Budget Session 2025: आर्थिक सर्वे के साथ शुरू होगी आम बजट की कवायद, जानिए सब कुछ

Budget Session 2025: वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किए गए इस सर्वेक्षण की निगरानी मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा की जाती है।;

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2025-01-31 10:42 IST

आर्थिक सर्वे के साथ शुरू होगी आम बजट की कवायद   (photo: social media )

Budget Session 2025: भारत के वार्षिक आर्थिक हिसाब किताब का दिन आ गया है। संसद का बजट सत्र 31 जनवरी, 2025 को शुरू होगा और बजट प्रस्तुति 1 फरवरी, 2025 को होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 पेश करेंगी। वित्त मंत्रालय के अंतर्गत आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा तैयार किए गए इस सर्वेक्षण की निगरानी मुख्य आर्थिक सलाहकार द्वारा की जाती है। यह विकास में मंदी, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट और उपभोक्ता खर्च के पैटर्न में बदलाव सहित प्रमुख आर्थिक संकेतकों का मूल्यांकन करता है। आर्थिक सर्वे अक्सर गरीबी में कमी, जलवायु परिवर्तन, शैक्षिक उन्नति, बुनियादी ढांचे में वृद्धि और वित्तीय क्षेत्र के विकास जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए अभिनव समाधान सुझाता है। आर्थिक सर्वेक्षण एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ है जो पिछले वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन का विश्लेषण प्रदान करता है और विभिन्न क्षेत्रों में भविष्य की आर्थिक संभावनाओं के लिए अनुमान प्रदान करता है।

क्या है बजट

आम बजट मूल रूप से आगामी वित्तीय वर्ष के लिए दस्तावेज़ होता है कि इस दौरान कहां क्या खर्च होगा और कहां से आमदनी आएगी। यानी बजट एक वित्तीय वर्ष या नियत समय सीमा में आय और व्यय को रिकॉर्ड करता है। इसमें राष्ट्र की वित्तीय स्थिरता की गारंटी देने के प्रावधान भी शामिल हैं और भविष्य के टार्गेट्स के लिए आधार तैयार करता है। केंद्रीय बजट देश की भविष्य की जरूरतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए पिछली घटनाओं को ध्यान में रखता है।


खास खास बातें

- हर साल फरवरी के पहले दिन वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता है।

- 1 फरवरी को सुबह 11 बजे बजट संबोधन शुरू होता है, जिसमें वित्त मंत्री लोकसभा अध्यक्ष को संबोधित करते हैं। आम तौर पर, प्रस्तुति की अवधि 90 से 120 मिनट के बीच होती है।

- बजट को मंजूरी देने से पहले संसद के दोनों सदनों में इस पर बहस की जाती है। इस विचार विमर्श के दौरान, अगर बजट में किसी संशोधन की आवश्यकता होती है तो उस पर चर्चा की जाती है और सुझाव दिए जाते हैं।

- केंद्रीय बजट तैयार करने की प्रक्रिया बजट जारी होने से छह महीने पहले शुरू होती है। इसमें कई चरण शामिल होते हैं।


- बजट की तैयारी में सभी मंत्रालयों को आगामी वर्ष के अनुमानों के बारे में पूछने के लिए एक परिपत्र भेजा जाता है। खर्च और राजस्व के अनुमान पर सरकार के शीर्ष अधिकारियों से परामर्श किया जाता है।।बजट का मसौदा तैयार होता है जिसमें वित्त मंत्रालय विभिन्न प्रशासनिक मंत्रालयों को धन वितरित करता है और नए कार्यक्रम तैयार करता है। वित्त मंत्री के साथ बजट-पूर्व बैठकें आयोजित होती हैं जिसके दौरान विभिन्न हितधारक वित्त मंत्रालय को अपने प्रस्ताव और अनुरोध प्रस्तुत करते हैं। अंत में बजट की छपाई होती है और फिर लोकसभा में बजट की प्रस्तुति होती है।

- बजट बनाने की प्रक्रिया में सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, बजट भाषण होता है। ये बजट बनाने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों की सूची में शामिल है। भाषण लोकसभा में घोषित किया जाता है और यह सरकार के आगामी वर्ष के लक्ष्यों और दिशा के बारे में जानकारी देता है।

- बजट के अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं - बजट की कुंजी, बजट की मुख्य बातें, वार्षिक वित्तीय विवरण, सार्वजनिक खाता, समेकित निधि, ज्ञापन, वित्त विधेयक, व्यय और प्राप्ति बजट, सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद शुल्क, बजट पर एक नज़र और बजट घोषणाओं का कार्यान्वयन। इसमें मध्यम अवधि के राजकोषीय नीति विवरण, वृहद आर्थिक रूपरेखा विवरण और राजकोषीय नीति रणनीति विवरण के दस्तावेज़ भी शामिल हैं।


- पहले आम बजट और रेल बजट अलग अलग बनते थे और पेश होते थे। लेकिन अब रेल बजट अलग से नहीं आता है। आम बजट सरकार की व्यापक राजकोषीय रणनीति पर जोर देता है, जबकि रेल बजट ऐतिहासिक रूप से भारतीय रेलवे के कामकाज और वित्तीय पहलुओं पर केंद्रित रहा है। वर्ष 2017 में रेल बजट और आम बजट को एक किया गया था।

- केंद्रीय बजट में कराधान नीतियों से लेकर सामाजिक क्षेत्र के निवेश तक कई क्षेत्र शामिल होते हैं। केंद्रीय बजट में कर दरों, छूटों और कटौतियों में बदलाव करने की शक्ति होती है। इसके अतिरिक्त यह नए कर बना सकता है या मौजूदा करों में संशोधन कर सकता है, जिसका असर व्यक्तिगत करदाताओं, कंपनियों और समग्र अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में इस तरह के बदलाव बजट में ‘कर प्रस्ताव’ के अंतर्गत आते हैं।

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