Milkha Singh died: नहीं रहे फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह, कोरोना से हार गए जंग, पीएम मोदी ने जताया शोक
कोरोना से लगातार जंग लड़ी मगर कोरोना पर विजय हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाए Milkha Singh…
Milkha Singh died: फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर महान धावक मिल्खा सिंह आखिरकार कोरोना (Corona) से जंग हार गए। अपनी रफ्तार से पूरी दुनिया को दीवाना बना लेने वाले 91 वर्षीय मिल्खा सिंह ने चंडीगढ़ पीजीआई (Chandigarh PGI) में अंतिम सांस ली। मिल्खा सिंह 20 मई को कोरोना से संक्रमित हुए थे और उन्होंने करीब एक महीने तक कोरोना से लगातार जंग लड़ी मगर कोरोना पर विजय हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाए।
मिल्खा सिंह की पत्नी (Milkha Singh Wife) निर्मला मिल्खा सिंह का भी गत रविवार को कोरोना से निधन हो गया था। कोरोना से संक्रमित होने के कारण मिल्खा सिंह अपनी पत्नी के अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने महान धावक मिल्खा सिंह के निधन (Milkha singh Dies) पर गहरा शोक जताया है।
एक महीने से लड़ रहे थे कोरोना से जंग
एशियाई खेलों में चार स्वर्ण पदक और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले ओलंपियन मिल्खा सिंह गत 20 मई को कोरोना से संक्रमित हुए थे। संक्रमण बढ़ने के बाद उन्हें 24 मई को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत में काफी सुधार हो गया था और इस कारण उन्हें 30 मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
बाद में 3 जून को ऑक्सीजन लेवल में गिरावट आने के बाद उन्हें एक बार फिर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गुरुवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई थी मगर बाद में फिर उनकी तबीयत बिगड़ गई। उन्हें चंडीगढ़ के पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली।
रफ्तार की दीवानी थी पूरी दुनिया
मिल्खा सिंह की गिनती यूं ही दुनिया के महान धावकों में नहीं की जाती। उन्होंने अपनी रफ्तार से पूरी दुनिया को दीवाना बना रखा था। एशियाई खेलों में उन्होंने चार स्वर्ण पदक और कॉमनवेल्थ गेम्स में एक स्वर्ण पदक जीत कर देश को गौरवान्वित किया था।
इसी कारण उन्हें फ्लाइंग सिख के नाम से जाना जाता है। अपनी इन्हीं उपलब्धियों के कारण वे पूरी दुनिया का प्यार पाने में कामयाब रहे।
ओलंपिक में पदक न जीत पाने का मलाल
मिल्खा सिंह की उम्र 91 साल थी और उनका जन्म मौजूदा पाकिस्तान में हुआ था मगर आजादी के बाद उनका परिवार भारत आ गया था। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री फील्ड मार्शल अयूब खान भी उनकी रफ्तार के दीवाने थे। रोम ओलंपिक (1960) में मिल्खा सिंह ने गजब का प्रदर्शन किया था और चौथे स्थान पर रहे थे। उन्हें सारी जिंदगी ओलंपिक में पदक न जीत पाने का मलाल रहा। ओलंपिक में पदक से चूकने के कारण का उन्होंने बाद में खुलासा भी किया था।
पीछे मुड़कर देखना पड़ा महंगा
उनका कहना था कि दौड़ के दौरान हमेशा एक बार पीछे मुड़कर देखने की मेरी आदत ने मुझे रोम ओलंपिक में कांस्य पदक से वंचित कर दिया। ओलंपिक की दौड़ में काफी नजदीकी मुकाबला होता है और ऐसे में यह भूल महंगी पड़ी।
मिल्खा के मुताबिक उन्होंने रोम ओलंपिक में बहुत शानदार शुरुआत की थी। शुरुआत के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर एक बार अन्य धावकों को देखा और शायद इसी कारण वे पदक से चूक गए। रोम ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाले धावक ने 45.5 सेकंड का समय लिया था जबकि मिल्खा सिंह ने 45.6 सेकंड में दौड़ पूरी की थी।
जानकारों का कहना है कि मिल्खा सिंह की बातों में है काफी दम है क्योंकि यह सच्चाई है कि अगर उन्होंने पीछे मुड़कर न देखा होता तो वे निश्चित रूप से इस दौड़ में कांस्य पदक जीतने में कामयाब होते।
महान धावक पर बनी फिल्म
मिल्खा सिंह के प्रति देश के लोगों की दीवानगी और सम्मान देखकर ही बॉलीवुड भी इस महान धावक से दूर नहीं रह सका। इस दिग्गज धावक के जीवन पर एक फिल्म भी बनी है जिसका नाम है भाग मिल्खा भाग। इस फिल्म में मिल्खा सिंह के जीवन से जुड़े विभिन्न प्रसंगों को उजागर किया गया है।
हालांकि फिल्म के रिलीज होने के बाद मिल्खा सिंह का कहना था कि इस फिल्म में उनके संघर्ष की कहानी को उतना गहराई से नहीं दिखाया गया। उनका कहना था कि उन्होंने जीवन में तमाम मुसीबतें झेलने के बाद यह मुकाम हासिल किया है मगर फिल्म में उन दिक्कतों का गहराई से फिल्मांकन नहीं किया गया।
बेटे ने कमाया गोल्फ खेलने में नाम
मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह ने गोल्फ के क्षेत्र में काफी नाम कमाया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वे दो बार एशियन टूर आर्डर ऑफ मेरिट जीतने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने 2006 और 2008 में यह उपलब्धि हासिल करके हर किसी का दिल जीता था।
वे भारत के एकमात्र से गोल्फर हैं जिसने दो बार इस खिताब को जीता है। इसके अलावा मिल्खा के बेटे जीव मिल्खा ने एशियन टूर, यूरोपियन टूर और जापान टूर का खिताब भी जीता है।
खेल के क्षेत्र में पिता-पुत्र दोनों को पद्मश्री
जीव मिल्खा सिंह की इन्हीं उपलब्धियों को देखते हुए भारत सरकार की ओर से उन्हें पद्मश्री का सम्मान भी दिया जा चुका है।
मिल्खा सिंह यह सम्मान काफी पहले ही हासिल कर चुके हैं। मिल्खा सिंह और जीव मिल्खा सिंह अकेले ऐसे पिता पुत्र हैं जिन्होंने खेल के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के कारण पद्मश्री सम्मान हासिल किया है।
पत्नी का भी इसी हफ्ते हुआ था निधन
मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल मिल्खा सिंह का भी इसी हफ्ते कोरोना के निधन हो गया था। 85 वर्ष की निर्मल मिल्खा सिंह कोरोना से संक्रमित होने के कारण लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थीं।
निर्मल मिल्खा सिंह भारतीय महिला वॉलीबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हैं। वे पंजाब सरकार के खेल विभाग में निदेशक पद पर भी तैनात रह चुकी थीं। कोरोना से संक्रमित होने के कारण निर्मल मिल्खा सिंह अपनी पत्नी के निधन के बाद अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हो पाए थे।
मिल्खा सिंह के निधन पर पीएम ने जताया शोक
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित विभिन्न हस्तियों ने गहरा दुख जताया है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने शोक संदेश में कहा कि मिल्खा सिंह के निधन के साथ ही हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है जिन्होंने देश की कल्पना पर कब्जा किया।
पीएम मोदी ने कहा कि भारतीयों के दिल में मिल्खा सिंह के लिए एक खास जगह थी। उनके व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया। उनके निधन से मुझे गहरा दुख पहुंचा है। पीएम मोदी के अलावा कई अन्य हस्तियों ने भी मिल्खा सिंह के निधन पर शोक जताते हुए परिवार के प्रति संवेदना जताई है।