Cosmetics Sale in India: कॉस्मेटिक्स पर खर्च कर दिए 5 हजार करोड़ रुपये!
Cosmetics Sale in India:10 शहरों में बीते छह महीनों में भारतीयों ने कॉस्मेटिक्स यानी सौन्दर्य प्रसाधनों पर पांच हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए।
Cosmetics Sale in India: महंगाई एक तरफ और कॉस्मेटिक्स दूसरी तरफ। ये हाल है बाजार का। तो ये जान लीजिये कि भारत के सिर्फ टॉप 10 शहरों में बीते छह महीनों में भारतीयों ने कॉस्मेटिक्स यानी सौन्दर्य प्रसाधनों पर पांच हजार करोड़ रुपये खर्च कर दिए। इतने पैसों में 10 करोड़ से भी ज्यादा कॉस्मेटिक्स आइटम खरीदे गए।
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ग्लोबल अध्ययन
अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता बिजनेस ट्रेंड की स्टडी और विश्लेषण करने वाली कंपनी ‘कांतार वर्ल्डपैनल’ के सौंदर्य उद्योग अध्ययन के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारत के टॉप 10 शहरों में खरीदारों ने 10 करोड़ से अधिक व्यक्तिगत सौंदर्य प्रसाधन उत्पाद खरीदे और 5,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए। एक रिपोर्ट के अनुसार, अधिक से अधिक महिलाओं द्वारा अपनी कमाई करना है। कांतार के वर्ल्डपैनल डिवीजन के दक्षिण एशिया प्रबंध निदेशक के रामकृष्णन के अनुसार, भविष्य में इस क्षेत्र की पैठ और उपयोग में सुधार ही होने वाला है। एशिया पहले से ही दुनिया का सौंदर्य केंद्र है और दक्षिण कोरिया जैसे देश दुनिया भर में सौंदर्य रुझान स्थापित कर रहे हैं।
प्रति व्यक्ति औसतन 1214 रुपए की खरीदारी
कांतार वर्ल्डपैनल के अध्ययन में बताया गया है कि बीते 6 महीनों में एक औसत ग्राहक ने 1,214 रुपये मूल्य के रंगीन सौंदर्य प्रसाधन खरीदे और इनमें होंठ उत्पाद यानी लिपस्टिक अत्यधिक लोकप्रिय थे, जो कुल रंगीन सौंदर्य प्रसाधनों की बिक्री का 38 फीसदी था। सौंदर्य संबंधी सामानों की ऑनलाइन खरीदारी भी लोकप्रिय है और अध्ययन के अनुसार सौंदर्य संबंधी आइटमों की 40 फीसदी खरीदारी ई-कॉमर्स से हुई थी। रामकृष्णन ने कहा - तेजी से हो रहे शहरीकरण और ऑनलाइन चैनलों के प्रसार के साथ भारत कॉस्मेटिक के क्षेत्र में जबर्दस्त उछाल के शिखर पर है। जहां पहले भारतीय उपभोक्ता लिपस्टिक और काजल जैसे पारंपरिक उत्पादों को पसंद करते थे, वहीं आज प्राइमर, कंसीलर और ब्रो उत्पाद जैसे अधिक विशिष्ट सामान देश भर के घरों में लोकप्रिय हैं।
663 अरब डॉलर का होगा ग्लोबल बाजार
बाजार अनुसंधान कंपनी ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2031 तक ग्लोबल सौंदर्य प्रसाधन बाजार का मूल्य 5 फीसदी की वार्षिक वृद्धि दर के साथ 663 बिलियन डालर होने का अनुमान है। दुनिया भर में कॉस्मेटिक्स सेक्टर जो 2023 के अंत तक 451 बिलियन डालर तक पहुंचने के लिए तैयार है, जबकि पिछले वर्ष यह 432 बिलियन डालर का था।
खुद की देखभाल की इच्छा ख़ास कर महामारी और लॉकडाउन के दौरान काफी प्रबल हुई है इसके अलावा प्राकृतिक सौंदर्य उत्पादों में रुचि बढती जा रही है, लोगों में सनस्क्रीन उत्पादों का व्यापक उपयोग होने लगा है और इन्हीं सब कारणों से स्किन केयर बाजार तेजी से चल रहा है। अकेले इस बाज़ार के 2031 तक 256 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 4.6 फीसदी की औसत वार्षिक वृद्धि दर दिखा रहा है।
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एशिया प्रशांत क्षेत्र
एशिया-प्रशांत क्षेत्र ग्लोबल सौंदर्य प्रसाधन बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा रखता है। यह क्षेत्र मेकअप उत्पादों, हेयरकेयर उत्पादों और परफ्यूम्स की मजबूत डिमांड दिखाता रहा है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, जीवन स्तर में वृद्धि और नई उपभोक्ता अपेक्षाएं विशेष रूप से चीन और भारत में बाजार को आगे बढ़ाएंगी।
इस क्षेत्र में ई-कॉमर्स के भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहने की उम्मीद है। विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र पहले से ही वैश्विक ऑनलाइन बिक्री का 60 फीसदी हिस्सा है और यह आंकड़ा 2025 तक दोगुना होकर 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस चलन से सौंदर्य प्रसाधन उद्योग को भी फायदा हो रहा है। इसके अतिरिक्त, ट्रांसपेरेंसी मार्केट रिसर्च के अनुसार, इस क्षेत्र में सौंदर्य क्षेत्र में विलय और अधिग्रहण में तेजी आ सकती है।
2031 तक, यूरोप में स्थिर विकास का अनुभव होने की उम्मीद है। प्राकृतिक कॉस्मेटिक सामग्री के सबसे बड़े बाजार के रूप में, चीन वैश्विक मांग में वृद्धि से उल्लेखनीय रूप से लाभान्वित हो सकता है।
उपभोक्ता सामग्री की भी मांग बढ़ी
वर्ल्डपैनल के नवीनतम एफएमसीजी अध्ययन से पता चलता है कि फरवरी और अप्रैल के बीच भारत में उपभोक्ता सामग्री यानी एफएमसीजी में 6 फीसदी की वृद्धि हुई। शहरी क्षेत्रों में 8 फीसदी की वृद्धि ने एक रिकॉर्ड बनाया जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 4.2 फीसदी की वृद्धि हुई है। पिछले वर्षों की मंदी का एक हिस्सा हमेशा खाद्यान्न के लिए सरकार की सब्सिडी योजना के कारण आटे की खरीद में गिरावट को माना जाता था। दिसंबर 2022 में समाप्त होने के बाद से, भारतीय उपभोक्ताओं ने एक बार फिर आटा श्रेणी में खरीदारी शुरू कर दी है, जिससे मार्च और अप्रैल में क्रमशः 19 फीसदी और 37 फीसदी की वृद्धि हुई है।
एफएमसीजी खर्च लगातार बढ़ रहा
पिछले वर्ष के दौरान परिवारों ने एफएमसीजी पर औसतन 17,792 भारतीय रुपये खर्च किए और यह क्षेत्र अभी भी 8 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। अगर तेजी इसी दर से जारी रही तो उम्मीद है कि एफएमसीजी घरेलू खर्च 2025 के अंत तक 20,000 करोड़ रुपये तक पहुंच जाएगा। गैर-मुख्य खाद्य पदार्थों में फरवरी से अप्रैल 2023 तक खरीदी गई मात्रा 2019 की समान अवधि की तुलना में 51 फीसदी अधिक थी।
महामारी से पहले केवल दो श्रेणियां थीं जिनमें परिवार प्रति वर्ष एक हजार रुपये से अधिक खर्च करते थे। लेकिन बढ़ती कीमतों के कारण अब छह सौ रुपये है। खरीदार परेशानी महसूस कर रहे हैं और अपने किराने के बजट से अधिक पैसा निकालने के तरीकों की तलाश कर रहे हैं। वे विवेकाधीन खरीदारी में कटौती कर रहे हैं, अन्य श्रेणियों में कटौती कर रहे हैं, या आवश्यक वस्तुओं के लिए सस्ते ब्रांडों और प्रचारों पर स्विच कर रहे हैं।