BJP Mission 2024: अखिलेश के पीडीए प्लान को मोदी ने दिया बड़ा झटका, 195 में 103 ओबीसी, एससी, एसटी को बनाया उम्मीदवार

BJP Mission 2024: देश की मोदी सरकार को लोकसभा चुनावों में चुनौती देने के लिए विपक्ष के पास अभी भी कोई सबसे बड़ा दांव है तो वह जातिगत जनगणना ही है। अखिलेश अपने पीडीए प्लान से बीजेपी को यूपी में रोकने का प्लान बना रहे हैं। लेकिन बीजेपी ने अपने पहले ही लिस्ट में उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया है।

Update:2024-03-03 19:40 IST

अखिलेश के पीडीए प्लान को मोदी ने दिया बड़ा झटका, 195 में 103 ओबीसी, एससी, एसटी को बनाया उम्मीदवार: Photo- Social Media

BJP Mission 2024: 2024 लोकसभा चुनाव के लिए जारी अपनी पहली लिस्ट में ही पीएम मोदी ने अखिलेश यादव के पीडीए प्लान को बड़ा झटका दे दिया है। वैसे तो लोकसभा चुनाव में जनता का वोट पाने के लिए भाजपा के पिटारे में बताने को बहुत कुछ है। जैसे राम मंदिर निर्माण, मोदी सरकार के दस साल में अर्थव्यवस्था की मजबूत और बेहतर स्थिति, मूलभूत ढांचे का तेज निर्माण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और कल्याणकारी योजनाओं के जरिए करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर लाना आदि शामिल है। लेकिन विपक्ष अभी भी केवल जातिगत जनगणना के मुद्दे के सहारे ही मोदी को चुनौती देने की कोशिश में लगा है।

लेकिन बीजेपी ने अपनी उम्मीदवारों की पहली लिस्ट में ही विपक्ष के इस दांव को ध्वस्त करने का इरादा दिखा दिया है। पार्टी ने अपनी पहली सूची के 195 उम्मीदवारों में 103 पिछड़ा, अनुसूचित जनजाति, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग से मैदान में उतारा है। इसमें 57 ओबीसी, 27 एससी, 18 एसटी और एक अल्पसंख्यक उम्मीदवार शामिल है। यही नहीं शेष सीटों पर भी भाजपा का यह क्रम जारी रह सकता है। मतलब साफ है कि भाजपा ने अखिलेश यादव के पीडीए प्लान और राहुल गांधी के जातिगत जनगणना दांव को इस तरह से मात देने का तगड़ा प्लान तैयार कर लिया है।

अब विपक्ष के मुद्दे की बात

वैसे तो विपक्ष के पास लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को मात देने के लिए कोई बड़ा मुद्दा नहीं है। मोदी सरकार को मात देने के लिए विपक्ष के पास चुनावों में चुनौती देने के लिए अभी भी सबसे बड़ा कोई दांव है तो वह जातिगत जनगणना ही है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए प्लान (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) से भाजपा को उत्तर प्रदेश में रोकने का प्लान बना रहे हैं तो राहुल गांधी अभी भी भारत जोड़ो न्याय यात्रा में पिछड़े और दलित समुदाय की भारतीय प्रशासनिक और आर्थिक व्यवस्था में भागीदारी की बात कर रहे हैं। वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता अभी भी जातिगत आधारित राजनीतिक दलों का गठन कर अपना अस्तित्व बचाने की कोशिशों में लगे हैं।

अब जानिए भाजपा क्या है दावा

वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित पार्टी के सभी नेता लगातार यह बताते रहे हैं कि सामाजिक समीकरणों का सबसे ज्यादा ध्यान उन्होंने रखा है। केंद्र सरकार में मंत्रियों की हिस्सेदारी के साथ-साथ राज्यों की सरकारों और पार्टी संगठन में भी इन वर्गों को बड़ी और सम्मानजनक भागीदारी दी गई है। बता दें कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आंकड़ों के साथ संसद में यह बताया था कि उनकी पार्टी ने सबसे ज्यादा ओबीसी सांसद, विधायक, मंत्री और अन्य पदाधिकारी दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक ओबीसी चेहरे के साथ इस लिस्ट की अगुवाई करते हैं।

विपक्ष के पास कोई ठोस मुद्दा नहीं

राजनीतिक जानकारों की मानें तो विपक्ष भाजपा को रोकने के लिए कितनी भी बातें करे पर हकीकत ये है कि विपक्ष के पास मोदी सरकार को रोकने के लिए अभी कोई बड़ा और कारगर मुद्दा नहीं है। वहीं मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल को देखा जाए तो सरकार पर कामकाज को लेकर भ्रष्टाचार का कोई आरोप नहीं लगा है। मोदी सरकार में अर्थव्यवस्था की गाड़ी भी तेज स्पीड से दौड़ रही है। ऐसे में देखा जाए तो लोकसभा चुनावों में भाजपा को चुनौती देने के लिए विपक्ष के पास कोई ठोस और कारगर मुद्दा नहीं है।

विपक्ष ने भाजपा को चुनौती देने के लिए जातिगत जनगणना जैसा मुद्दा आजमाया है। शायद भाजपा ने यही देखते हुए अपनी रणनीति में हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए समुचित भागीदारी दी है और विपक्ष की इस रणनीति को भविष्य में भी जोरदार जवाब देने की अभी से रणनीति तैयार कर रखी है। अब देखना यह होगा की विपक्ष आखिर भाजपा को 2024 के लोकसभा चुनाव में कैसे रोक पाएगा।

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