Bigg Boss 15 Winner: तेजस्वी प्रकाश बनीं बिग बॉस-15 की विजेता, अभिनेत्री की लग गई लॉटरी

Bigg Boss 15 Winner:ट्रॉफी के लिए छह फाइनलिस्ट थे - शमिता शेट्टी, निशांत भट, और रश्मि देसाई के अलावा तेजस्वी, प्रतीक और करण।

Newstrack :  Network
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-01-31 07:39 IST

तेजस्वी प्रकाश (फोटो-सोशल मीडिया)

Bigg Boss 15 Winner: बिग बॉस 15 ग्रांड फिनाले में अभिनेता तेजस्वी प्रकाश बिग बॉस 15 के विजेता के रूप में उभरे हैं जबकि प्रतीक सहजपाल और करण कुंद्रा क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। युवा अभिनेत्री तेजस्वी ने बिग बॉस 15 की ट्रॉफी और 40 लाख रुपये की पुरस्कार राशि लेकर अपने घर की राह पकड़ी। तेजस्वी के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

ट्रॉफी के लिए छह फाइनलिस्ट थे - शमिता शेट्टी, निशांत भट, और रश्मि देसाई के अलावा तेजस्वी, प्रतीक और करण। तेजस्वी प्रकाश बिग बॉस के अलावा खतरों के खिलाड़ी में भी हिस्सा ले चुकी हैं। तेजस्वी प्रकाश की लाटरी लग गई है उन्हें एकता कपूर का टीवी शो नागिन-6 मिला है जिसमें जल्द वो लीड एक्ट्रेस के तौर पर नजर आएंगी।

Bigg Boss 15 Finale:

बिग बॉस 15 के फिनाले को लेकर कल की रात पारा हाई रहा प्रशंसक यह देखने के लिए उत्सुक थे कि इस खिताब को कौन घर ले जाएगा। फाइनलिस्ट रश्मि देसाई के रेस से बाहर होने के बाद, निशांत भट भी बिग बॉस 15 ट्रॉफी की दौड़ से बाहर हो गए।

इसके बाद शमिता शेट्टी बाहर हुईं। कोरियोग्राफर निशांत ने 10 लाख रुपये के मनी बैग के साथ शो छोड़ने का फैसला किया। निशांत के शो से जाने के बाद, बीबी 15 ट्रॉफी के लिए शीर्ष चार प्रतियोगी करण कुंद्रा, तेजस्वी प्रकाश, शमिता शेट्टी और प्रतीक सहजपाल बचे थे।

जिसमें शमिता के बाहर होने के बाद मुकाबला करण कुंद्रा, तेजस्वी प्रकाश और प्रतीक सहजपाल के बीच रह गया था। बाद में करण कुंद्रा भी वोटिंग से बाहर कर दिये गए और मुकाबला तेजस्वी और सहजपाल के बीच रह गया। और अंत में तेजस्वी ने सहजपाल को पछाड़ दिया।

आपको बता दें कि प्रत्येक सीजन में प्रतियोगियों को एक विकल्प दिया जाता है। उन्हें नकदी से भरा ब्रीफकेस दिया जाता है। उनके पास ब्रीफकेस चुनने या परिणाम जानने की प्रतीक्षा करने का विकल्प होता है।

पिछले साल राखी सावंत ने 14 लाख रुपये लेकर शो छोड़ने का फैसला किया था। ऐसा ही बिग बॉस 15 में निशांत भट्ट ने किया है। कई लोगों का मानना है कि यह एक समझदारी भरा फैसला था उनका। क्योंकि वो ट्रॉफी के सबसे मजबूत दावेदारों में से एक नहीं थे।

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