Lok Sabha Election 2024:गोंडा लोकसभा, जहां दशरथ की गायें चरती थीं, वहाँ कमल खिलाने की चुनौती

Lok Sabha Election 2024: काकोरी कांड के नायक क्रांतिकारी राजेंद्र लाहिड़ी को वर्ष 1927 में निर्धारित तारीख से 2 दिन पहले गोंडा जेल में ही फांसी दी गई थी।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2024-05-17 10:02 IST

Lok Sabha Election ( Social Media Photo)

Lok Sabha Election 2024:अवध में आने वाला गोंडा क्षेत्र पुरातात्विक ऐतिहासिक और धामिक स्थलों से समृद्ध है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, यहां राजा दशरथ की गायें चरा करती थीं। इस वजह से इसको गोनार्द के नाम से जाना जाता था। इक्ष्वाकुवंशीय राजा दिलीप ने इसी क्षेत्र में नन्दिनी गाय की सेवा की थी।गोंडा महाबली भीम द्वारा स्थापित पृथ्वी नाथ मंदिर, झालीधाम मंदिर जहां कामधेनु गाय दिखाई पड़ती है और स्वामी नारायण छपिया मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। गोंडा क्षेत्र में 1821 गांव आते हैं और यह मूलतः ग्रामीण इलका ही है। इस क्षेत्र में गन्ने की काफी खेती होती है। यहां शुगर मिल बहुतायत में हैं। भारत की बड़ी शुगर मिलों में से एक कुंदरखी में मौजूद है। काकोरी कांड के नायक क्रांतिकारी राजेंद्र लाहिड़ी को वर्ष 1927 में निर्धारित तारीख से 2 दिन पहले गोंडा जेल में ही फांसी दी गई थी।

विधानसभा सीटें

इस लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं - उतरौला, मेहनौन, गोंडा, मनकापुर (एससी) और गौरा। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन सभी सीटों पर भाजपा का कब्जा है।


जातीय समीकरण

एक अनुमान के मुताबिक यहाँ मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब 23 फीसदी है, ब्राह्मण 21 फीसदी और क्षत्रिय 16 फीसदी हैं। इनके अलावा ओबीसी 16 फीसदी दलित 11 फीसदी बताये जाते हैं।


राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव

- अंग्रेजों के खिलाफ 1857 के पहले विद्रोह में राजा देवी बख्श सिंह की क्रांति का गवाह रहे गोंडा में मनकापुर राजघराने का सिक्का हमेशा से चलता आया है। इस स्टेट के वंशज कीर्तिवर्धन सिंह यहां से वर्तमान सांसद हैं। इस स्टेट के आखिरी शासक राघवेंद्र प्रताप सिंह दो दशक से ज्यादा समय तक कांग्रेस में सक्रिय रहे।

- 1952 में इस क्षेत्र में दो संसदीय सीट थी। गोंडा नॉर्थ सीट के नाम से जाना जाता था और यहां से चौधरी हैदर हुसैन ने जीत हासिल की थी। इसके अलावा गोंडा वेस्ट सीट से हिंदू महासभा की शकुंतला नायर ने जीत हासिल की थी।

- गोंडा लोकसभा सीट पर पहली बार 1952 में चुनाव हुआ। तब हिंदू महासभा की की शकुंतला नायर जिले की पहली सांसद चुनी गईं। 1957 के चुनाव में यहां कांग्रेस की एंट्री हुई । उसके प्रत्यााशी दिनेश प्रताप सिंह लोकसभा सदस्य बने।

- 1962 में कांग्रेस के रामरत्नि गुप्ता सांसद बन गए।

- 1964 में स्वतंत्र पार्टी के एन दांडेकर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 1967 में कांग्रेस ने सुचेता कृपलानी पर दांव लगाया जिन्होंने जीत हासिल की।

- 1971 में पहली बार मनकापुर स्टेट ने लोकसभा चुनाव में अपनी दस्तक दी। कांग्रेस ने मनकापुर के कुंवर आनंद सिंह को टिकट दिया और वह सांसद बन गए। 1977 की जनता लहर को छोड़कर वह 1980, 1984 और 1989 में भी कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने।

- 1977 में इस सीट पर भारतीय लोकदल के प्रत्याशी सत्यदेव सिंह जीते थे।

- 1991 के राम लहर में भजपा की एंट्री हुई जब पार्टी ने लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने वाले बृजभूषण शरण सिंह को मैदान में उतारा। बृजभूषण ने तत्कालीन कांग्रेस सांसद आनंद सिंह को करारी शिकस्त दी।

- 1996 में बृजभूषण की पत्नी केतकी देवी सिंह विजयी रहीं।

- 1998 के लोकसभा चुनाव में सपा ने आनंद सिंह के बेटे कीर्तिवर्धन सिंह को टिकट दे दिया और उन्होंने बृजभूषण सिंह हरा दिया।

- 1999 में एक बार फिर बृजभूषण ने बाजी पलटी और कीर्तिवर्धन सिंह को पटखनी दे दी।

- 1990 के बाद की राजनीति पर बात की जाए तो 1991 से भाजपा के बृजभूषण शरण सिंह ने जीत हासिल की थी। 2009 के चुनाव में कांग्रेस के बेनी प्रसाद वर्मा ने जीत हासिल की थी।

- 2014 में भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह ने बढ़िया अंतर से मुकाबला जीत लिया। कांग्रेस के कद्दावर नेता बेनी प्रसाद वर्मा चौथे स्थान पर रहे।

- 2019 में भाजपा की ओर से कीर्तिवर्धन सिंह ने जीत दर्ज की थी।


इस बार के उम्मीदवार

- इस बार के चुनाव में इस संसदीय क्षेत्र से इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी से श्रेया वर्मा मैदान में हैं। भाजपा ने कीर्ति वर्धन सिंह को टिकट दिया है। बहुजन समाज पार्टी से सौरभ मिश्रा उम्मीदवार हैं।


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