ऑनलाइन गेमिंगः सिनेमा के मुकाबले बहुत बड़ा है कारोबार, बच्चों में लोकप्रिय
भारत सरकार ने लोकप्रिय गेमिंग ऐप पबजी पर बैन लगा दिया है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चे-बच्चे की जुबान पर इसका नाम है।
नई दिल्ली: भारत सरकार ने लोकप्रिय गेमिंग ऐप पबजी पर बैन लगा दिया है। इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बच्चे-बच्चे की जुबान पर इसका नाम है। कई लोग तो पबजी को करियर बनाने की बात भी करते हैं। इसके चर्चा में आने के बाद कई लोगों का ध्यान ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री की तरफ गया है, जो हर साल तेजी से आगे बढ़ती जा रही है। धीरे-धीरे अब यह अरबों रुपये वाली इंडस्ट्री बन गई है।
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ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के बढ़ने की रफ्तार मनोरंजन के पारंपरिक साधनों को पीछे छोड़ चुकी है। साल 2019 में पूरी दुनिया में बॉक्स ऑफिस का रेवेन्यू 43 बिलियन डॉलर और रिकॉर्डेड म्यूजिक का रेवेन्यू 19 बिलियन डॉलर रहा था। इसकी तुलना में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री ने 152.1 बिलियन डॉलर का रेवेन्यू हासिल किया, जो पहले दो से कई गुना ज्यादा है। अगले दो सालों यानी 2022 तक इसके बढ़कर 196 बिलियन डॉलर होने का अनुमान है।
अमेरिका-चीन सबसे आगे
ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करने के मामले अमेरिका और चीन के यूजर्स के सबसे आगे हैं। 2019 में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री को मिले कुल रेवेन्यू का 48 फीसदी हिस्सा इन दोनों देशों से आया था। अमेरिकी यूजर्स ने ऑनलाइन गेमिंग पर पिछले साल जहां 36.9 बिलियन डॉलर खर्च किए, वहीं चीन में यह रकम 36.5 बिलियन डॉलर रही। चीन को छोड़कर एशिया प्रशांत के बाकी देशों ने ऑनलाइन गेमिंग पर 35.7 बिलियन डॉलर खर्च किए।
भारत में गेमिंग इंडस्ट्री
चीन और अमेरिका समेत दूसरे देशों की तरह भारत में ऑनलाइन गेमिंग रफ्तार भर रही है। इस इंडस्ट्री के सालाना 41 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान है। 2014-20 के बीच भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री में 350 मिलियन डॉलर का निवेश हुआ है। अनुमान है कि 2024 तक भारत में यह इंडस्ट्री बढ़कर 3,750 मिलियन डॉलर की हो जाएगी। भारत में गेमिंग पर औसतन खर्च दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रहा है।
प्रति यूजर तेजी से बढ़ रहा खर्च
ऑनलाइन गेमिंग पर खर्च करने वाले प्रति मोबाइल गेमर के आंकड़ों के जरिये समझा जाए तो 2018 में चीन और अमेरिका में प्रति गेमर 112-112 डॉलर खर्च कर रहे थे। 2020 में यह खर्च बढ़कर क्रमश: 115 और 113 डॉलर हुआ है। वहीं इसकी तुलना भारत से की जाए तो यहां 2018 में गेमिंग पर खर्च करने वाला प्रत्येक गेमर 13 डॉलर खर्च कर रहा था, जो 2020 में बढ़कर 23 डॉलर (लगभग 75 प्रतिशत इजाफा) कर रहा है।
विकास की संभावनाएं
इसके अलावा एक और बात जो ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को भारत की तरफ आकर्षित करती है वो यहां विकास की बेहिसाब संभावनाएं हैं। भारत में अभी तक 8 प्रतिशत यूजर ही ऑनलाइन गेमिंग करते हैं। ऐसे में कंपनियों के लिए 92 प्रतिशत यूजर्स को आकर्षित करने के तमाम मौके मौजूद होंगे। इसकी तुलना में चीन में लगभग 24 प्रतिशत, जापान में 21.5 प्रतिशत, दक्षिण कोरिया में 20.7 प्रतिशत और अमेरिका में 20.4 प्रतिशत यूजर इस इंडस्ट्री से जुड़ चुके हैं।
ऑनलाइन गेमिग इन इंडिया शीषर्क रिपोर्ट के अनुसार तो 2021 तक 20 फीसदी की तेजी से बढ़ने वाले इस सेक्टर में केवल भारत का कोरोबार 1 अरब डॉलर के करीब होगा। इस रिपोर्ट के मुतिबक ऑनलाइन गेम सर्च करने वालों की संख्या में 117 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। सरकार की ओर से लगातार चाइनीज एप को बैन किया जा रहा है जिसके चलते भारतीय गेमिंग एप डेवलप करने वाले कंपनियों के पास नए विकल्प खुले हैं। विंजो गेम्स की को-फाउंड सौम्या सिंह राठौक के मुताबिक लॉकडाउन के पहले फेज मे ही उनकी कंपनी ने 35 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की थी।
लोगों को लगता है कि ऑनलाइन गेम खेलने वाले लोग केवल टीनएजर्स होते है जबकि ऐसा नहीं है, हर उम्र के लोग ऑनलाइन गेम में दिलचस्पी दिखाते हैं। ऑनलाइन गेम पर समय बिताने वाले लोगों में सबसे ज्यादा 25 से 34 साल की उम्र के लोग हैं। वहीं 64 साल की उम्र के लोग भी ऑनलाइन गेम खेलते है, हालाकिं इनकी संख्या केवल 3 फीसदी है।
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बढ़िया कमाई करते हैं ऑनलाइन गेमर्स
गेमिंग रिसर्च कंपनी सुपरडेटा के मुताबिक, एक गेमर औसतन महीने का 112 डॉलर या 8,000 रुपये गेम पर खर्च करता है। जहां तक मोबाइल गेमिंग का सवाल है, तो पबजी मोबाइल मई, 2020 का सबसे ज़्यादा कमाई करने वाला गेम था। सेन्सर टावर की रिपोर्ट के मुताबिक, पबजी मोबाइल ने इस साल मई में दुनियाभर से करीब 226 मिलियन डॉलर या 16 अरब रुपये कमाए। मगर सिर्फ वीडियो गेम कंपनियां ही नहीं हैं, जो गेम के जरिए पैसा कमाने में पड़ी हैं। गेम पर पैसा खर्च करने वाले गेमर्स भी पैसा कमाते हैं। कुछ गेमर्स ने तो गेम खेलने को ही रोजगार का जरिया बना रखा है। मतलब कि गेम खेलना ही फुल टाइम जॉब है। इनको प्रोफेशनल गेमर्स कहा जाता है।
गेमिंग टूर्नामेंट
जैसे हर तरह के स्पोर्ट्स टूर्नामेंट होते रहते हैं, वैसे ही दुनियाभर में गेमिंग टूर्नामेंट भी होते हैं। ये टूर्नामेंट गेमिंग कंपनियां ही ऑर्गनाइज़ करती हैं और यहां पर प्राइज़ मनी में लाखों-करोड़ों रुपये होते हैं। ऑफिस में काम करके जितना लोग 10 साल में कमाते हैं, उससे ज़्यादा तो गेमिंग टूर्नामेंट का विजेता एक बार में कमा ले जाता है। ये बड़ी-बड़ी लीग के अलावा कुछ छोटे-मोटे टूर्नामेंट भी हुआ करते हैं। इनमें हिस्सा लेने के लिए पैसे देने पड़ते हैं और जीतने वाला इनाम ले जाता है। इन टूर्नामेंट्स को स्पोंसरशिप भी मिलती है।
ब्रांड डील
जैसे बढ़िया क्रिकेटर और फुटबॉल प्लेयर को ब्रांड अप्रोच करते हैं, वैसे ही बढ़िया वीडियो गेम प्लेयर के पास भी ब्रांड डील आती हैं। अगर आप स्पोर्ट्स टूर्नामेंट में आगे की स्टेज तक पहुंचे हैं, तो आप ब्रांड की नज़र में आ जाते हैं। इनमें ज्यादातर गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़ी कंपनियां होती हैं या फिर लैपटॉप, कंप्यूटर, स्मार्टफोन वग़ैरह बनाने वाली कंपनियां। कुछ वक्त पहले आसुस ने अजय नागर उर्फ़ कैरी मिनाटी के साथ फ़ोन के लॉन्च पर डील की थी। कुछ कंपनियां तो अच्छी-खासी स्पॉन्सरशिप तक देती हैं, जिसमें वो गेमर के गेमिंग सेटअप या गेमिंग डिवाइस का खर्च उठाती हैं।
वीडियो गेम स्ट्रीमिंग
गेम खेलने में जैसा मज़ा आता है कुछ वैसा ही मज़ा दूसरे को गेम खेलते हुए देखने का भी होता है। लाग कमेन्ट करते हैं, सलाहें देते हैं। ऑनलाइन गेमिंग में इसी चीज़ का रोल स्ट्रीमिंग अदा करती है। वीडियो गेम की स्ट्रीमिंग काफ़ी पॉपुलर है। यहां गेमर्स यूट्यूब या ट्विच जैसे प्लेटफॉर्म पर अपने गेम को लाइव चलाते हैं। साथ में वीडियो फ़ीड भी सामने रखते हैं। यानी स्ट्रीमिंग देखने वाले को गेम तो दिख ही रहा है, साथ ही साथ गेम खेलने वाले की आवाज और चेहरा भी दिखता है।
लोग चैट के जरिए गेमर से बात भी करती है। यूट्यूब की लाइव स्ट्रीमिंग में एक फीचर है सुपर चैट। आप यहां पर स्ट्रीम करने वाले को सीधे रुपये देकर साथ में एक मैसेज लिखकर भेज सकते हैं। ये मैसेज आम कमेन्ट के बीच में नहीं जाता, बल्कि हाइलाइट होकर स्ट्रीमर के वीडियो के ऊपर पिन हो जाता है। ये कमाई का बड़ा जरिया है। प्ले स्टेशन पर हजारों गेमर्स लाइव स्ट्रीम करते हैं जिनके व्यूज लाखों में होते हैं। सुपर डेटा की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्ट्रीमिंग देखने वाले लोग महीने में करीब 29 डॉलर या 2,000 रुपये गेमर्स को डोनेट करते हैं।
विज्ञापन से कमाई
स्ट्रीमिंग के अलावा कई गेमर्स अपने गेमिंग सेशन को रिकॉर्ड करके यूट्यूब, फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम के आईजीटीवी पर अपलोड करते हैं। कभी पूरा का पूरा गेम प्ले कमेंट्री के साथ पड़ा होता है, तो कभी बढ़िया मोमेंट को कम्पाइल करके डालते हैं। कुछ गेमर्स तो गेम से रिलेटेड टिप्स और ट्रिक पर भी वीडियो बनाकर डालते हैं। यहां से मिलते हैं व्यू और इसी के साथ आती है विज्ञापन से कमाई। यानी वो पैसा, जो इनके वीडियो पर ऐड चलने से आता है. ये वैसे ही है जैसे बाकी यूट्यूबर्स करते हैं।
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मेम्बरशिप
ट्विच और यूट्यूब पर गेमर्स अपना एक अलग वीआईपी सेक्शन बनाकर रखते हैं। यही गेमर की हार्डकोर कम्युनिटी होती है। इसमें शामिल होने के लिए लोगों को पैसे देने पड़ते हैं। इनमें पैसे के हिसाब से अलग-अलग लेवल होते हैं। मेम्बर्स उस कॉन्टेन्ट को देख सकते हैं, जो बाक़ी सब्सक्राइबर नहीं देख सकते। इन लेवल में स्पेशल स्ट्रीमिंग और चैट से लेकर वीडियो कॉलिंग और वॉट्सऐप तक का एक्सेस मिलता है।
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