ये मान्यता प्राप्त इनक्यूबेटर (Incubator) स्टार्टअप्स (Startups) को विभिन्न सहयोग प्रदान करते हैं.
अटल इन्क्यूबेशन केंद्र Atal Incubation Center
अटल इन्क्यूबेशन मिशन (Atal Incubation Mission – AIM) के माध्यम से विश्व स्तरीय (Global) सुविधाओं से युक्त अटल इन्क्यूबेशन सेंटर्स (Atal Incubation Centers) की स्थापना की जा रही है. देश भर में फैले इन सभी अटल इन्क्यूबेशन केन्द्रों (Atal Incubation Centers) पर विश्व स्तरीय (Global) भौतिक मूलभूत ढाँचे (Physical Infrastructure) के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध हैं.
अटल इन्क्यूबेशन मिशन
एआईसी (AIC) इन स्टार्टअप्स को पूंजीगत उपकरण (Capital Equipment), संचालन सुविधाएं (Operational Facilities), विशेषज्ञ परामर्शदाता (Specialized Consultancy), व्यवसाय योजना समर्थन (Business Planning Support), सीड फण्ड (Seed Fund), साझीदार तथा प्रशिक्षण (Partner and Training) आदि प्रदान करता है, जो स्टार्टअप्स (Startups) में अभिनव (Innovation) को प्रोत्साहित करने के लिए आवश्यक है. अटल इन्क्यूबेशन सेंटर (Atal Incubation Centers) की स्थापना मुख्य रूप से विनिर्माण (Manufacturing), परिवहन (Transportation), ऊर्जा (Energy), स्वास्थ्य (Health), शिक्षा (Education), कृषि (Agriculture), जल (Water) एवं स्वच्छता (Sanity) आदि क्षेत्रों को विकसित करने के लिए की गई है. व्यापार (Business) एवं तकनीकि (Technology) से जुड़ी विभिन्न संस्थाएं जैसे उच्च शैक्षणिक संस्थान (Higher Educational Institutions), अनुसंधान एवं विकास संस्थान (Research and Development Institutions), कॉर्पोरेट सेक्टर (Corporate Sector), सेबी (SEBI) के साथ पंजीकृत वैकल्पिक निवेश निधि (Registered Alternative Investment Fund), बिज़नेस एक्सेलरेटर (Business Accelerator) एवं व्यक्तिगत समूह (Individual Corporation) अटल इन्क्यूबेशन केंद्र (Atal Incubation Centers) बनाने के लिए आवेदन के पात्र हो सकते हैं.
चयनित एआईसी (AIC) अटल इन्क्यूबेशन मिशन (Atal Incubation Mission) के तहत पूंजीगत सहायता (Financial Support) तथा परिचालन व्यय (Operating Expenses) के लिए अधिकतम पांच वर्षों में 10 करोड़ रुपयों तक का अनुदान (Grant) प्राप्त कर सकते हैं.