अनूप ओझा
गल भुजंग भस्म अंग शँकर अनुरागी
सदगुरु चरणार्बिन्दु शिव समाधि लागी
तीन नयन अमृत भरे,गले मुण्डमाला
रहत नगन फिरत मगन,संग गौरी बाला
शिव की अराधना के लिए उनके रंग रूप और उनके स्वभाव के बारे में सदियों से तरह तरह के गीत गा कर शिवअनुरागी भोले को रिझाने की कोशिश करते है। सावन माह में तो प्रात: काल से ही शिव अराधना और स्तुतियों के गीत कानो में सुनायी पड़ते हैं। भोले नाथ के नाना रूपों का वर्णन गीतों के माध्यम से भक्तों द्वारा प्रस्तुत किया जाता रहा है।
courtesy: धर्मसम्राट स्वामी करपात्री
अवढरदानी आशुतोष और भोला भण्ड़ारी जैसे हजारों नामों से भक्तों के दिलों में राज करने वाले महादेव के एक ऐसे ही स्वरूप को यहां हम आपको बताने जा रहें है कि भोले नाथ को किन किन चीजों से इतना लगाव था जो उन चीजों का नाम लेते ही भगवान शिव की छवि स्वत: ही उभर जाती है।
भोले नाथ अपने गले में विषयुक्त सांपों को धारण करतें है।संसार की समस्त बुराइयों का विष वमन करने की असाधारण शक्ति शिव के इस रूप का वर्णन करती है। योग संस्कृति में, सर्प यानी सांप कुंडलिनी का प्रतीक है। शिव के इस रूप को देख कर उनके भक्त सम्मोहित हो जाते है।
श्मशान की भस्म धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढ़ालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है। यह शरीर अंत में पंचतत्वों में मिल जाता है।
भोले नाथ् को त्रिनेत्रधारी भी कहा गया है।कथाएं तो इसतरह की भी हैं उनका यह एक नेत्र सदैव बंद रहता है लेकिन जब कभी खुला तो सृष्टि में प्रलय आ गया।
शिव अपने गले में मुण्डमाला धरण करतें है।कथा इस प्रकार है कि एक बार माता सती जिद करने लगीं कि प्रभु गले में जो मुंड की माला है उसका रहस्य क्या है। टालमटोल करने पर भ जब माता सती न मानी तो भगवान शिव ने राज खोल ही दिया। शिव ने पार्वती से कहा कि इस मुंड की माला में जितने भी मुंड यानी सिर हैं वह सभी आपके हैं।यह आपका 108 वां जन्म है और सह सब आपके पूर्वजन्मों की निशानी है।
शिव भस्म धारण कर सदैव नग्न अवस्था में विचरण करते रहते है। कभी बाघम्बरी लपेटे तीनों लोको में विचरण करते हैं। शिव को आदर के साथ दिगम्बर भी कहा जाता जाता है।
भंग का प्याला पी कर शिव नृत्य करते मगन हो जाते है। उनके इस छवि को निहारते उनके भी वेसुध हो कर शिव की भक्ति में लीन रहतें है। तीनों लोकों में मगन हो विचरण करने वाले भोले नाथ को अपनी मस्ती में सदैव मस्त रह कर भक्तों का उद्धार करतें है ऐसी मान्यता है।।
भोले नाथ के साथ गौरी विहार करती रहतीं है। शिव प्रतिक्षण माता पार्वती को अपने संग लिये ब्रम्हाण्ड में विचरण करते रहतें है और भक्तों को आर्शिवाद प्रदान करते है।