लखनऊ : हर दिल अजीज़ शायर साहिर लुधियानवी का जन्म 8 मार्च, 1921 को पंजाब के लुधियाना शहर में हुआ था। साहिर का असली नाम अब्दुल हई था। 25 अक्टूबर, 1980 के दिन साहिर ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया।
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- अब्दुल के पिता फज़ल मोहम्मद ने 12 औरतों से निकाह किया था। अब्दुल 11वीं बीवी के बेटे थे।
- फज़ल मोहम्मद का अपनी बेगमों से व्यवहार ठीक नहीं था ऐसे में अब्दुल की मां ने उनसे तलाक ले लिया।
- साहिर का अर्थ होता है जादूगर। ये नाम उन्हें इकबाल की एक नज़्म से मिला। इसके बाद उन्होंने साहिर और लुधियानवी को आपस में जोड़ दिया।
- साहिर को अमृता प्रीतम से शदीद इश्क था। लेकिन मजहबी दीवारों ने उन्हें एक नहीं होने दिया।
- साहिर की शायरी का रूसी, अंग्रेजी और कई भाषाओं में अनुवाद किया गया।
- पंजाब दंगों के दौरान साहिर लाहौर चले गए। वहां पर सवेरा मैगजीन में एडिटर के तौर पर काफी काम किया।
- पाकिस्तान में उन्होंने सरकार की कड़ी आलोचना की। सरकार को पसंद नहीं आया और वारंट जारी कर दिया गया।
- साहिर दिल्ली आकर बस गए। लेकिन उन्हें पेट भरने के लिए छोटी नौकरियां भी करने पड़ती।
- इसके बाद साहिर मुंबई चले गए। लेकिन काफी समय तक फिल्मों में गीत लिखने का कोई मौका उन्हें नहीं मिला।
- 1945 में उन्होंने आजादी की राह पर फिल्म के लिए गीत लिखे।
- साहिर लता मंगेशकर से 1 रूपया ज्यादा लेते थे। इस बात से नाराज लता साहिर के गीत नहीं गातीं थीं। काफी समय तक ये नाराजगी रही। लेकिन फिर बी आर चोपड़ा के समझाने पर लता साहिर के गीत गाने लगीं।
ये भी उनका ही अंदाज ए बयां है
ये महलों, ये तख़्तों, ये ताजों की दुनिया
ये इनसां के दुश्मन समाजों की दुनिया
ये दौलत के भूखे रिवाज़ों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाये तो क्या है
चलो इक बार फिर से
अजनबी बन जाएं हम दोनों
जाने वो कैसे लोग थे जिनके
प्यार को प्यार मिला
ये देश है वीर जवानों का