Lok Sabha Election 2024:कैसरगंज लोकसभा, बृज भूषण शरण के सामने सियासी विरासत सौंपने की ज़िम्मेदारी
Lok Sabha Election 2024: वनवास के दौरान पांडवों और माता कुंती ने भी इस स्थान का दौरा किया था।महाराजा जनक के गुरु ऋषि अष्टावक्र, ऋषि वाल्मिकी और ऋषि बालार्क भी यहीं रहते थे
Lok Sabah Election 2024: यह क्षेत्र वन, ग्रामीण और कृषि क्षेत्र है।कैसरगंज में श्री राम जानकी मंदिर, हनुमान मंदिर, नागेश्वर देव दरबार मंदिर, भगवती मंदिर, कटका मंदिर, गजधारपुर धाम और मनकामेश्वर नाथ मंदिर प्रसिद्ध धार्मिक स्थल हैं। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा ने इस वन-आच्छादित क्षेत्र को ऋषियों और साधुओं की पूजा स्थली के रूप में विकसित किया था। कुछ अन्य इतिहासकारों के अनुसार मध्यकाल में यह स्थान ‘ भर’ राजवंश की राजधानी थी।पुराणों के अनुसार भगवान राम और राजा प्रसेनजित के पुत्र राजा लव ने बहराइच पर शासन किया था। वनवास के दौरान पांडवों और माता कुंती ने भी इस स्थान का दौरा किया था।महाराजा जनक के गुरु ऋषि अष्टावक्र, ऋषि वाल्मिकी और ऋषि बालार्क भी यहीं रहते थे।
विधानसभा क्षेत्र
- 2009 के परिसीमन के बाद कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से बाराबंकी को हटाकर गोंडा जिले की तीन विधानसभा सीटों - तरबगंज, करनैलगंज और कटरा तथा बहराइच जिले के कैसरगंज और पयागपुर मिलाकर इसे नया रूप दिया गया। इस तरह कैसरगंज क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्रा है - पयागपुर, कैसरगंज, कटरा बाजार, कर्नलगंज और तरबगंज। इनमें कैसरगंज सीट पर समाजवादी पार्टी का कब्जा है जबकि बाकी सब भाजपा के पास हैं।
जातीय समीकरण
- जातीय समीकरण के लिहाज से यहां ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। करीब साढ़े चार लाख ब्राह्मण वोटर हैं। इसीलिए सभी दलों की निगाहें ब्राह्मणों पर ही रहती हैं। इस क्षेत्र में 18 फीसदी
दलित और 25 फीसदी मुस्लिम हैं जो एकतरफा ध्रुवीकरण को पलटने की क्षमता रखते हैं।
राजनीतिक इतिहास और पिछले चुनाव
- कैसरगंज संसदीय क्षेत्र बहराइच की दूसरी लोकसभा सीट है।
- 1952 में यह सीट गोंडा वेस्ट सीट के तहत थी जिस पर जनसंघ की शकुंतला नायर ने जीत हासिल की थी। 1957 में कैसरगंज लोकसभा सीट बनने के बाद वह 1967 और 1971 में भी इस सीट से जीत हासिल करने में कामयाब रहीं।
- 1952 में हिन्दू महासभा की शकुन्तला नायर जीतीं।
- 1957 में कांग्रेस के भगवानदीन मिश्रा को जीत हासिल हुई।
- 1962 में स्वतंत्र पार्टी से बसंत कुमारी को जीत मिली।
- 1967 और 1971 में भारतीय जनसंघ से शकुन्तला नायर ने जीत दर्ज की।
- 1977 में जनता पार्टी की लहर में रूद्र सेन चौधरी विजयी रहे।
- 1980 और 1984 में कांग्रेस के राणा वीर सिंह ने जीत दर्ज की।
- 1989 में भाजपा के टिकट पर रूद्र सेन चौधरी को विजय मिली।
- 1991 में हुए चुनाव में भाजपा के ही लक्ष्मण मणि त्रिपाठी को जीत हासिल हुई।
- 1996, 98, 99, 2004 और 2009 में लगातार पांच बार समाजवादी पार्टी के बेनी प्रसाद वर्मा ने झंडा गाड़ा।
- 2014 और 2019 में भाजपा से बृजभूषण सिंह ने जीत दर्ज की।
इस बार के उम्मीदवार
- इस बार के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने बृजभूषण शरण सिंह की जगह उनके बेटे करण भूषण पर दांव लगाया है। वहीं इंडिया अलायन्स के तहत समाजवादी पार्टी ने राम भगत मिश्रा जैसे वरिष्ठ अधिवक्ता को मैदान में उतारा है। बसपा ने भी ब्राह्मण वोट बैंक को साधने के लिए नरेंद्र पांडेय को मैदान में उतार कर लड़ाई को रोचक बना दिया है। ऐसे में करण भूषण के सामने पिता बृजभूषण की सियासी विरासत को आगे बढ़ाने की चुनौती है।