शोक में डूबा बॉलीवुड, फिल्म 'मुकद्दर का सिकंदर' के इस मशहूर कलाकार का निधन
हिंदी व मराठी फिल्मों रे दिग्गज एक्टर श्रीराम लागू का लंबी बीमारी के बाद पुणे के दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में निधन हो गया। 70-80 के दशक में ज्यादातर हिट फिल्मों के वे हिस्सा रहे। श्रीलागू 92 साल के थे। लागू ने ना सिर्फ बॉलीवुड फिल्मों में काम किया, बल्कि वे मराठी फिल्मों का भी हिस्सा रहे।वे मराठी थियेटर से भी जुड़े रहे।
मुंबई: हिंदी व मराठी फिल्मों रे दिग्गज एक्टर श्रीराम लागू का लंबी बीमारी के बाद पुणे के दीनानाथ मंगेशकर हॉस्पिटल में निधन हो गया। 70-80 के दशक में ज्यादातर हिट फिल्मों के वे हिस्सा रहे। श्रीलागू 92 साल के थे। लागू ने ना सिर्फ बॉलीवुड फिल्मों में काम किया, बल्कि वे मराठी फिल्मों का भी हिस्सा रहे।वे मराठी थियेटर से भी जुड़े रहे।
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श्रीराम लागू का जन्म महाराष्ट्र के सतारा जिले में हुआ था।उन्होंने मेडिकल की पढ़ाई की और एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने थियेटर करना शुरू कर दिया था। वे प्रोग्रेसिव ड्रैमेटिक एसोसिएशन से जुड़े।उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से ENT सर्जरी में डिग्री हासिल की और 6 साल तक पुणे में प्रैक्टिस की। इसके बाद एडिशनल ट्रेनिंग के लिए वे कनाडा और इंग्लैंड भी गए। भारत वापस आने के बाद उन्होंने पुणे में प्रॉपर प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद उन्होंने एक्टिंग के क्षेत्र में कदम रखा।
साल 1969 में वे फुल टाइम एक्टर बन गए। पहले उन्होंने मराठी में कुछ थियेटर किया और अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत की। उनका डेब्यू वसंत कनेटकर द्वारा लिखा गया ओशाला मृत्यु( Oshalala Mrityu )था। उन्होंने साल 1972 में हिंदी फिल्म पिंजरा से अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत की। इसके बाद वो कभी पिता के रोल में, विलेन के रोल में या पुलिस के रोल में नजर आते रहें। श्रीराम लागू ने फिल्म इंडस्ट्री में 100 से भी ज्यादा हिंदी फिल्मों का हिस्सा बनें वे अमिताभ बच्चन की मशहूर फिल्म मुकद्दर का सिकंदर में थे। इसके अलावा उन्होंने हेरा फेरी, घरौंदा, मंजिल, थोड़ी सी बेवफाई, लावारिस, श्रीमान श्रीमती, विधाता, सदमा और इंसाफ की पुकार जैसी फिल्मों में काम किया।
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उन्होंने दीपा लागू से शादी की थी। दीपा खुद भी थियेटर और फिल्मों से जुड़ी हुई थीं। इस शादी से उन्हें 2 बेटे थे और एक बेटी। एक्टिंग के लिए श्रीराम लागू कई बार सम्मानित भी हुए।. उन्हें घरौंदा फिल्म के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर के फिल्म फेयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा साल 1997 में उन्हें कालीदास सम्मान और साल 2010 में उन्हें संगीत नाटक अकेडमी के फेलोशिप अवॉर्ड मिला।उन्होंनें जिन फिल्मों में काम किया उसमें उनकी एक्टिंग शानदार रही। और इस वजह से हमेशा यादों में रहेंगे।