Share Market: शेयर बाजार में रुक नहीं रही गिरावट, अब ट्रम्प की नई टैरिफ से मची घबराहट
Share Market: बाजार में नेगेटिव धारणा डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर लगाए जाने वाले नए टैरिफ की वजह से है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि नए टैरिफ सभी देशों से धातुओं के आयात पर लागू होंगे।;
Share Market fall (photo: social media )
Share Market: बजट में इनकम टैक्स राहत, फिर रिज़र्व बैंक द्वारा रेपो रेट में कटौती के बावजूद शेयर बाजारों ने इस सप्ताह के कारोबार की शुरुआत नकारात्मक माहौल के साथ की है। 10 जनवरी की सुबह बेंचमार्क सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी ने सत्र की शुरुआत लाल निशान में की। 30 शेयरों वाले सेंसेक्स में भारती एयरटेल, हिंदुस्तान यूनिलीवर, नेस्ले, भारतीय स्टेट बैंक और टीसीएस सुबह के सत्र में लाभ में रहे। दूसरी ओर, अब तक पिछड़ने वाले शेयरों में टाटा स्टील, पावरग्रिड, एनटीपीसी, जोमैटो और रिलायंस शामिल हैं।
व्यापक बाजारों को देखें तो सूचकांकों ने निराशाजनक तस्वीर पेश की है। निफ्टी माइक्रोकैप 250 इंडेक्स लाल निशान में रहा है। सेक्टर के हिसाब से, निफ्टी मेटल इंडेक्स इस सत्र में सबसे ज्यादा 2.43 फीसदी लुढ़का। जैसे-जैसे बाजार आगे बढ़ा, इंडेक्स में गिरावट जारी रही।
क्यों गिरे बाजार?
बाजार में नेगेटिव धारणा डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा एल्युमीनियम और स्टील के आयात पर लगाए जाने वाले नए टैरिफ की वजह से है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा है कि नए टैरिफ सभी देशों से धातुओं के आयात पर लागू होंगे। गौरतलब है कि ट्रंप स्टील और एल्युमीनियम के सभी आयातों पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, उन्होंने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी कि टैरिफ कब से लागू होंगे। इस फैसले से निवेशकों में चिंता पैदा हो गई है, क्योंकि उन्हें ट्रेड वॉर की संभावना बढ़ती दिख रही है। बाजार कब सुधरेगा कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति काफी सख्त रुख अपनाए हुए हैं जिससे तमाम सेक्टर दबाव में बने हुए हैं।
बाजार का हाल
सुबह 10:06 बजे सेंसेक्स करीब 400 अंक लुढ़क गया और 77,500 अंक को पार कर 77,465.33 पर कारोबार कर रहा था। वहीं, निफ्टी करीब 120 अंक गिरकर 23,441.10 पर आ गया।
आज शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया भी 45 पैसे गिरकर 87.95 के नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया। वैश्विक बाजार में अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और इक्विटी में कमजोर धारणा के कारण घरेलू मुद्रा पर दबाव पड़ा है।