टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को बदल देगा गूगल के खिलाफ मुकदमा

किसी टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ 199 के बाद अमेरिकी सरकार की ये सबसे आक्रामक कार्रवाई है। अमेरिकी सरकार के निशाने पर गूगल के बाद अमेज़न, एप्पल और फेसबुक भी हैं जिनके खिलाफ भी एंटी ट्रस्ट कानून के तहत कार्रवाई तय है।

Update:2020-10-25 13:20 IST
टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री को बदल देगा गूगल के खिलाफ मुकदमा (Photo by social media)

नई दिल्ली: गूगल के खिलाफ अमेरिकी सरकार का मुकदमा इतिहास को दोहरा रहा है। 20 साल पहले माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ सरकार ने ठीक ऐसा हमला बोला था और नतीजतन माइक्रोसॉफ्ट को अपना काम करने का तरीका बदलना पड़ा था और कंपनी कमजोर स्थिति में आ गयी थी। उस घटनाक्रम की याद करके गूगल अवश्य ही नर्वस है क्योंकि इस मुकदमे की परिणीति कम्पनी के लिए कतई अच्छी नहीं होने जा रही।

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किसी टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ 199 के बाद अमेरिकी सरकार की ये सबसे आक्रामक कार्रवाई है। अमेरिकी सरकार के निशाने पर गूगल के बाद अमेज़न, एप्पल और फेसबुक भी हैं जिनके खिलाफ भी एंटी ट्रस्ट कानून के तहत कार्रवाई तय है।

जस्टिस डिपार्टमेंट और 11 राज्य गए हैं अदालत

दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट कंपनी गूगल के खिलाफ मुकदमा अमेरिकी न्याय विभाग और 11 अलग-अलग अमेरिकी राज्यों द्वारा देश के ‘एंटीट्रस्ट’ कानून के कथित उल्लंघन के मामले में दायर किया गया है। ये मुकदमा वाशिंगटन डीसी की फ़ेडरल अदालत में दायर किया गया है। 64 पेज की शिकायत में जस्टिस डिपार्टमेंट के अलावा टेक्सास, अरकंसास, फ्लोरिडा, जॉर्जिया इंडिआना, केंटकी, लुसिआना, मिसिसिपिम मिसूरी, मोंटाना और साउथ कैरोलिना के अटर्नी जनरल भी शामिल हैं। ये शिकायत एक साल की जांच के बाद दायर की गयी है।

एकाधिकार या दादागिरी

गूगल पर आरोप है कि वह ऑनलाइन सर्च में कम्पटीशन और उपभोक्ता हितों को नुकसान पहुंचाने के लिए अपने एकाधिकार का गलत इस्तेमाल कर रहा है। मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल ने ऑनलाइन सर्च और विज्ञापन में अपने प्रभुत्व का इस्तेमाल प्रतिस्पर्धा को खत्म करने और उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाने में किया है।

मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि गूगल फोन निर्माता कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए पैसे देता है कि डिफॉल्ट सर्च इंजन उसका ही हो।

स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बचाना जरूरी

करीब 20 साल पहले इसी तरह का मुकदमा सरकार ने माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ किया था और इस नए मुकदमे को ग्राहकों के हित के लिए बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि यह मामला जमीनी स्तर पर प्रतिस्पर्धा को बचाने के लिए सरकार द्वारा उठाया गया जरूरी कदम है।

सर्च इंजन पर कब्जा

गूगल की मालिक कंपनी का नाम अल्फाबेट इंक है और जब कभी भी इंटरनेट का जिक्र होता है तो गूगल का ही नाम आता है। अब तो गूगल इन्टरनेट सर्च का पर्याय बन गया है। सर्च इंजन के रूप में गूगल ही सबसे एक्टिव भी है। जब भी यूजर गूगल के जरिये से कोई ऑनलाइन सर्च करते हैं तो इसका फायदा गूगल को होता है। सर्च इंजन के रूप में गूगल को हर साल साल अरबों डॉलर का मुनाफा होता है।

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एकाधिकार को चुनौती

गूगल का कारोबार इतना सफल है कि 2019 में उसकी कमाई 162 अरब डॉलर थी। गूगल की मूल कंपनी एल्फाबेट इंक का बाजार मूल्य 1,000 अरब डॉलर से अधिक है।

ट्रम्प का चुनावी वादा

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले अमेरिकी न्याय विभाग द्वारा दायर मुकदमे को राजनीतिक चाल कहा जा रहा है। कुछ विशेषज्ञ यह कदम राष्ट्रपति ट्रंप के राजनीतिक चुनावी वादों का भी हिस्सा कह रहे हैं, क्योंकि वे पहले बार-बार कह चुके हैं वे बड़ी कंपनियों को जवाबदेह ठहराएंगे।

क्या होगा अंजाम

एंटीट्रस्ट कानून के तहत दायर मुकदमे में गूगल पर लगाम कसने और गूगल के अब तक के व्यवहार के खिलाफ उपाय करने की मांग शामिल है। गूगल की हरकतों के खिलाफ समाधान के तहत जुर्माना ठोंका जा सकता है या कंपनी में विनिवेश को लागू कराया जा सकता है या कंपनी के कामकाज में बदलाव लागू कराया जा सकता है।या ये सभी उपाए लागू किय जा सकते हैं।

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तब गूगल को हुआ था फायदा

जब अमेरिकी सरकार की माइक्रोसॉफ्ट के खिलाफ एंटी ट्रस्ट कार्रवाई के बाद टेक्नोलॉजी उद्योग का चेहरा बदल गया और इसका फायदा गूगल को मिला। अब गूगल उसी कटघरे में है।

जिस तरह अब अमेरिका में गूगल के खिलाफ मुकदमा दायर किया गया है, उसी तरह पिछले समय विदेश में कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की गई थी। 2019 में यूरोपीय संघ ने विभिन्न वेबसाइटों के माध्यम से अपने प्रतिद्वंद्वियों को विज्ञापन देने वाली कंपनियों की खोज में बाधा डालने के लिए गूगल पर जुर्माना लगाया था।

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