'कांग्रेस की खराब आर्थिक नीतियों ने लोगों के सपनों को...,' उद्योगपतियों के ऋण माफी पर वित्त मंत्री ने कही ये बात
Nirmala Sitharaman: सीतारमण ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण का श्रेय लेने वालों ने देश के गरीब और मध्यम वर्ग को दशकों तक बैंकिंग से वंचित रखा, जबकि उनके नेता और सहयोगी भ्रष्टाचार की सीढ़ियां चढ़ते रहे।
Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2004-2014 तक कांग्रेस की नेतृत्व वाली यूपीए सरकार की नीतियों को लेकर कड़ा हमला बोला है। निर्मला सीतारमण ने अपने आधिकारिक एक्स पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने के यूपीए सरकार की नीतियों की विफलताओं का उजागर किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के समय खराब ऋण संकट ने करोड़ों महत्वाकांक्षी भारतीयों की ऋण आवश्यकताओं और सपनों को दबा दिया, जो स्टार्ट-अप स्थापित करना और छोटे व्यवसायों का विस्तार करना चाहते थे। इस सरकार ने वंशवाद और साथियों का समर्थन किया। वजह से भारतीयों के एक बड़े हिस्से को मझधार में छोड़ दिया।
कांग्रेस ने दशकों तक गरीबों को बैंकिंग से वंचित रखा
वित्त मंत्री ने शुक्रवार को यूपीए सरकार की विफलताओं पर एक्स पर लगातार चार पोस्ट लिखा। सीतारमण ने कहा कि बैंकों के राष्ट्रीयकरण का श्रेय लेने वालों ने देश के गरीब और मध्यम वर्ग को दशकों तक बैंकिंग से वंचित रखा, जबकि उनके नेता और सहयोगी भ्रष्टाचार की सीढ़ियां चढ़ते रहे। मोदी सरकार ने व्यापक और दीर्घकालिक सुधार किए। कांग्रेस सरकार ने बैंकों में राजनीतिक हस्तक्षेप को पेशेवर ईमानदारी और स्वतंत्रता से बदल दिया था। हमारी सरकार ने 2015 में बड़े मूल्य के बैंक धोखाधड़ी से संबंधित समय पर पता लगाने और जांच के लिए एक रूपरेखा जारी की। मोदी सरकार में बैंकों से लिए गए लोन की वसूली तेज करने के लिए दिवाला और दिवालियापन संहिता (IBC) और भगोड़े आर्थिक अपराधियों की संपत्ति जब्त करने के लिए साल 2018 में भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम बनाया गया। 250 करोड़ रुपये से अधिक के ऋणों की प्रभावी निगरानी के लिए विशेष निगरानी एजेंसियों को तैनात किया गया।
उद्योगपतियों के ऋण माफी पर वित्त मंत्री का जवाब
कुछ उद्योगपतियों को मोदी सरकार में ऋण माफी करने वाले कांग्रेस के दावा पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि विपक्ष झूठ फैलाने का आदी है। वह गलत दावा कर रहा है कि उद्योगपतियों को दिए गए ऋणों की "माफी" हुई है। वित्त और अर्थव्यवस्था के विशेषज्ञ होने का दावा करने के बावजूद यह अफ़सोस की बात है कि विपक्षी नेता अभी भी राइट-ऑफ़ और माफ़ी के बीच अंतर करने में असमर्थ हैं। RBI के दिशा-निर्देशों के अनुसार 'राइट-ऑफ़' के बाद बैंक सक्रिय रूप से खराब ऋणों की वसूली करते हैं और किसी भी उद्योगपति के ऋणों की माफ़ी नहीं हुई है। 2014 से 2023 के बीच, बैंकों ने खराब ऋणों से 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वसूली की। उन्होंने आंकड़े पेश किए कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने लगभग 1,105 बैंक धोखाधड़ी मामलों की जाँच की है, जिसके परिणामस्वरूप 64,920 करोड़ रुपये की अपराध आय जब्त की गई है। दिसंबर 2023 तक, 15,183 करोड़ रुपये की संपत्ति सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों को वापस कर दी गई है।
उन्होंने आश्वासन दिया कि "खराब ऋणों की वसूली में कोई ढील नहीं बरती गई है, खासकर बड़े डिफॉल्टरों से। यह प्रक्रिया जारी है। वित्त मंत्री ने कहा कि एनपीए संकट के बीज कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए काल में 'फोन बैंकिंग' के माध्यम से बोए गए थे। यूपीए नेताओं और पार्टी पदाधिकारियों के दबाव में अयोग्य व्यवसायों को ऋण दिए गए। बैंकों से ऋण प्राप्त करना अक्सर एक ठोस व्यावसायिक प्रस्ताव के बजाय शक्तिशाली संबंधों पर निर्भर करता था। इससे गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) और संस्थागत भ्रष्टाचार में भारी वृद्धि हुई।
बढ़ा सरकारी बैंकों का शुद्ध लाभ
उन्होंने कहा कि ट्विन बैलेंस शीट समस्या' से हटकर अब हमारे पास 'ट्विन बैलेंस शीट एडवांटेज' है। 2023-24 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 1.41 लाख करोड़ रुपये का अब तक का सबसे अधिक कुल शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो 2014 में 36,270 करोड़ रुपये से लगभग चार गुना अधिक है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध एनपीए मार्च 2024 में घटकर 0.76 प्रतिशत रह गया, जो मार्च 2015 में 3.92 प्रतिशत था और मार्च 2018 में 7.97 प्रतिशत के शिखर पर था। उनका सकल एनपीए अनुपात मार्च 2024 में घटकर 3.47 प्रतिशत रह गया, जो 2015 में 4.97 प्रतिशत था और मार्च 2018 में 14.58 प्रतिशत के शिखर पर था।