इलाहाबाद हाईकोर्ट : IIT कानपुर के 16 छात्रों को दण्डित करने का आदेश रद्द

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आई.आई.टी. कानपुर के 16 छात्रों को रैगिंग का आरोप में दण्डित करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इंस्टिट्यूट के सीनेट ने बिना दोष सिद्ध किये कुछ को 6 साल व कुछ को एक साल के निलंबित कर दिया था। साथ ही निलम्बन तक काले

Update: 2018-02-23 14:47 GMT
इलाहाबाद हाईकोर्ट

इलाहाबाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आई.आई.टी. कानपुर के 16 छात्रों को रैगिंग का आरोप में दण्डित करने के आदेश को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इंस्टिट्यूट के सीनेट ने बिना दोष सिद्ध किये कुछ को 6 साल व कुछ को एक साल के निलंबित कर दिया था।साथ ही निलम्बन तक कालेज परिसर में निवास करने पर रोक लगा दी थी।कोर्ट ने सीनेट को नये सिरे से कानून का पालन करते हुए संस्तुति करने की छूट दी है।कोर्ट ने कहा है कि याची छात्रों को परीक्षा देने व परिसर में निवास करने का अधिकार है। किंतु यह प्रतिबन्ध रहेगा कि वे नए छात्रों से न तो मिलेंगे और न ही उनसे बातचीत करेंगे।

यह आदेश जस्टिस मनोज मिश्र ने अभिनव कुमार व अन्य छात्रों की याचिका पर दिया है।याचिका पर अधिवक्ता जी. के. सिंह व भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने बहस की। मालूम हो की 19 व 20 अगस्त 2017 को 22 छात्रों पर नए छात्रों की रैगिंग करने का आरोप लगाते हुए कार्यवाही की गयी।सीनेट स्टूडेंट अफेयर कमेटी को तथ्यों का पता लगाकर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया गया। कमेटी के अध्यक्ष ने रिपोर्ट पेश की और छात्रों को निलंबित करने व आवासीय हाल में ठहरने पर प्रतिबंध लगाने की संस्तुत्ति की। 9 अक्टूबर 17 के प्रस्ताव को रैगिंग विरोधी कमेटी को भेजा गया।जिसका अनुमोदन कर कार्यवाई के लिए भेजा गया। 16 छात्रों को दंडित किया गया।

सारी कार्यवाही नये छात्रों की शिकायत पर की गयी। बयान दर्ज किये गए, किन्तु ये बयान नियमित जांच में नहीं लिए गए। छात्रों को आरोपो में दोषी ठहराए बगैर दण्डित कर दिया गया। जस्टिस सुनीता अग्रवाल ने आरोपी छात्रों का भविष्य बचाने के लिए दूसरे स्थान पर परीक्षा में बैठाने की व्यवस्था करने का आदेश दिया था।किंतु संस्थान ने नहीं माना। कोर्ट ने याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाई गई सजा को नैसर्गिक न्याय के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है।

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