देना होगा 84% टैक्स, अगर नहीं बता पाए कहां से आया भारी कैश

ऐसा कई बार देखा जाता है कि करदाता अपने पास मौजूद भारी भरकम कैश के स्रोत के बारे में इनकम टैक्स विभाग को जानकारी नहीं दे पाता है, ऐसे में उसे भारी भरकम टैक्स चुकाना पड़ता है।

Newstrack :  Network
Published By :  Shreya
Update:2021-07-08 14:54 IST

Income Tax: अगर ज्यादा राशि वाला लेनदेन करते हैं या फिर आपके ऑफिस, घर या बैंक अकाउंट में बेहिसाब बिना हिसाब किताब वाला कैश रखा है तो यह जानकारी आपके लिए बेहद अहम है। क्योंकि अगर आप ये भारी भरकम कैश आपके पास कहां से आया इसकी जानकारी नहीं दे पाते हैं तो फिर आपको भारी भरकम टैक्स भी देना पड़ सकता है और इस तरह आपका भारी नुकसान हो सकता है। 

इनकम टैक्स के एसेसिंग ऑफिसर आपके पास मौजूद बेहिसाब कैश के बारे में पता लगा सकते हैं। क्योंकि अगर आप भारी राशि का लेनदेन करते हैं तो इनकम टैक्स विभाग की नजर से यह छिप नहीं पाताा है। ऐसे लेनदेन के बारे में बैंक, प्रॉपर्टी रजिस्ट्रार, म्यूचुअल फंड और ब्रोकर  जैसी कई संस्थाएं आयकर विभाग को जानकारी देती रहती हैं। इसके अलावा कई बार खुद उस व्यक्ति को ही अपने पास मौजूद बेहिसाब कैश और लेनदेन के बारे में आयकर रिटर्न में जानकारी देनी होती है।

स्रोत न बताने पर लागू होता है 115BBE का प्रावधान

ऐसे में अगर ये लेनदेन व्यक्ति द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) में दिए गए ब्योरे से मेल नहीं खाते हैं तो आयकर विभाग आपको इस संबंध में नोटिस भेज सकता है। करदाता के ITR में अगर कोई ऐसी आय दिखती है, जिसका उसने स्रोत नहीं बताया है यानी वो ये बताने में असफल रहता है कि इतने पैसे उसके पास कहां से आए हैं तो आयकर की धारा 115BBE के प्रावधान लागू किए जाते हैं। 

(कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

आयकर की धारा 115BBE के तहत इस कैश पर विशेष दर से टैक्स लगाया जा सकता है। इनकम टैक्स विभाग आपसे इस पर 84 फीसदी तक का भारी टैक्स वसूल सकता है। जी हां, आपको ऐसे आय पर 84 फीसदी तक टैक्स चुकाना होगा। बिना हिसाब-किताब वाले पैसों पर भारी टैक्स तो लगता ही है, इसके अलावा इस टैक्स पर 25 फीसदी का सरचार्ज और 6 फीसदी का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 

कैसे लगाया जाता है टैक्स?

आयकर की धारा 115BBE के तहत बिना स्रोत वाले कैश पर 60 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसके बाद उस पर 25 फीसदी का सरचार्ज, जो 15 फीसदी के टैक्स के बराबर होता है। फिर इस पर 4 फीसदी का सेस, जो करीब 3 फीसदी टैक्स के बराबर होता है।

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