COP26: भारत 2070 तक हो जाएगा नेट-जीरो
COP26: ग्लासगो में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन 'कॉप 26' में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह एलान किया है कि "जो वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई 2050 की समयसीमा से दो दशक अधिक है।"
COP26: भारत ने आखिरकार अपने ग्रीन हाउस उत्सर्जन को नेट-जीरो करने की समय सीमा का एलान कर दिया है। भारत ने एलान किया है कि वह 2070 तक कार्बन उत्सर्जन को नेट-जीरो (carbon emissions net zero) करने का लक्ष्य हासिल कर लेगा।
ग्लासगो (Glasgow Summit 2021) में चल रहे संयुक्त राष्ट्र के जलवायु सम्मेलन 'कॉप 26' (UN Climate Change Conference (UNFCCC COP 26)) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने यह एलान किया, जो वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई 2050 (greenhouse gas emissions to net zero by 2050) की समयसीमा से दो दशक अधिक है। अभी तक भारत किसी भी तरह के कमिटमेंट से बचता रहा था।
पीएम मोदी ने भारत की तरफ से देरी का बचाव करते हुए कहा कि देश में दुनिया की 17 प्रतिशत आबादी रहती है जबकि वे दुनिया के कुल 5 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा कि भारत नवीकरणीय ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाएगा और 2030 तक उसकी आधी ऊर्जा जरूरतें नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी होंगी। फिलहाल भारत की कुल ऊर्जा जरूरत का 38 फीसदी हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा से आता है।
बोरिस जॉनसन का दबाव
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) काफी समय से भारत पर नेट जीरो की समयसीमा का एलान करने का दबाव डाले हुए थे। ग्लासगो सम्मेलन में भी उन्होंने भारत पर काफी दबाव डाला। ब्रिटिश प्रधानमंत्री के दफ्तर से जारी एक बयान में बताया भी गया है कि 1 नवम्बर को एक बैठक के दौरान बोरिस जॉनसन ने भारत को इसके लिए तैयार किया। बयान के मुताबिक यह बैठक मोदी के लक्ष्यों का एलान करने से पहले हुई थी।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कार्यालय के बयान में कहा गया है कि , प्रधानमंत्री (बोरिस जॉनसन) को उम्मीद थी कि भारत कॉप26 (COP26) में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य का एलान करेगा क्योंकि ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लक्ष्य को हासिल करने में उसकी अहम भूमिका है। उन्होंने भारत को कोयले से नवीकरणीय ऊर्जा की ओर जाने में ब्रिटेन के समर्थन की भी पेशकश की है।
चीन (China) और अमेरिका ( America) के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जक (greenhouse gas emitters) है। पिछले हफ्ते ही उसने लक्ष्य तय करने की मांग को खारिज कर दिया था, इसलिए भारत का लक्ष्य का एलान बहुत से लोगों के लिए एक अचरज भी रहा है।
अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ 2050 का लक्ष्य पहले ही घोषित कर चुके हैं। यानी 2050 तक वे अपने कार्बन उत्सर्जन को उस स्तर पर ले जाएंगे जहां वे उतनी ही कार्बन वातावरण में छोड़ेंगे जितनी कुदरती और अन्य स्रोतों द्वारा सोखी जा सके। इमें कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी की भी भूमिका होगी। चीन और सऊदी अरब ने 2060 तक अपना कार्बन उत्सर्जन नेट जीरो करने का एलान किया है।