जब मनमोहन सिंह से नरसिम्हा राव बोले- सब ठीक-ठाक रहा, तो क्रेडिट हम लेंगे, फेल हुए तो आपकी 

आज डॉ. मनमोहन सिंह के ऐसे कुछ रोचक किस्से। ये किस्से उनके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और नरसिम्हा राव से बातचीत से जुड़ी है। 

Written By :  aman
Published By :  Chitra Singh
Update:2021-10-15 08:02 IST

मनमोहन सिंह-नरसिम्हा राव (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

लखनऊ: देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह (Purv Pradhanmantri Manmohan Singh) की शालीनता और बेहद कम बोलना उनके व्यक्तित्व का हिस्सा है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि वो बोलते ही नहीं थे। उन्होंने अब तक जिन वरिष्ठ पदों पर सेवाएं दी हैं, उसमें उन्हें कई ऐसे मौके मिले जब सीधे प्रधानमंत्री के संपर्क में रहना होता था। आज डॉ. मनमोहन सिंह के ऐसे कुछ रोचक किस्से। ये किस्से उनके पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) और नरसिम्हा राव ( Narasimha Rao) से बातचीत से जुड़ी है। 

पहला किस्सा तब का है जब डॉ. मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाए जाने की पेशकश हुई थी। हालांकि डॉ.सिंह इस बात को पहले भी बोलते रहे हैं कि उन्हें 'एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' (Accidental Prime Minister) कहा जाता है लेकिन वो एक्सीडेंटल वित्त मंत्री भी रहे हैं। 

आई.जी. पटेल ने ठुकरा दिया था प्रस्ताव 

मनमोहन सिंह ने बताया था कि जब वित्त मंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव उनके पास आया था, तब वो यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) के चेयरमैन थे। वह कहते हैं, "मैं पीएम नरसिम्हा राव की पहली पसंद नहीं था। पहले यह प्रस्ताव डॉ.आई.जी. पटेल के पास गया था। लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसके बाद नरसिम्हा राव के प्रिंसिपल सेक्रेटरी डॉ. पी.सी.अलेक्जेंडर पेशकश लेकर मेरे घर आए।"

डॉ. मनमोहन सिंह (फाइल फोटो- सोशल मीडिया) 

'मैंने सीरियसली नहीं लिया'

अगले दिन पीएम नरसिम्हा राव ने मुझे तलाशना शुरू किया। इसी क्रम में यूजीसी के दफ्तर में मुझे पकड़ लिया। मुझे मिलने बुलाया। पूछा, क्या अलेक्जेंडर ने तुम्हें मेरा ऑफर नहीं बताया। मैंने जवाब दिया, 'बताया तो था, पर मैंने उनको सीरियसली नहीं लिया।' 

नरसिम्हा राव की शर्त

डॉ. मनमोहन सिंह के मुताबिक, उन्होंने प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के सामने शर्त रखी, कि देश गहरे वित्तीय संकट में है। इसलिए कठोर फैसले लेने ही होंगे। इस पर राव बोले, "मंज़ूर है। मैं आपको फ्री हैंड देता हूं। लेकिन ध्यान रखिए अगर सब ठीक-ठाक रहा, तो क्रेडिट हम लेंगे। अगर फेल हुए, तो जिम्मेदार आपको ठहराएंगे।"

रुपए का दूसरा डीवैल्युएशन भी एक्सीडेंटल था

डॉ. मनमोहन सिंह ने एक और खुलासा किया था कि रुपए के डीवैल्युएशन (अवमूल्यन) में भी एक एक्सीडेंट हुआ। हुआ कुछ यूं, कि जैसे ही माहौल टेस्ट करने के लिए पहले दौर का डीवैल्युएशन किया गया, तो भारी हंगामा मच गया। बकौल मनमोहन सिंह, "पहले चरण में हमने मामूली डोज दिया। लेकिन इतना हंगामा हुआ कि पीएम नरसिम्हा राव भी नर्वस हो गए। उन्होंने मुझे बुलाकर कहा कि दूसरे चरण का डीवैल्युएशन रोक दो। मैंने रिजर्व बैंक में सी रंगराजन (तत्कालीन गवर्नर) को फोन करके प्रधानमंत्री का फरमान सुनाया। लेकिन वो बोले अब कोई फायदा नहीं, मैंने तो इसका एलान कर भी दिया है। मतलब दूसरे दौर का डीवैल्युएशन एक्सीडेंटल था।"

मनमोहन सिंह -नरसिम्हा राव (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मनमोहन सिंह ने अपनी किताब 'चेंजिंग इंडिया' में राजनीतिक और ब्यूरोक्रेट जीवन के अनुभव तथा देश के सामने आए संकट, चुनौतियों और अर्थशास्त्री के तौर पर अपने तमाम रिसर्च और व्यावहारिक अनुभव बताए हैं। इस किताब में उन्होंने आर्थिक सुधारों में तरह-तरह की चुनौतियों के बारे में भी बताया। साथ ही लिखा, एक बार जो सुधार हो गए, फिर 25 सालों से नहीं रुके। 

तब इंदिरा गांधी को गलत भाषण पढ़ने से रोका 

पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से जुड़ी दूसरी कहानी साल 1980 की है। तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। मिसेज गांधी ने 1980 में सरकार संभालते ही देश को संबोधित करने का फैसला किया। भाषण तैयार था। लेकिन फिर भी उन्होंने किसी भी गलती से बचने के लिए भाषण को डॉ. मनमोहन सिंह को दिखाया। इस पर डॉ. सिंह ने कहा, मैडम इस भाषण में एक बात पूरी तरह गलत है। इसे भाषण से हटा दीजिए, वर्ना बड़ी किरकिरी हो जाएगी। इंदिरा गांधी ने अपने भाषण से वो हिस्सा हटाया। फिर देश को संबोधित किया। 

ऐसी क्या बात थी भाषण में? 

मन में अब सवाल उठना लाजमी है कि आखिर ऐसी क्या बात थी, जो इंदिरा गांधी ने डॉ. मनमोहन सिंह के कहने पर अपने भाषण से हटा दी? इस बारे में स्वयं मनमोहन सिंह ने बताया कि तब उन्होंने इंदिरा गांधी को गलत तथ्य बोलने से रोका था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मुताबिक, इंदिरा गांधी के भाषण में जनता पार्टी सरकार की तमाम गलतियों और उसकी वजह से देश में आए संकट का जिक्र था। लेकिन एक बात उस वक्त आर्थिक सलाहकार रहे मनमोहन सिंह को खटक गई कि जनता पार्टी सरकार ने देश का विदेशी मुद्रा भंडार खाली कर दिया। 

मनमोहन सिंह -इंदिरा गांधी (फाइल फोटो- सोशल मीडिया)

मनमोहन सिंह ने बताया, सही क्या है 

तब मनमोहन सिंह ने इंदिरा गांधी को बताया कि "मैडम विदेशी मुद्रा भंडार बहुत अच्छी हालत में है। इसलिए अगर भाषण में यह बात आई, तो बड़ी किरकिरी हो जाएगी। जनता सरकार से आपकी भले जो भी शिकायतें हों, पर ये बात सच है कि वो भरपूर विदेशी मुद्रा भंडार छोड़ गए हैं।"मनमोहन सिंह बताते हैं कि इंदिरा गांधी ने उनकी यह सलाह तुरंत मान ली। भाषण से उस हिस्से को हटा दिया।  

मैडम, रिटायरमेंट की पेंशन नहीं मिलेगी

एक अन्य कहानी भी मनमोहन सिंह की इंदिरा गांधी से ही जुड़ी है। मनमोहन सिंह ने अपनी किताब में एक अन्य रोचक किस्से को बताया हैं। मनमोहन सिंह ने बताया कि इंदिरा गांधी ने जब उन्हें योजना आयोग (अब नीति आयोग) जाने को कहा, तो उन्होंने साफ शब्दों में मना कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जब इसकी वजह पूछी, तो मनमोहन ने उनसे कहा, "मैडम, मैं ब्यूरोक्रेट हूं। अगर योजना आयोग जाता हूं, तो मुझे सिविल सर्विस छोड़नी पड़ेगी और रिटायरमेंट की पेंशन नहीं मिलेगी।"आखिरकार इंदिरा गांधी ने उस वक्त के कैबिनेट सेक्रेटरी से इसका तरीका निकालने का आदेश दिया था।

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