Muslim Vote Bank: कोशिशों के बाद भी मुस्लिम वोटों को रिझा नही पाई भाजपा
Muslim Vote Bank: भाजपा ने इस बार दलितों और मुस्लिमों के गठजोड़ को पसमांदा समाज के सहारे साधने तकरीबन भर से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया।
Muslim Vote Bank: लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद भाजपा हाईकमान की आंखे खुल गई है और अब पार्टी 2027 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम वोटों को अपने पाले में करने की कवायद पर बनी रणनीति पर पुनर्विचार करने को तैयार है। क्योंकि मुस्लिम वोट के लिए किए गए उसके प्रयास पूरी तरह चुनाव में असफल सिद्ध हुए हैं । भाजपा को लग रहा है मुस्लिम वोटों की ताकत के सहारे अगले विधानसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस का गठबंधन उनके लिए मुरिकले बढ़ा सकता है।लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा की मुस्लिम नेताओं को मंत्री और एमएलसी बनाने की रणनीति पूरी तरह असफल साबित हुई है।
भाजपा ने इस बार दलितों और मुस्लिमों के गठजोड़ को पसमांदा समाज के सहारे साधने तकरीबन भर से अधिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। लेकिन उसकी मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की रणनीति असफल हुई है। भाजपा नीत क एनडीए गठबंधन को एक फीसदी मुस्लिम वोटबैंक भी नहीं मिल सका।मुस्लिम वोटों को घसीटने की जिम्मेदारी आरएसएस की इकाई मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रमुख इंदेश कुमार को दी गई थी जिन्होंने भी खूब परिश्रम किया। उन्होंने भाजपा को जीत दिलाने के वास्ते खूब मेहनत भी की लेकिन ये कवायद भी धरी रह गयी।
ऐसे में मिशन 2027 में भी मुस्लिमों द्वारा भाजपा को नकारा जाना तय है इस बार के चुनाव में प्रदेश भर में करीब दो करोड़ मुस्लिमों ने वोट किया था। लेकिन भाजपा को लग रहा है कि इण्डिया गठबंधन के बैनर तले 2027 में भी अगर सपा और कांग्रेस साथ रहीं तो मुस्लिम फिर एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ ही वोट करेगा। बसपा पहले ही बयान देकर मुस्लिमों की नाराजगी मोल ले चुकी है।दरअसल मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा को बहुत गिनती का वोट मिला है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के कई मतदान केंद्रों में कमजोर प्रदर्शन देखने कों मिला है। यह बात सही है कि प्रर्दशन उतना अच्छा नहीं है जितना हमको उम्मीद थी।
भाजपा सरकार में साल 2017 से 2022 के बीच में मोहसिन राजा मंत्री भी बनाए गए थे। उनके अलावा बुक्कल नवाब को भी एम एल सी बनाया गया था। फिर 2022 की चुनाव के बाद दानिश आजाद अंसारी को एमएलसी और मंत्री बनाया था। एक समय भाजपा के प्रोफेसर तारिक मंजूर को भी भाजपा ने के खेमे में कुल चार मुस्लिम एमएलसी थे।यूपी में करीब आठ करोड़ लोगों ने मतदान किया। इनमे से लगभग दो करोड़ मतदाता मुस्लिम थे। जिनमें से मात्र आधा फीसदी मुस्लिम मतदाताओं ने ही भाजपा को वोट दिया है। संख्या में परिवर्तित करने पर यह करीब एक लाख होती है। जानकारी के अनुसार पूपी में तमाम मतदान केंद्र ऐसे भी थे, जहां मुस्लिमों ने दहाई के अंक के बराबर भी भाजपा को वोट नहीं दिया। भाजपा के मुस्लिम मोर्चे ने बूथों की रिपोर्ट जुटाई है, जहां पार्टी को वोट मिले हैं। लेकिन जहां वोट नहीं मिले उसको रिपोर्ट अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है। प्रदेश भर में 50 हजार कार्यकर्ताओं को मुस्लिम बहुल सीटों की लॉबिंग के लिए लगाया गया था।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा की ओर से पसमांदा सम्मेलन, मुस्लिम सम्मेलन, मोदी भाई जान सम्मेलन और ऐसे ही अनेक कार्यक्रमों का आयोजन पूरे प्रदेश में समय-समय पर किया गया। प्रधानमंत्री मोदी की बात करें तो उनके मन की बात को उर्दू पुस्तक का स्वरूप देकर मदरसों तक पहुंचाया गया। जिलों जिलों में मुस्लिम सम्मेलन आयोजित किए गए। मौलानाओं से संपर्क किया गया। सरकार और संगठन में पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने का दावा किया गया। इसके बावजूद भाजपा के हाथ कुछ नही लगा। भाजपा का मानना है कि सपा-कांग्रेस कमजोर होंगे तभी तीसरे दल को वोट करेंगे ।
मुस्लिम राजनीतिक विश्लेषक कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी कितना भी प्रयास कर ले मगर जिस तरह की राजनीति हो रही है, उसमें मुस्लिम कभी भी भाजपा को वोट नहीं देंगे। वह केवल उस राजनीतिक दल को वोट देंगे जो भाजपा को हराने में सक्षम होगा। अगर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस कमजोर होंगे तो वह तीसरे दल को अपना नेता चुन लेंगे, मगर भाजपा को कभी नहीं जिताएंगे। देखना लाजिमी होगा कि सपा और कांग्रेस का गठबंधन 2027 में क्या गुल खिलाएगा। इसे लेकर भाजपा फिर से रणनीति बनाने में जुट गई है।