�
फिल्म- दंगल
रेटिंग- 4.5/5
निर्देशक- नितेश तिवारी
अवधि- 2 घंटें 41 मिनट
कलाकार- आमिर खान, साक्षी तंवर, फातिमा सना शेख, सान्या मल्होत्रा, अपारशक्ति खुराना आदि।
जैसा कि प्रमोशन से लेकर फिल्म को लेकर दिए साक्षात्कारों से साफ था, फिल्म दंगल कहानी है भूतपूर्व रेसलर महावीर फोगाट की जिसका किरदार निभा रहे हैं आमिर ख़ान। महावीर की पत्नी हैं दया शोभा कौर यानि साक्षी तंवर। महावीर के मन में एक बात कांटे की तरह चुभती है और वो ये कि वो क्यों नहीं भारत के लिए गोल्ड मेडल ला पाये। ये खलिश एक जिद्दी ख्वाहिश की शक्ल लेती है और महावीर ये तय करता है कि वो अपने बेटे को ऐसा तराशेगा कि भारत के लिए स्वर्ण पदक जीत सके। लेकिन उसकी जिद्द तब नतमस्तक होती है जब महावीर और शोभा को बेटा नहीं, बल्कि चार बेटियां होती हैं। हरियाणा जहां बेटियों की हालत उस दौर में ज्यादा खराब थी । वहां महावीर कैसे ये स्वीकार करें कि पहलवानी अब उसके परिवार का हक नहीं बन पायेगी। इस उदासी में रोशनी तब आती है जब महावीर की बेटियां एक लड़के की जमकर पिटाई कर देती हैं। महावीर को एहसास होता है कि उसकी बेटियां बेटों से कतई कम नहीं और यहीं से शुरु हो जाता है असंभव को संभव करने का दंगल। फिल्म इस यात्रा की दमदार और जज्बाती कहानी है जिसे पेश करने में निर्देशक नितेश तिवारी ने काफी ईमानदारी बरती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स आपके रौंगटे खड़े कर देंगे तो ज्यादातर मौकों पर आपकी आंखें नम तो सीना चौड़ा भी होगा। तालियों के साथ फिल्म को लोग थियेटर में खड़े होकर सम्मान देंगे ये तय है।
एक्टिंग
फिल्म दंगल का सबसे मजबूत पक्ष है इसकी कास्टिंग। मिर खान की बात सबसे बाद में करेंगे सबसे पहले करते हैं बाकी किरदारों की बात...छोटी उम्र की गीता यानि कि जायरा वसीम और बबिता यानि सुहानी भटनागर अपनी मासूमियत और हरियाणवी लहजे से पहले आपके दिल में उतरेंगी फिर जब ट्रेनिंग की तपिश से बाहर निकलेंगी तो आपको महावीर फोगाट जैसा फक्र महसूस करने का बराबर मौका भी देंगी। इन दो बाल कलाकारों में भावनाओं और बॉडी लैंग्वेज दोनों में बड़े बड़ो का चित कर देने का माद्दा है। इसी तरह फातिमा शेख और सान्या मल्होत्रा गीता और बबीता के एडल्ट होने के किरदार को कहीं से भी कमतर नहीं जिया है। साक्षी तंवर महावीर की पत्नी के किरदार में हैं और उनकी कास्टिंग का किस्सा भी गजब है। साक्षी किसी के भी दिमाग में नहीं थी और इस रोल के लिए कश्मकश मेकर्स के साथ आमिर के मन में भी चल रही थी..इसी बीच किसी मौके पर आमिर की अम्मी ने साक्षी का नाम सुझाया क्योंकि सीरियल्स में वो उनके काम की मुरीद रही हैं। बस फिर क्या था आमिर ने स्क्रीनटेस्ट लिया और साक्षी अव्वल साबित हुईं।दया शोभा कौर के किरदार के दो रंग हैं..एक उसकी जवानी के तो दूसरा उम्र के ढलने और परिवार के संघर्ष के बीच के एक गवाह के रूप में भी और ये दोनों किरदार साक्षी ने सहजता के साथ पेश किया है वो कमाल लगी है। बात करें मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान की तो महावीर फोगाट का बदन हो या उनकी बेबसी, आमिर खान ने अभिनय का नया पैमाना एक बार फिर सेट कर दिया है। उनकी तारीफ करना दिये को रौशनी दिखाने के बराबर है। ये आमिर खान हैं जो सिनेमा के प्रति एक सुपरस्टार की क्या जिम्मेदारी है बार बार बता रहे हैं लगान, तारे जमीं पर के बाद दंगल उनकी नयी मिसाल है।
�
तकनीकी पक्ष
फिल्म की सिनेमैटोग्राफी और फिल्म का आर्ट डायरेक्शन कमाल का है.. संगीत फिल्म का स्तर उपर उठाता है। खासतौर पर अमिताभ भट्टाचार्य के गीत बापू हानिकारक और धाकड़ फिल्म की यूएसपी हैं। फिल्म के स्पोर्ट्स इवेंट काफी शानदार ढंग से फिल्माये गये हैं। फिल्म के कॉस्ट्यूम रियल हैं और रियल लोकेशन पर फिल्म की शूटिंग इसकी थीम को बाकी स्पोर्ट्स फिल्म से कहीं ज्यादा बेहतर बनाती है।
आगे देखें दंगल का ट्रेलर....
फिल्म दंगल अरसे तक याद रखी जाने वाली फिल्म हैये संदेश देती है अपने एक्शन से न कि बड़े-बड़े भाषण से, सिनेमा को संवारने वाली शानदार फिल्म है। फिल्म को पांच में से साढ़े चार स्टार्स।
आगे देखें केआरके का दंगल रिव्यू...