Mukri : मस्जिद का काजी बना अभिनेता, अमिताभ बच्चन को उनकी मूंछों से था लगाव, जाने मुकरी के जीवन से जुड़ी दिलचस्प बातें

फिल्म 'शराबी' का डायलॉग मूछें हों तो नत्थूलाल जैसी हों वरना न हों यह डायलॉग हर सिनेप्रेमी को याद होगा। लेकिन यह डॉयलॉग जिनके लिए कहा गया है क्या आपको उनके बारे में मालूम है।

Written By :  Priya Singh
Update:2022-01-12 14:32 IST

Mukri : 05 जनवरी 1922 को महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग में जन्मे अभिनेता मुकरी (Mukri) का असली नाम 'मोहम्मद उमर मुकरी' था। मुकरी फिल्म इडस्ट्री में दाखिल होने से पहले काज़ी थे। इसलिए वो बहुत धार्मिक, खुदा से डरने वाले और वक्त के पाबंद इंसान थें। मुकरी के कुल पांच बच्चे थें, तीन बेटिया और दो बेटे। मुकरी के सिर्फ एक बेटी नसीम मुकरी को फिल्मों में रुचि थी। बाकि किसी को इस क्षेत्र से लगाव न था। नसीम मुकरी ने अपने फिल्मी करियर में अनेक पाकिस्तानी फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी। वहीं बालीवुड के लिए उन्होंने 'हां मैंने भी प्यार किया'(Haan Maine Bhi Pyaar Kiya)  और अक्षय कुमार-शिल्पा शेट्टी की 'धड़कन' (Dhadkan) का संवाद लिखा।

मुकरी को देख देविका रानी हंसे बिना नहीं रह पाती थीं

मुकरी (Mukri) ने लगभग 600 फिल्मों में काम किया। यह दर्शाता है कि मुकरी का फिल्म इंडस्ट्री में योगदान कितना महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने अपने लिए फिल्म उद्योग में एक निश्चित मुकाम बनाया था। शुरुआती दौर में, मुकरी बॉम्बे टॉकीज़ में सहायक निर्देशक थें। उस समय दिलीप कुमार की फिल्म 'प्रतिमा' (Pratima) की शूटिंग चल रही थी। बॉम्बे टॉकीज़ की मालकिन मशहूर अभिनेत्री देविका रानी (Devika Rani) उन दिनों वहीं पर रहती थीं। वो मुकरी को अक्सर छिपछिपकर देखा करती थीं। उनके छोटे कद, गोल-मटोल चेहरा और दंतविहीन मुस्कान को देखकर देविका रानी हंसे बिना नहीं रह पाती थीं। देविका जब भी मुकरी को देखती, उनकी टेंशन हवा हो जाती। वो सोचती कि यह आदमी कैमरे के पीछे की बजाए परदे पर ठीक रहेगा। इसमें दूसरों के बिना बोले ही हंसाने की भरपूर काबिलियत है।

दिलीप कुमार की हर फिल्म में मुकरी का होना ज़रूरी हो गया

इसके बाद क्या था बस मुकरी (Mukri) परदे पर आ गए। मुकरी की पहली फिल्म दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के साथ थी। सेट पर मुकरी का मिजाज ऐसा होता था कि बहुत कम समय में ही वो सभी के दोस्त बन गए। लेकिन सबसे गहरी दोस्ती उनकी दिलीप कुमार से हुई। यह दोस्ती ताउम्र कायम रही। एक समय पर दिलीप कुमार की हर फिल्म में मुकरी का होना ज़रूरी हो गया। दिलीप के साथ उनकी अनेक यादगार फिल्में रहीं। जैसे कि अनोखा प्यार, आन, अमर, कोहिनूर, आज़ाद, गंगा जमुना, राम और श्याम, बैराग, गोपी, विधाता, कर्मा, इज़्ज़तदार आदि।

हंसने पर भी कभी उनके दांत नहीं दिखाई पड़ते

फिल्मों में उन्हें ज्यादा संवाद बोलने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन फिर भी उनके प्यारे से चेहरे को देखकर दर्शक निहाल हो जाया करते थें। मुकरी (Mukri) जब भी हंसते, तो लगता कि उनके मुंह में एक भी दांत नहीं है। लेकिन ऐसा नहीं था। मुकरी के मुंह में पूरे बत्तीस दांत थें। लेकिन कुदरत ने उन्हें ऐसा चेहरा दिया था कि मुंह खोल कर हंसने पर भी कभी उनकी दांत दिखाई नहीं पड़ते थें। वर्ष 2000 में एक ऐसा काला दिन आया जिस दिन यह हंसता - मुस्कुराता चेहरा सभी के सामने से हमेशा के लिए ओझल हो गया। एक जबरदस्त हार्ट अटैक ने 04 सितंबर, 2000 को मुकरी की जीवनधारा का प्रवाह रोक दिया। उस समय वह 78 साल के थें।

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