Supreme Court: वोटिंग डाटा सार्वजनिक करने की मांग कर रहे याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम झटका, शीष कोर्ट का आदेश देने से इंकार

Supreme Court: राजनीतिक पार्टियों का दावा है कि चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक हफ्ते बाद कुछ और हो जाता। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर कर मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को वेबसाइट पर फॉर्म 17 सी की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने का आदेश दे।

Update: 2024-05-24 06:53 GMT
सांकेतिक तस्वीर (Phot - Social Media)

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका पर तुरंत विचार करने से इनकार कर दिया है जिसमें मांग की गई थी कि चुनाव आयोग को वोटर टर्नआउट (मतदान प्रतिशत) की सही संख्या प्रकाशित करने और अपनी वेबसाइट पर फॉर्म 17C प्रतियां अपलोड करने का निर्देश दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल छठा चरण है. हमारा मानना है कि इस मामले की सुनवाई चुनाव के बाद होनी चाहिए।

बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनावों के बीच कई राजनीतिक पार्टियों ने वोटिंग के आंकड़ों में गड़बड़ी के आरोप लगाए हैं। इन राजनीतिक पार्टियों का दावा है कि लोकसभा चुनाव वाले दिन वोटिंग प्रतिशत कुछ और होता है और एक सप्ताह बाद कुछ और होता है। इसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दायर की गई थी। याचिका में मांग की गई कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को वेबसाइट पर फॉर्म 17सी की स्कैन्ड कॉपी अपलोड करने का आदेश दे।

चुनाव आयोग ने किया विरोध

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR और तृणमूल नेत्री महुआ मोइत्रा की ओर से सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की गई थी। याचिका पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की बेंच ने सुनवाई की और निर्वाचन आयोग के वकील ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह याचिका सुनवाई के योग्य ही नहीं है। उन्होंने कहा कि ये कानून की प्रक्रिया के दुरुपयोग का क्लासिक केस है। देश में चुनाव चल रहे हैं और ये इस तरह बार-बार अर्जी दाखिल कर रहे हैं।

वहीं निर्वाचन आयोग के वकील सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि इन याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना लगाया जाए। ऐसे लोगों का इस तरह का रवैया हमेशा चुनाव की शुचिता पर सवालिया निशान लगाकर जनहित को नुकसान पहुंचा रहा है। आयोग ने कहा कि महज आशंकाओं के आधार पर फर्जी आरोप लगाए जा रहे हैं जबकि सुप्रीम कोर्ट ने हाल दी में दिए अपने फैसले में तमाम पहलू स्पष्ट कर दिए थे।

चुनाव आयोग को बदनाम करना मकसद-मनिंदर सिंह

निर्वाचन आयोग के वकील सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार आयोग को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। स्थापित कानून के मुताबिक फॉर्म 17सी को ईवीएम वीवीपीएटी के साथ ही स्ट्रॉन्ग रूम में रखा जाता है। आरोप लगाया गया है कि फाइनल डेटा में 5 से 6 प्रतिशत का फर्क है। यह आरोप पूरी तरह से गलत और आधारहीन है। चुनावी प्रक्रिया जारी है और आयोग को लगातार बदनाम किया जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने टाइमिंग पर उठाया सवाल

इन दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका दायर करने के समय यानी टाइमिंग पर सवाल खड़ा किया। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने याचिकाकर्ता के वकील दुष्यंत दवे से पूछा कि चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद यह याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर क्यों की गई?

जानें क्या कहा कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस दीपांकर दत्ता ने ADR के वकील दुष्यंत दवे को संबोधित करते हुए कहा कि हम बहुत तरह की जनहित याचिकाएं देखते हैं। कुछ पब्लिक इंटरेस्ट में होती हैं, कुछ पैसे के इंटरेस्ट में होती हैं! लेकिन हम आपको ये कह सकते हैं कि आपने यह याचिका सही समय और उचित मांग के साथ दायर नहीं की है। अंत में बेंच ने कहा कि इस चरण में हम अंतरिम राहत देने के इच्छुक नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को लंबित रखा। अब गर्मी की छुट्टियों के बाद नियमित पीठ इस पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी देश मे चुनाव चल रहा है ऐसे में हम कोई आदेश जारी नहीं करेंगे।

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