Election 2024: हार-जीत का मंथन
Election 2024: इस 18वें लोकसभा चुनाव की प्रमुख विशेषता यह रही कि इस चुनाव के परिणाम से विजय अथवा पराजय प्राप्त करने वाले समस्त दल संतुष्ट रहे।
Election 2024: वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव शांतिपूर्ण सम्पन्न हो गए हैं और मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए सरकार का शपथग्रहण समारोह भी भव्यता के साथ सम्पन्न हो गया, जिसमे विदेशी अतिथिगणों ने भी उपस्थित होकर मोदी जी को शुभकामनाएँ प्रेषित कीं। इस 18वें लोकसभा चुनाव की प्रमुख विशेषता यह रही कि इस चुनाव के परिणाम से विजय अथवा पराजय प्राप्त करने वाले समस्त दल संतुष्ट रहे। इन चुनावों में हिंसा पर अंकुश लगने के कारण सुरक्षाबलों की कार्यशैली की भी प्रशंसा की गई। परन्तु अनेक कारणों से चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी आक्षेप लगते रहे, यथा - चुनावो को तीक्ष्ण गर्मी में सम्पन्न कराने का निर्णय, चुनावों में अनर्गल भाषण पर नियंत्रण लगाने में असमर्थ होना आदि। सम्भव है कि इस विषय पर चुनाव आयोग की भी कुछ अपनी विवशता रही हो।
भाजपा ने देशभक्त मोदी जी जैसे श्रेष्ठ व्यक्तित्व और हिन्दुवादी नेता योगी जी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और जीत प्राप्त की। इस जीत से यह तथ्य पूर्णतया स्पष्ट हो जाता है कि देश में मोदी जी के समकक्ष नेतृत्व करने वाला कोई भी नेता जनता को स्वीकार्य नहीं है। यद्यपि मोदी जी के द्वारा 400 सीटों पर जीत का नारा उचित था, क्योंकि विगत 10 वर्षों के कुशल नेतृत्व के पश्चात जनता से 400 सीट की अपेक्षा करना अतिश्योक्ति नहीं थी, इतना ही नहीं, मोदी जी के घोर विरोधी पक्ष भी उनके द्वारा पूर्ण बहुमत प्राप्त करने के तथ्य को स्वीकारते थे। परन्तु जब परिणाम स्पष्ट हुए तो पक्ष व विपक्ष दोनों ही अत्यधिक अचम्भित हुए, मोदी जी के द्वारा प्राप्त सीटों का आंकड़ा मात्र 240 रह गया, जोकि बहुमत के निर्धारित आंकड़े 272 से भी कम था।
उपरोक्त परिणामों का आंकलन करके यह स्पष्ट होता है कि जनता भाजपा के द्वारा लिए गए एकमत निर्णयों से प्रसन्न नहीं थी, जनता के मध्य व्याप्त रोष का कारण जानकर उस पर गम्भीरता से मंथन करना होगा। एक कुशल नेतृत्व को जनता के मन की व्यथा को जानकर उसका समाधान करना चाहिए तभी राजनेतिक भविष्य की राह सुगम हो सकेगी। वर्ष 2024 में ही 5 राज्यों, यथा- महाराष्ट्र, दिल्ली, बिहार, झारखंड एवं हरियाणा में विधानसभा चुनाव सम्पन्न होने है और यदि जनता में इसी प्रकार का रोष व्याप्त रहा तो उपरोक्त राज्यों में मोदी जी की जीत असम्भव होगी। इस लोकसभा चुनाव के परिणामों ने यह भी प्रमाणित कर दिया है कि जनता को वोट प्राप्ति के लिए मात्र 5 किलो अनाज और किसानों को 2000 रूपये प्रतिमाह देकर आकर्षित नहीं किया जा सकता।
इसके विपरीत इन लोकसभा चुनावों में रोजगार, मँहगाई, भ्रष्टाचार, जीएसटी की अत्यधिक दर का होना, भाजपा सरकार के अनेक मंत्रियों का जनता के प्रति नकारात्मक व्यवहार, प्रशासनिक एवं शासकीय अधिकारियों द्वारा जनता के कार्यो को प्राथमिकता न देना, वर्षों तक विलम्बित फाईलों का शीघ्र निस्तारण न करना आदि ऐसे अनेकों कारण है जिनका निस्तारण अतिशीघ्र होना आवश्यक है। इन सांकेतिक कमियों तथा अन्य अनेकों कमियों का कैसे निस्तारण किया जाएगा, इस पर मंथन किया जाना अतिआवश्यक है। यदि नवगठित मंत्रिमंडल के बनने से पूर्व इस विषय पर मंथन कर लिया जाता तो इसका स्वरूप भिन्न होता। गठबंधन सरकार में वृहद मंत्रीमंडल का गठन करना मोदी जी की विवशता थी, जिसका निकट भविष्य में और विस्तार किया जाना सम्भव है।
वर्तमान सरकार के गठन में सहयोगियों को मंत्रीमंडल में स्थान देना ही पर्याप्त नहीं होगा अपितु वे विभिन्न सरकारी निगमों और संस्थाओं में भी अपना हिस्सा मांगेगे। इस प्रकार से मोदी जी अपने सहयोगी दलों को कभी भी पूर्णतया प्रसन्न नहीं कर पायेगें। उनपर अनावश्यक दवाब ही बना रहेगा।राजनीति में एक कुशल नेतृत्व जनता के हितार्थ अनेकों योजनाएं निर्धारित कर उनको क्रियान्वित करने का प्रयास करता है। प्रधानमंत्री मोदी जी को पूर्ण धैर्य तथा नीर-क्षीर, विवेक के साथ इस चुनौती का सामना करना होगा।