अंबेडकर नगर में जमकर घूसखोरी, हर काम का रेट फिक्‍स

Update: 2018-06-17 16:21 GMT

अंबेडकरनगर: योगी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी आफिसों से भ्रष्‍टाचार खत्‍म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिले में शिक्षा विभाग का आलम यह है कि अगर आपको कोई भी छोटे से लेकर बड़ा काम करवाना है तो एक फिक्‍स सुविधा शुल्‍क का भुगतान कीजिए और अपना काम बनवा लीजिए। जायज हो या नाजायज हर काम का एक फिक्‍स सुविधा शुल्‍क है। यह हम नहीं कह रहे बल्कि जिले के शिक्षक नेता ओपी शर्मा यह आरोप डीआईओएस अंबेडकरनगर और उनके कार्यालय में कार्यरत बाबुओं पर लगा रहे हैं।

अवैध नियुक्तियों का गढ़ बना कार्यालय

शिक्षक नेता ओ पी शर्मा का कहना है कि व्यापक जनहित और राष्ट्रहित में शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के पर्यवेक्षण और शिक्षकों और कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए विधिवत गठित तथा सृजित जिला विद्यालय निरीक्षक, अम्बेडकर नगर कार्यालय सदैव से अवैध नियुक्तियों और उगाही के साथ साथ शासनादेशों की गलत व्याख्या और शोषण के लिए चर्चित रहा है। आजकल तो कार्यालय का माहौल बिल्कुल मेला जैसा लगता है।यहां हर काम की खुली बोली लग रही है। चयनबोर्ड को ताक पर रख माध्यमिक और संस्कृत विद्यालयों में अनुमोदन हो रहे हैं। सरकार ने भले ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी है, किंतु यहां एक बाबू बाकायदा फ़ाइल बनवाकर कोर्ट में रिट दायर करके न्यायालय की आड़ में आज भी 10-10 लाख ले रहा है। यहां एरियर, सेलेकशन ग्रेड,प्रोन्नत वेतनमान,वेतन निर्धारण,भविष्य निधि से ऋण आदि सब पर घूस लेने का रेट चल रहा है। दादागिरी यहां तक हो रही है कि शिक्षक विधायक ध्रुव कुमार त्रिपाठी और सत्ताधारी दल की विधायिका अनीता कमल तक कि बातें नजरअंदाज की जा रही हैं।विभागीय अधिकारियों और जिलाधिकारी को भ्रामक सूचनाएं दी जा रही हैं।

सृजित पद से अधिक तैनाती

डीआईओएस कार्यालय में एक जिला विद्यालय निरीक्षक, एक लेखाधिकारी, एक लेखाकार, दो सहायक लेखाकार, दो बाबुओं और एक चपरासी के पद सृजित हैं। लेकिन यहां मानक से अधिक तैनाती है। यहां सात बाबू और सात चपरासी तैनात हैं। इनमें राजेश गुप्ता, ओमकार वर्मा, बाल कृष्ण यादव, प्रभात सिंह, बागीश्वरी शरण द्विवेदी, शशिकांत वर्मा और सलीम बाबू के तौर पर तैनात हैं। जबकि अमजद, कपिल, राजितराम, राजमणि सहित दो अन्‍य चपरासी भी तैनात हैं। इसके अलावा यहां उर्दू अनुवादक का कोई पद सृजित नहीं है। किंतु निदेशालय से धन की बंदरबांट करते हुए वरिष्ठ उर्दू अनुवादक सलीम को यहां कनिष्ठ लिपिक के रिक्त पद के सापेक्ष समायोजित किया गया है। जो कि अनुचित है।वरिष्ठ का वेतन कनिष्ठ के पद से कैसे निकल सकता है,लेकिन यहां निकल रहा है।

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