महारानी अहिल्याबाई होल्कर से जुड़ी कई रोचक बातें, जानें इनका जीवन परिचय

Ahilyabai Holkar : अहिल्याबाई होल्कर भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होल्कर महरानी थी। इनका विवाह खंडेराव से हुआ।

Newstrack :  Network
Published By :  Shraddha
Update:2021-05-31 10:45 IST

अहिल्याबाई होल्कर (फाइल फोटो सौ. से सोशल मीडिया)

Ahilyabai Holkar :महारानी अहिल्याबाई होल्कर (Ahilyabai Holkar) भारत के मालवा साम्राज्य की मराठा होल्कर महारानी थी। इनका जन्म 31 मई 1725 को महाराष्ट्र (Maharashtra) के अहमदनगर के छौंड़ी ग्राम में हुआ था। उनके पिता का नाम मंकोजी राव शिंदे था इनके पिता गांव के पाटिल थे। उस समय महिलाएं स्कूल नहीं जाती थी लेकिन इनके पिता ने उस समय उन्हें पढ़ने लिखने लायक बनाया था।

अहिल्याबाई होल्कर का विवाह इन्दौर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हार राव होल्कर के पुत्र खंडेराव से हुआ था। सन् 1745 में अहिल्याबाई के पुत्र हुआ और तीन वर्ष बाद एक कन्या ने जन्म लिया। इन्होंने पुत्र का नाम मालेराव और कन्या का नाम मुक्ताबाई रखा। उन्होंने बड़ी कुशलता से अपने पति के गौरव को जगाया। कुछ ही दिनों में अपने महान पिता के मार्गदर्शन में खण्डेराव एक अच्छे सिपाही बन गये।

पति की मृत्यु के बाद गद्दी पर बैठी

अहिल्याबाई के पति खंडेराव 1754 के कुम्भेर युद्ध में शहीद हो गए थे 12 साल बाद इनके ससुर महाराज मल्हार राव होल्कर की भी मृत्यु हो गई। इसके एक साल बाद अहिल्याबाई को मालवा साम्राज्य की महारानी का ताज पहनाया गया। अहिल्याबाई होल्कर अपने राज्य के लोगों की भलाई के लिए अनेक कार्य किया। वह हमेशा से ही अपने साम्राज्य को मुस्लिम आक्रमणकारियों से बचाने की कोशिश करती रही। बल्कि वह युद्ध के दौरान वह खुद अपनी सेना में शामिल होकर युद्ध करती थी। इसके साथ इन्होंने अपने साम्राज्य महेश्वर और इंदौर में काफी मंदिरों का निर्माण कराया था।

कई तीर्थस्थान बनवाए

अहिल्याबाई ने अपने शासन काल में कई कार्य किए हैं। इन्होंने लोगों के रहने के लिए बहुत सी धर्मशालाए भी बनवायी, ये सभी धर्मशालाए उन्होंने मुख्य तीर्थस्थान जैसे गुजरात के द्वारका, काशी विश्वनाथ, वाराणसी का गंगा घाट, उज्जैन, नाशिक, विष्णुपद मंदिर और बैजनाथ के आस-पास ही बनवायी। मुस्लिम आक्रमणकारियो के द्वारा तोड़े हुए मंदिरो को देखकर ही उन्होंने सोमनाथ में शिवजी का मंदिर बनवाया। जो आज भी हिन्दुओ द्वारा पूजा जाता है।

अहिल्याबाई किसी बड़े राज्य की रानी नहीं थीं बल्कि एक छोटे भू-भाग पर उनका राज्य कायम था और उनका कार्यक्षेत्र सीमित था लेकिन इसके बावजूद समाज की भलाई के लिए उन्होंने जो कुछ किया वह आश्चर्यचकित करने वाला है। राज्य की सत्ता पर बैठने के पूर्व ही उन्होंने अपने पति–पुत्र सहित अपने सभी परिजनों को खो दिया था लेकिन इसके बाद भी प्रजा हितार्थ किये गए उनके जनकल्याण के कार्य प्रशंसनीय हैं।

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