UP Loksabha Election: चंदौली में महेंद्र नाथ पांडेय के सामने कई चुनौतियां,जातीय समीकरण के जरिए सपा ने केंद्रीय मंत्री को घेरा

UP Loksabha Election: निषाद, बिंद, पटेल, कुर्मी और कुशवाहा मतदाताओं की भूमिका भी इस इलाके में काफी महत्वपूर्ण है। सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और राजपूत मतदाता भी प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं।

Report :  Anshuman Tiwari
Update:2024-05-26 14:34 IST

Chandauli News: Mahendra Nath Pandey and Virendra Singh (Pic:Newstrack)

UP Loksabha Election: लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में पूर्वांचल की महत्वपूर्ण लोकसभा सीट चंदौली पर भी एक जून को मतदान होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट वाराणसी के बिल्कुल बगल वाली इस सीट पर केंद्रीय मंत्री डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरे हैं। महेंद्र नाथ पांडेय की ओर से इस सीट पर हैट्रिक लगाने की कोशिश की जा रही है मगर उनके सामने कई चुनौतियां भी दिख रही हैं।

समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर प्रदेश के पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह को चुनावी अखाड़े में उतारा है। सपा ने जातीय समीकरण के जरिए केंद्रीय मंत्री की मजबूत घेराबंदी कर रखी है। भाजपा की ओर से पीएम मोदी और सीएम योगी योगी के नाम पर सपा के चक्रव्यूह को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी ने यहां पर सत्येंद्र कुमार मौर्य को अपना प्रत्याशी बनाया है। उन्होंने भी अपनी पूरी ताकत लगा रखी है मगर मुख्य रूप से मुकाबला सपा और भाजपा के बीच ही माना जा रहा है।


हैट्रिक लगाने उतरे हैं महेंद्र नाथ पांडेय

चंदौली को धान का कटोरा कहा जाता है और इस जिले की सीमा पूर्वांचल में एक और वाराणसी से तो दूसरी ओर बिहार से लगती है। 27 साल पहले मायावती ने इसे वाराणसी से अलग करके जिले का दर्जा दिया था। करीब साढ़े 18 लाख मतदाताओं वाले इस संसदीय क्षेत्र का अधिकांश इलाका ग्रामीण है और अभी भी पिछड़ेपन का दंश झेल रहा है। इस इलाके के अधिकांश लोग खेती-किसानी पर ही निर्भर हैं मगर सिंचाई के पर्याप्त साधन न होने के कारण लोगों को हमेशा दिक्कतों का सामना करना पड़ता रहा है।

केंद्रीय मंत्री महेंद्र नाथ पांडेय ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में यहां से जीत हासिल की थी। वह इस बार हैट्रिक लगाने के लिए चुनावी अखाड़े में उतरे हैं। वे क्षेत्र में विकास के तमाम काम कराने का दावा करते रहे हैं मगर क्षेत्र के लोगों को विकास को लेकर तमाम शिकायतें भी रही हैं जिसका जवाब देना उनके लिए मुश्किल साबित हो रहा है।

जातीय समीकरण साधना सबसे बड़ी चुनौती

चंदौली लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें शामिल हैं। इस संसदीय क्षेत्र में जिले की मुगलसराय, सकलडीहा और सैयदराजा तीन विधानसभा सीटें शामिल हैं। इनके अलावा वाराणसी की अजगरा और शिवपुर विधानसभा सीट भी चंदौली में ही शामिल है।

चंदौली के जातीय समीकरण की बात की जाए तो इस लोकसभा क्षेत्र में दलित और यादव मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। दोनों वर्ग से जुड़े मतदाताओं की संख्या ढाई लाख-ढाई लाख से अधिक बताई जाती है। पिछड़ी जाति में मौर्य मतदाताओं की संख्या भी करीब पौने दो लाख के करीब है।

निषाद, बिंद, पटेल, कुर्मी और कुशवाहा मतदाताओं की भूमिका भी इस इलाके में काफी महत्वपूर्ण है। सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और राजपूत मतदाता भी प्रमुख भूमिका निभाते रहे हैं। इस चुनाव क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं की संख्या 10 फ़ीसदी से भी कम है।

पिछली बार काफी कम वोटों से जीती थी भाजपा

1984 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस एक बार भी जीत हासिल नहीं कर सकी है। इसका बड़ा बड़ा कारण क्षेत्रीय पार्टियों का उदय और जातीय समीकरण ही रहा है। 1999 से 2009 तक के तीन चुनावों में सपा-बसपा आपस में इस सीट को एक-दूसरे से छीनते रहे हैं, लेकिन 2014 की मोदी लहर में अपना दल और राजभर पार्टी से भाजपा के गठबंधन ने इस सीट को सपा से छीन लिया था और तकरीबन डेढ़ लाख से ज़्यादा मतों से महेन्द्र पांडेय यहां विजयी हुए थे।

2019 के लोकसभा चुनाव में भी डॉ.महेंद्र नाथ पांडेय ने इस सीट पर जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में इस सीट का सियासी समीकरण बदल गया था 2019 में इस सीट पर महेंद्र नाथ पांडेय का मुकाबला जनवादी पार्टी के संजय सिंह चौहान से हुआ था। वे सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे। ऐसे में भाजपा और सपा की सीधी लड़ाई में महेंद्र नाथ पांडेय ने सिर्फ 13,959 मतों के अंतर से ही इस सीट पर जीत हासिल की थी।


भाजपा को मिल रही सपा से कड़ी चुनौती

इस बार के लोकसभा चुनाव में 2009 में यहां जीत हासिल करने वाले रामकिशुन यादव और सैयदराजा से सपा के विधायक रहे मनोज सिंह डब्लू भी टिकट के दावेदार थे, लेकिन सपा मुखिया अखिलेश यादव ने वीरेंद्र सिंह को चुनावी अखाड़े में उतार दिया। चुनाव पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह नतीजा आने पर ही स्पष्ट हो सकेगा। वैसे सपा की ओर से इस बार फिर भाजपा प्रत्याशी डॉक्टर महेंद्र नाथ पांडेय की तगड़ी घेराबंदी की गई है।

भाजपा और सपा दोनों दलों की ओर से जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया जा रहा है। महेंद्र नाथ पांडेय पीएम मोदी और योगी के नाम पर क्षेत्र के विकास का दावा कर रहे हैं जबकि सपा प्रत्याशी वीरेंद्र सिंह क्षेत्र के पिछड़ेपन का हवाला देते हुए भाजपा पर हमलावर हैं। वैसे राम मंदिर के निर्माण और मुफ्त अनाज जैसी योजनाओं का असर पूरे संसदीय क्षेत्र में दिख रहा है।

दूसरी ओर यादव-मुस्लिम समीकरण साधने के साथ ही राजपूतों का झुकाव भी सपा की ओर दिख रहा है। ऐसे में चंदौली लोकसभा क्षेत्र में कड़े मुकाबले की बिसात बिछ गई है।


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