Coronavirus Business Impact: चिप की गंभीर कमी, कार से मोबाइल तक का प्रोडक्शन ठप

Coronavirus Business Impact: कोरोना महामारी आने के बाद से इलेक्ट्रॉनिक चिप की सप्लाई लगातार घटती जा रही है और अब स्थिति ये हो गयी है कि कार समेत कई उत्पादन इकाईयां बंद होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं।

Written By :  Neel Mani Lal
Published By :  Ashiki
Update:2021-08-08 16:04 IST

इलेक्ट्रॉनिक चिप (Photo- Social Media)

Coronavirus Business Impact: कोरोना महामारी आने के बाद से सेमीकंडक्टर यानी इलेक्ट्रोनिक चिप की सप्लाई लगातार घटती जा रही है और अब स्थिति ये हो गयी है कि कार समेत कई उत्पादन इकाईयां बंद होने की कगार पर पहुँच चुकी हैं। मिसाल के तौर पर अमेरिका की जनरल मोटर्स ने अपने पिकअप ट्रक का उत्पादन फिर रोकने की घोषणा की है। इसके पहले पिछले महीने भी कंपनी का प्लांट बंद किया गया था।

एप्पल के सीईओ टिम कुक ने भी कहा है कि सेमीकंडक्टरों की सीमित सप्लाई से आईफोन का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और बिक्री पर असर पड़ा है। माइक्रोसॉफ्ट को अपने गेमिंग कंसोल एक्सबॉक्स और सरफेस लैपटॉप के निर्माण में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दुकानों तक इनकी सप्लाई नहीं पहुँच पा रही है। टेस्ला के सीईओ एलोन मस्क ने कहा है सेमीकंडक्टर की कमी के चलते उनकी कंपनी बैटरियों का उत्पादन आधा करने को मजबूर है। तोशिबा, टोयोटा, एसर, एचपी जैसी हर कंपनी चिप की कमी से प्रभावित है। जुलाई में फोर्ड मोटर्स ने बताया था कि दूसरी तिमाही में कंपनी का मुनाफ़ा 50 फीसदी घट गया है।


जिस तरह कम्पनियां प्रोडक्शन कम करने को मजबूर हो रही हैं उससे साफ़ है कि चिप्स की वैश्विक कमी और भी गहराती जा रही है। कंपनियों का अनुमान है कि चिप की कमी 2023 से पहले सुधरने वाली नहीं है। हालात को देखते हुए अमेरिका तो खुद ही चिप का प्रोडक्शन करने के लिए जी जान से जुटा हुआ है। संघीय सरकार ने तय किया है कि दूसरे देशों पर निर्भर रहने की बजाए अपने देश में ही प्रोडक्शन बढ़ाया जाए और इसके लिए लोकल निर्माताओं को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए सीनेट ने एन्डलेस फ्रंटियर एक्ट पारित किया है जिसके जरिये सेमीकंडक्टर निर्माण पर अरबों डॉलर खर्च किये जायेंगे। अमेरिका का इरादा सेमीकंडक्टर निर्माण में चीन को मजबूती से टक्कर देने का है। सीनेट ने सेमीकंडक्टर रिसर्च और प्रोडक्शन को बढ़ावा देने के लिए 50 अरब डॉलर रखे हैं। लेकिन अमेरिका के प्रयासों का असर सामने आने तक बरसों लग जायेंगे।

क्या है चिप की हैसियत

आकार में बेहद छोटी चिप की हैसियत बहुत बड़ी है क्योंकि इनका इस्तेमाल लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल उपकरणों में किया जाता है। कार, मोबाइल, लैपटॉप, कंप्यूटर, वाशिंग मशीन, घड़ी आदि कोई भी आइटम हो, सबमें चिप लगी होती है। देखने में बेहद छोटी सी चिप दरअसल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का दिल होती है। सेमीकंडक्टर या चिप के जरिये किसी इलेक्ट्रिकल उपकरण में बिजली सप्लाई को कंट्रोल किया जाता है। चिप में सिलिकॉन जैसे मैटेरियल का इस्तेमाल किया जाता है।

कोरोना वायरस का असर

एक अनुमान के अनुसार, कोरोना महामारी आने के बाद चिप की कमी से 169 तरह के उद्योग प्रभावित हुए हैं। जब चिप ही नहीं मिल रही तो प्रोडक्शन हो भी तो कैसे? सबसे गंभीर बात ये है कि ये संकट जल्दी दूर होने के कोई आसार नहीं हैं। सेमीकंडक्टर या चिप के मुख्य निर्माता हैं ताइवान, चीन, कोरिया आदि देश। कोरोना महामारी के चलते चिप बनाने वाले कारखाने बन्द हैं या बहुत सीमित स्टाफ के साथ थोड़ा बहुत प्रोडक्शन कर रहे हैं। इसके अलावा महामारी की वजह से माल की आवाजाही का बाधित होना भी चिप सप्लाई में कमी का कारण बना हुआ है। कोरोना के कारण वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन पढ़ाई पूरी दुनिया में चल रहा है। इसके चलते इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की डिमांड बीते एक साल में बहुत तेजी से बढ़ी है। कम प्रोडक्शन और ज्यादा डिमांड से भी बैलेंस बिगड़ गया है।


भारत में स्थिति

चिप की कमी से भारत की कम्पनियाँ भी प्रभावित हैं। महिंद्रा, सुजुकी, किया आदि तमाम ऑटोमोबाइल कम्पनियाँ ग्राहकों को कार की डिलीवरी देने के लिए महीनों का समय लगा रही हैं। मोबाइल फोन और लैपटॉप के नए मॉडल लांच नहीं किये जा रहे हैं या बहुत ही सीमित संख्या में सप्लाई की जा रही है। शिओमी ने अपने नए माडलों की सप्लाई फिलहाल स्थगित कर दी है जबकि सोनी कंपनी ने कहा है उसके प्लेस्टेशन 5 की सप्लाई अगले साल से पहले सामान्य नहीं हो पायेगी।

डुप्लीकेट माल आ गए बाजार में

सप्लाई बाधित होने से नकली चिप भी बिकने लगे हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के छोटे निर्माताओं को जालसाज द्वारा ठगे जाने की कई घटनाएँ हो चुकी हैं। अब तो कई कम्पनियाँ नकली चिप की पहचान के लिए ख़ास तरह की एक्सरे मशीनें लगाने लगी हैं जिसके कारण ऐसी मशीनों की बिक्री बढ़ गयी है। जालसाजी के अलावा चिप की चोरी की घटनाएँ भी हुईं हैं। ताइवान या चीन से भेजी गयी सप्लाई अपने गंतव्य तक पहुँच ही नहीं पा रही है।

ग्राहक भुगत रहे खामियाजा

चिप सप्लाई में कमी का खामियाजा अंततः सामान्य ग्राहक ही भुगत रहे हैं क्योंकि सामान 10 से 15 फीसदी महंगे हो गए हैं, समय से डिलीवरी नहीं मिल रही है और किसी डिवाइस की चिप खराब हो जाने पर उसकी मरम्मत भी मुश्किल हो गयी है। यही वजह है कि खासकर अमेरिका में पुराणी गाड़ियों की बिक्री काफी बढ़ गयी है। ऐसा भी देखा जा रहा है कि दस-पंद्रह साल पुरानी गाड़ियाँ भी नये के दाम पर बिक रही हैं।   

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