अब CBI डायरेक्टर से लोकपाल और मुख्य चुनाव आयुक्त तक... इन प्रमुख पदों पर नियुक्ति में राहुल गांधी का होगा अहम रोल

Lok Sabha: राहुल गाधी की भूमिका काफी महत्वपूर्ण हो गई है। केंद्रीय सूचना आयोग और एनएचआरसी प्रमुख के अलावा लोकपाल, सीबीआई प्रमुख, मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले महत्वपूर्ण पैनल के सदस्य होंगे

Update: 2024-06-26 08:22 GMT

Lok Sabha Speaker

Lok Sabha :नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी की भूमिका अब काफी महत्वपूर्ण हो गई है। यूपी की रायबरेली सीट से लोकसभा सांसद राहुल गांधी (54 साल) को मंगलवार रात इंडिया ब्लॉक की बैठक में नेता प्रतिपक्ष बनाने का फैसला लिया गया। उसके बाद कांग्रेस संसदीय बोर्ड की चेयरमैन सोनिया गांधी ने प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब को पत्र लिखा और इस फैसले की जानकारी दी। बुधवार को राहुल ने सदन में नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल ली।

वे स्पीकर ओम बिरला की नियुक्ति के बाद औपचारिक प्रक्रिया का भी हिस्सा बने। नेता प्रतिपक्ष बनने के साथ ही राहुल गांधी की कद तो बढ़ा ही साथ ही उन्हें अब कैबिनेट मंत्री का दर्जा मिल गया है। इससे प्रोटोकॉल सूची में उनका स्थान भी बढ़ जाएगा और वे विपक्षी गठबंधन के पीएम फेस के स्वाभाविक दावेदार भी हो सकते हैं।

राजनीतिक करियर में संभाला पहला संवैधानिक पद

बता दें कि यह पहला संवैधानिक पद है, जो राहुल गांधी ने अपने ढाई दशक से ज्यादा लंबे राजनीतिक करियर में संभाला है। राहुल पांचवीं बार के लोकसभा सांसद हैं। मंगलवार को उन्होंने संविधान की प्रति हाथ में लेकर सांसद पद की शपथ ली थी।

पांचवी बार चुने गए हैं लोकसभा सांसद

2024 के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी ने केरल के वायनाड और उत्तर प्रदेश के रायबरेली से चुनाव लड़ा और भारी मतों से जीत हासिल की, लेकिन उन्होंने वायनाड सीट से इस्तीफा दे दिया है। अब वायनाड में उपचुनाव होंगे और वहां राहुल की बहन प्रियंका गांधी वाड्रा चुनाव लड़ेंगी। राहुल गांधी ने 2004 में राजनीति में प्रवेश किया और पहली बार उत्तर प्रदेश के अमेठी से लोकसभा का चुनाव जीत कर संसद पहुंचे। वे तीन बार अमेठी से चुनाव जीते, लेकिन 2019 में वे अमेठी से भाजपा की स्मृति ईरानी से चुनाव हार गए, लेकिन वे केरल के वायनाड से जीत दर्ज करने में सफल रहे।

अब इन नियुक्ति में राहुल गांधी का दिखेगा दखल

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेताओं को वर्ष 1977 में वैधानिक मान्यता दी गई थी। ऐसे में अब राहुल गांधी की संवैधानिक पदों की नियुक्ति में भी भूमिका रहेगी। नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी लोकपाल, सीबीआई डायरेक्टर, मुख्य चुनाव आयुक्त, चुनाव आयुक्त, केंद्रीय सतर्कता आयुक्त, केंद्रीय सूचना आयुक्त, एनएचआरसी प्रमुख के चयन से संबंधित कमेटियों के सदस्य होंगे और इनकी नियुक्ति में नेता विपक्ष का अहम रोल रहेगा। राहुल गांधी इन पैनल के बतौर सदस्य के रूप में शामिल होंगे।

पीएम के साथ बैठक में शामिल होंगे

इन सारी नियुक्तियों में राहुल नेता प्रतिपक्ष के तौर पर उसी टेबल पर बैठेंगे, जहां प्रधानमंत्री और सदस्य बैठेंगे। इन नियुक्तियों से जुड़े फैसलों में प्रधानमंत्री को नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी से भी उनकी सहमति लेनी होगी। उनकी राय और मशविरा इन हर नियुक्तियों में मायने रखेगा।

सरकार की कमेटियों के भी हिस्सा होंगे

यही नहीं राहुल गांधी सरकार के आर्थिक फैसलों की लगातार समीक्षा कर सकेंगे और सरकार के फैसलों पर टिप्पणी भी कर सकेंगे। वे लोक लेखा कमेटी के भी प्रमुख बन जाएंगे, जो सरकार के सारे खर्चों की जांच करती है और उनकी समीक्षा करने के बाद टिप्पणी भी करती है। राहुल गांधी संसद की मुख्य कमेटियों में भी बतौर नेता प्रतिपक्ष के रूप में शामिल होंगे और उनके पास ये अधिकार होगा कि वो सरकार के कामकाज

की लगातार समीक्षा करते रहेंगे।

जानिए क्या-क्या शक्तियां और अधिकार...

-कैबिनेट मंत्री के बराबर रैंक

-सरकारी सुसज्जित बंगला

-सचिवालय में आफिस

-उच्च स्तरीय सुरक्षा

-मुफ्त हवाई यात्रा

-मुफ्त रेल यात्रा

-सरकारी गाड़ी या वाहन भत्ता

-3.30 लाख रुपए मासिक वेतन-भत्ते

- प्रति माह सत्कार भत्ता

- देश के भीतर प्रत्येक वर्ष के दौरान 48 से ज्यादा यात्रा का भत्ता

- टेलीफोन, सचिवीय सहायता और चिकित्सा सुविधाएं

क्या कार्य होते हैं नेता विपक्ष के...

लोकसभा में नेता विपक्ष का कार्य सदन के नेता के ठीक विपरीत होता है, लेकिन फिर भी नेता विपक्ष की जिम्मेदारी सदन में काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। विपक्ष लोकतांत्रिक सरकार का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। विपक्ष से प्रभावी आलोचना की अपेक्षा की जाती है, इसलिए यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि संसद का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा विपक्ष है। जहां सत्ता पक्ष का काम सरकार चलाना तो है तो वहीं विपक्ष का काम उसकी आलोचना करना है। इस प्रकार दोनों के कार्य और अधिकार हैं। सरकार और मंत्रियों पर हमले करना विपक्ष के कार्य हैं। एक काम यह भी है कि विपक्ष की तरफ से दोषपूर्ण प्रशासन पर सवाल किए जाएं और डटकर विरोध किया जाए। विपक्ष और सरकार समान रूप से सहमति से चलते हैं। यदि आपसी सहनशीलता का अभाव रहा तो संसदीय सरकार की प्रक्रिया टूट जाती है।

पिता, माता के बाद अब बेटे को नेता विपक्ष की जिम्मेदारी

यह तीसरा मौका है जब गांधी परिवार का कोई सदस्य लोकसभा में विपक्ष के नेता की भूमिका में आया है। इससे पहले सोनिया गांधी और राजीव गांधी भी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके हैं। सोनिया गांधी ने 13 अक्टूबर 1999 से 06 फरवरी 2004 तक नेता प्रतिपक्ष को जिम्मेदारी संभाली थी। इसके अलावा राजीव गांधी भी 18 दिसंबर 1989 से 24 दिसंबर 1990 तक नेता विपक्ष रहे।

जानिए कांग्रेस ने राहुल की नियुक्ति पर क्या कहा...

इससे पहले मंगलवार रात कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के आवास पर इंडिया ब्लॉक के फ्लोर नेताओं की बैठक हुई जिसमें विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी की नियुक्ति पर निर्णय की घोषणा की गई। एआईसीसी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बताया कि सीपीपी चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कांग्रेस पार्टी के फैसले के बारे में प्रोटेम स्पीकर को पत्र लिखा। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा, 18वीं लोकसभा में जनता का सदन सही मायनों में अंतिम व्यक्ति की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करेगा और राहुल गांधी उनकी आवाज बनेंगे।

दस साल बाद विपक्ष को मिला नेता 

सत्ता पक्ष में भाजपा तो विपक्ष में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। कांग्रेस के 99 सांसद चुने गए हैं। वहीं, कांग्रेस को 10 साल बाद फिर विपक्ष के नेता का पद मिला है। 2014 और 2019 में कांग्रेस के पास इतने सांसद नहीं थे कि वो नेता विपक्ष के लिए दावेदारी कर पाते। कांग्रेस ने 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने सांसदों की संख्या लगभग दोगुनी कर ली है। 2019 में कांग्रेस की 52 सीटें आई थीं। इस बार 99 सीटों पर पार्टी ने जीत दर्ज की है।

वहीं 2014 के चुनाव में कांग्रेस केवल 44 सीटें जीतने में सफल रही थी। 2014 और 2019 में बीजेपी के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस मुख्य विपक्षी दल की मान्यता हासिल करने में कामयाब नहीं रही थी। दरअसल, नियम है कि जिस पार्टी के पास 10 प्रतिशत से कम सीटें हैं, वो निचले सदन में विपक्ष के नेता के पद का दावा नहीं कर सकती। इस बार कांग्रेस पार्टी के पास दस प्रतिशत से अधिक सीटें हैं तो वहीं उनके साथ विपक्षी दल भी है।

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