Union Budget 2025: जानिए क्या हैं आर्थिक विकास दर और मौद्रिक नीति

Union Budget 2025: भारत की आर्थिक विकास दर वैश्विक स्तर पर खासी तेज़ मानी जाती है। हालांकि, कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा था।;

Newstrack :  Network
Update:2025-01-08 12:28 IST

Union Budget 2025

Union Budget 2025: भारत की आर्थिक विकास दर और मौद्रिक नीति एक दूसरे से गहराई से जुड़े हुए हैं। मौद्रिक नीति, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाता है, देश की मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करने का एक उपकरण है। यह नीति सीधे तौर पर आर्थिक विकास दर को प्रभावित करती है।

पारस्परिक संबंध

जब रिज़र्व बैंक ब्याज दरें कम करती है, तो उधार लेना सस्ता हो जाता है। इससे निवेश बढ़ता है, उत्पादन बढ़ता है और आर्थिक विकास को गति मिलती है। मुद्रा आपूर्ति बढ़ाने से भी अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ती है, जिससे खपत और निवेश बढ़ता है। मौद्रिक नीति का एक प्रमुख उद्देश्य महंगाई को नियंत्रित करना है। यदि महंगाई बहुत अधिक हो जाती है, तो रिज़र्व बैंक ब्याज दरें बढ़ाकर मुद्रा आपूर्ति को कम कर सकती है। हालांकि, इससे आर्थिक विकास धीमा पड़ सकता है।

सांकेतिक तस्वीर (Pic - Social Media)

भारत में मौजूदा स्थिति

भारत की आर्थिक विकास दर वैश्विक स्तर पर खासी तेज़ मानी जाती है। हालांकि, कोरोना महामारी ने अर्थव्यवस्था को गहरा झटका लगा था। लेकिन सरकार और केंद्रीय बैंक के उपायों के कारण अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है। रिज़र्व बैंक ने कोरोना महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए ब्याज दरों में कटौती की थी और तरलता बढ़ाई थी। हालाँकि, महंगाई में वृद्धि के साथ, रिज़र्व बैंक ने ब्याज दरों में वृद्धि शुरू कर दी है।

चुनौतियां और भविष्य

बढ़ती महंगाई एक प्रमुख चुनौती है। रिज़र्व बैंक को ग्रोथ को बनाए रखते हुए महंगाई को नियंत्रित करने के लिए संतुलन बनाना होगा। वहीँ, वैश्विक अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ता है।भारत में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए निवेश की आवश्यकता है। बढ़ती आबादी के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना एक बड़ी चुनौती है।

सांकेतिक तस्वीर (Pic - Social Media)

भारत की आर्थिक विकास दर और मौद्रिक नीति एक जटिल और गतिशील संबंध साझा करते हैं। रिज़र्व बैंक को आर्थिक विकास को बढ़ावा देते हुए महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपनी मौद्रिक नीति को लगातार समायोजित करना होगा। सरकार को भी बुनियादी ढांचे के विकास, रोजगार सृजन और अन्य सुधारों के माध्यम से आर्थिक विकास को समर्थन देना होगा।

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