Development in Agriculture Sector: कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं (AIF) योजना का शुभारंभ
Development in Agriculture Sector : करोड़ के महत्वाकांक्षी परिव्यय से दूरदर्शी पहल-कृषि-अवसंरचना कोष (AIF) योजना का शुभारंभ किया।
Development in Agriculture Sector : भारत के कृषि क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाएं हैं जिन्हें अपर्याप्त फार्म-गेट पोस्ट-हार्वेस्ट बुनियादी ढांचे की महत्वपूर्ण बाधाओं को दूर करने की स्थिति में महसूस किया जा सकता है। भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र के विकास और किसानों की आय को दोगुना करके उनकी समृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फार्म-गेट अवसंरचना की बाधाओं को दूर करने का लक्ष्य रखकर वर्ष 2020 में ₹1,00,000 करोड़ के महत्वाकांक्षी परिव्यय से दूरदर्शी पहल-कृषि-अवसंरचना कोष (AIF) योजना का शुभारंभ किया।भारत सरकार द्वारा इस योजना का कार्यान्वयन सफलतापूर्वक किया गया, जिसमें फार्म-गेट अवसंरचना की जरूरतों को विकसित करने के लिए जमीनी वास्तविकता के प्रति अनुकूलनीयता, लचीलापन और संवेदनशीलता में आसानी है।
इस योजना ने 55,600 से अधिक आवेदनों से 66,007 करोड़ रुपये से अधिक के फार्म-गेट अवसंरचना में प्रतिबद्ध निवेश के साथ कृषि क्षेत्र को बढ़ावा दिया है। इस योजना के अंतर्गत 23,949 करोड़ रुपये के वितरण सहित अब तक 39,306 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किया जा चुका है। इस योजना को कृषि उद्यमियों, किसानों और पैक्स (PACS) से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। सभी राज्यों ने इस योजना को अपनाया है, जिसमें 10,000 आवेदनों के साथ पंजाब सबसे आगे है, उसके बाद मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का स्थान है। कस्टम हायरिंग सेंटर, वेयरहाउस और प्राइमरी प्रोसेसिंग सेंटरों को 12,000 से अधिक आवेदकों से काफी आकर्षण मिला है।
• (PACS)-संचालन: यह मॉडल किसानों की जरूरतों को समझने और उसके अनुसार फार्म गेट अवसंरचना का निर्माण करने के लिए प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों (PACS) के व्यापक नेटवर्क का लाभ उठाता है।
•एफपीओ(FPO)-संचालन: इस मॉडल ने FPO पारिस्थितिकी तंत्र का लाभ उठाते हुए आवश्यक अवसंरचना के निर्माण में मदद की है, जिससे FPO के लिए अतिरिक्त व्यवसाय विकसित करने में भी मदद मिली।
•समूह-आधारितः यह मॉडल उन किसानों या उद्यमियों की सामूहिक शक्ति का लाभ उठाता है जिनकी भूगोल/फसल के प्रकार के आधार पर समान आवश्यकताएँ और चुनौतियाँ होती हैं। इस अवसंरचना विकास ने प्रत्येक समूह की विशिष्ट आवश्यकताओं को अधिक प्रभावी ढंग से पूरा किया।
भारत सरकार की जागरूकता और प्रचारात्मक पहल के कारण योजना का सफल कार्यान्वयन संभव हुआ। भारत सरकार ने योजना के बारे में लक्षित समूहों के बीच जागरूकता और ज्ञान पैदा करने के लिए एक बहु-आयामी रणनीति अपनाई है। योजना में भागीदारी बढ़ाने के लिए व्यापक दृष्टिकोण; प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल और सोशल मीडिया परव्यापक अभियानों के माध्यम से इसके उद्देश्यों, लाभों और पात्रता मानदंडों की तरफ किसानों, उद्यमियों एवं अन्य हितधारकों का ध्यान आकर्षित कर संभव हो पाया।
• फार्मगेट अवसंरचना का निर्माणः वर्तमान में, 55,600 से अधिक पोस्ट-हार्वेस्ट और सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों को मंजूरी दी गई है, जिनमें महत्वपूर्ण 94 प्रतिशत अवसंरचना ग्रामीण क्षेत्रों में है।
• फसल कटाई के उपरांत हुए नुकसान में कमीः11,533 से अधिक शुष्क गोदामों और 1,601 शीत भंडारण परियोजनाओं को मंजूरी देने के साथ कृषि-मूल्य श्रृंखला का विकास देखा जा रहा है। पूरी की गई परियोजनाओं ने लगभग 312 एलएमटी(LMT) भंडारण क्षमता को जोड़ा है, जिससे फसल कटाई उपरांत लगभग 11 एलएमटी(LMT) खाद्यान्न और 2.9 एलएमटी(LMT) बागवानी उपज के नुकसान में कमी आई है।
• मूल्य संवर्धन और बेहतर मूल्य प्राप्तिः इस योजना से किसानों के लिए भंडारण से परे वैल्यू अनलॉकिंग का प्रभाव पड़ने की उम्मीद है क्योंकि यह लाभार्थियों को प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयां, ग्रेडिंग सुविधाएं, पैकेजिंग इकाइयां स्थापित करने, उनकी उपज में मूल्यवर्धन करने और उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है। इस योजना ने किसानों को सीधे उपभोक्ताओं से जोड़ने और बिचौलियों को समाप्त करने के लिए वैकल्पिक माध्यम और बेहतर बाजार संपर्क बनाने के लिए ई-विपणन प्लेटफार्मों को सहायता की है। मूल्यवर्धन अवसंरचना और सेवाओं के माध्यम से किसानों के लिए वैल्यू अनलॉकिंग से उनकी उपज के लिए 11-14% अधिक लाभ होने की उम्मीद है।
• रोजगार सृजन और ग्रामीण विकासः किसानों के लिए आय सृजन के अलावा भी इस योजना का प्रभाव पड़ेगा। इस योजना से पहले ही 5.5 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा हो चुके हैं और 1,001,00,000 करोड़ रुपये के वितरण से इस क्षेत्र में 14 लाख से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। वर्ष 2025 तक, इस योजना से 8 लाख से अधिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है, जिससे न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं में आय बढ़ेगी, बल्कि शहरों की ओर पलायन भी कम होगा।
• स्थिरता और पर्यावरणीय लाभ: यह योजना कृषि क्षेत्र के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने और भारत के जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों में योगदान करने के लिए सौर ऊर्जा संचालित कोल्ड स्टोरेज और पर्यावरण-अनुकूल पैकेजिंग सामग्री जैसी टिकाऊ प्रौद्योगिकियों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
AIF योजना के शुभारंभ ने भारत में कृषि परिदृश्य में परिवर्तन की शुरुआत की, जिससे किसानों को बेहतर भंडारण, प्रसंस्करण और फसल कटाई उपरांत की रसद सुविधाओं से लाभ हुआ। यह योजना भविष्य की पहलों के लिए एक महान मॉडल के रूप में खड़ी है, जो भारत के कृषि परिदृश्य को बदलने के लिए अच्छी तरह से डिज़ाइन की गई और अच्छी तरह से लागू की गई योजनाओं की शक्ति को प्रदर्शित करती है।इस महत्वाकांक्षी बीज के पोषण और सफल परिणाम प्राप्त करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, भारत सरकार के प्रयास सराहनीय हैं।