UP Lok Sabha Election 2024: चुनावी नतीजों के साथ तय होगा इन दलबदलू नेताओं का भविष्य
UP Lok Sabha Election 2024: कल चुनाव के नतीजों के साथ ही दलबदल करने वाले नेताओं का भाजपा के साथ चुनावी सफर का भी फैसला हो सकता है।
Lok Sabha Election Result: देश में हुए 18वीं लोकसभा चुनाव के नतीजे कल चार जून को आ जाएंगे। इन नतीजों से देश के अगले पांच साल का भविष्य तय हो जाएगा। देश के साथ-साथ उन बागी नेताओं का भविष्य भी तय होगा जिन्होंने राज्यसभा चुनावों में पार्टी लाइन से हटके क्रॉस वोटिंग की है। इनमें राकेश पांडेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, मनोज पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य शामिल हैं। सपा विधायक महाराजी देवी ने राज्यसभा वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। इन नेताओं ने क्रॉस वोटिंग के बाद लोकसभा चुनावों में भी भाजपा के लिए प्रचार किया। दलबदलू नेता भाजपा के लिए कारगर साबित हुए या नहीं इसके आधार पर कल मतगणना के बाद इनके भविष्य का फैसला हो सकता है।
नेताओं की प्रतिष्ठा का सवाल
इस चुनाव में भाजपा ने विपक्षी पार्टियों से आए नेताओं पर दांव खेला। बीजेपी ने कांग्रेस पार्टी के नेता आरपीएन सिंह को राज्यसभा सांसद बनाया। यशवंत सिंह के निष्कासन के दो साल बाद उन्हें इस चुनाव में पार्टी में वापस शामिल किया गया। इसके साथ ही बीजेपी ने कांग्रेस नेता जितिन प्रसाद को पार्टी में शामिल किया। पीलीभीत लोकसभा सीट से वरुण गांधी का टिकट काट कर उम्मीदवार बनाया। चुनाव से ठीक पहले सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को उत्तर प्रदेश सरकार में पंचायती राज सहित तीन मंत्रालय दिए गए। मंत्रालय के साथ ही घोषी से ओपी राजभर के बेटे अरविंद राजभर को उम्मीदवार बनाया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सीटों पर जीतने के लिए आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को अपने साथ कर लिया। जौनपुर में भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर सिंह के विपक्ष में बसपा ने श्रीकला रेड्डी को टिकट दिया। बाद में बसपा ने रेड्डी का टिकट काट दिया। मौके का फायाद उठाकर भाजपा ने बाहुबली नेता घनंजय सिंह का समर्थन प्राप्त कर लिया। ये सभी नेता भाजपा के लिए चुनाव प्रचार करते नजर आए। कांग्रेस और सपा छोड़ कर भाजपा का दामन थामने वाले इन सभी नेताओं की प्रतिष्ठा दावं पर है।
सुभासपा और आरएलडी की परीक्षा
2024 के लोकसभा चुनाव में दो क्षेत्रीय दल आरएलडी और सुभासपा भी भाजपा के साथ हैं। दोनों का राजनीतिक अस्तित्व जातिगत मतदाताओं पर कायम है। सुभासपा की घोषी में पिछड़ी जातियों पर मजबूत पकड़ मानी जाती है। राजभर बाहुल्य इस सीट पर भाजपा ने ओमप्रकाश राजभर के बेटे अरविंद राजभर को टिकट दिया है। साथ ही एक एमएलसी की सीट दी गई। वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 18 प्रतिशत जाट मतदाताओं पर आरएलडी का प्रभाव माना जाता है। पिछले चुनाव में निराशाजनक परिणाम के बाद भाजपा ने जयंत चौधरी को पार्टी में शामिल किया। उनकी पार्टी से एक नेता को मंत्री का पद और एक एमएलसी सीट दी गई। इस चुनाव में बागपत और बिजनौर से आरएलडी ने राज कुमार सांगवान और चंदन चौहान को टिकट दिया है। भाजपा को उम्मीद है कि दोनों पार्टियां अपने क्षेत्रों में कमल खिलाने में कामयाब होंगी। ये गठबंधन भाजपा के लिए अगर फायदेमंद साबित होती है तो आगामी चुनावों में भी इनका साथ देखने को मिल सकता है। दोनों पार्टियां की इस चुनाव में कठिन परीक्षा के बाद ही भविष्य तय होगा।
अमेठी-रायबरेली में सपा के बागी नेताओं का सहारा
अमेठी में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी को सपा नेताओं ने खुलकर समर्थन किया है। गौरीगंज से सपा के तीन बार के विधायक राकेश प्रताप सिंह स्मृति ईरानी का समर्थन कर रहे हैं। उन्होंने भाजपा के लिए जमकर प्रचार किया। माना जाता है कि गौरीगंज क्षेत्र में ठाकुर मतदाताओं की नब्ज राकेश प्रताप के हाथ में ही है। उन्हें अमित शाह के रोड शो में भी देखा गया। इनके साथ ही सपा की बागी विधायक महाराजी देवी भी स्मृति ईरानी के लिए प्रचार करती नजर आईं। दोनों नेताओं के जरिए अगड़ी और पिछड़ी दोनों जातियों के मतदाताओं को साधने की कोशिश की है।
इन दो नेताओं के अलावा ऊंचाहार से लगातार तीन बार विधायक मनोज पांडेय ने भी भाजपा का समर्थन किया। इनके जरिए भाजपा ने ब्राह्मण मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की जुगत की। इनकी पकड़ अमेठी और रायबरेली दोनों सीटों पर है। दोनों सीटों पर भाजपा के लिए मनोज पांडेय ने जमकर प्रचार किया। गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा में भी इन्होंने संबोधित किया था। दोनों सीटों पर बागी विधायकों के सहारे भाजपा अपनी चुनावी नाव पार करने में लगी है।
जौनपुर से बाहुबली नेता धनंजय सिंह
जौनपुर से पूर्व सासंद धनंजय सिंह को भाजपा अपनी पार्टी में शामिल नहीं कर सकी। हालांकि इस चुनाव में पार्टी ने उनका समर्थन प्राप्त कर लिया है। नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव जिंदल के अपहरण के मामले में जेल जाने के बाद धनंजय की पत्नी श्रीकला रेड्डी को बसपा ने जौनपुर से उम्मीदवार बनाया। इसे भाजपा के लिए कड़ी चुनौती मानी जा रही थी। मगर धनंजय के जेल से रिहा होते ही बसपा ने जौनपुर से उम्मीदवार बदल दिया। भाजपा ने इस मौके को लपकते हुए धनंजय सिंह का अपने साथ कर लिया। जौनपुर और मछलीशहर सीट पर मजबूत पकड़ रखने वाले धनंजय सिंह भाजपा के लिए अहम साबित हो सकते हैं।
पीलीभीत से भाजपा उम्मीदवार जितिन प्रसाद
कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद पर को भाजपा ने पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया है। गौरतलब है कि इस सीट से मौजूदा सासंद वरुण गांधी का टिकट काट दिया। जितिन प्रसाद को उम्मीदवार बनाने से पहले योगी सरकार में मंत्री बनाया गया। ब्राह्मण जाति से आने वाले जितिन प्रसाद की शाहजहांपुर से लेकर धौरहरा सीट तक मजबूत पकड़ मानी जाती है। लंबे समय से राजनीति में रहने के बाद अब भाजपा को जीत दिलाने के लिए काम करते नजर आए। माना जा रहा है कि वो ब्राह्मण समुदाय के मतदाताओं को बीजेपी के पक्ष में लामबंद करने में मददगार साबित हो सकते हैं।
अभय सिंह और राकेश पांडेय ने भी छोड़ा सपा का साथ
अमेठी-रायबरेली के साथ अंबेडकर नगर और गोसाईगंज सीट से विधायक राकेश पांडेय और अभय सिंह ने भी सपा का दामन छोड़ चुके हैं। दोनों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। राकेश पांडेय के बेटे रितेश पांडेय को भाजपा ने अंबेडकर नगर सीट से उम्मीदवार बनाया है। साथ ही अभय सिंह को भी वाई श्रेणी की सुरक्षा दे दी गई। सपा के दोनों विधायक अंबेडकर नगर सीट के अंतर्गत आते हैं। अभय सिंह को बाहुबली नेता माना जाता है। दोनों नेताओं की जातीय समीकरण पर मजबूत पकड़ है। ब्राह्मण और ठाकुर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश की गई। अगर भाजपा को इन दोनों नेताओं से फायाद होता है तो भाजपा इनके राजनीतिक भविष्य पर आगे सोच सकती है।