Goa Uniform Civil Code: गोवा में तो लागू है समान नागरिक संहिता, फिर क्या है दिक्कत की वजह

Goa Uniform Civil Code: 1961 में गोवा की आज़ादी और भारत में उसके विलय के बाद भी यह व्यवस्था जस की तस लागू रही है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2022-10-30 15:04 IST

Goa Uniform civil code (photo: social media)

Goa Uniform civil code: गुजरात चुनाव के मद्देनज़र जब सामान नागरिक संहिता की बात उठी तो मानो कोहराम मच गया है। ऐसे में Newstrack समान नागरिक संहिता और भारतीय जनता पार्टी के मंसूबों पर एक सीरिज़ लेकर आया है। पेश है भारत के एक राज्य गोवा में लागू समान नागरिक संहिता के बावजूद कोई दिक़्क़त क्यों नहीं है…..

देश में इन दिनों सामान नागरिक संहिता या कॉमन सिविल कोड का मुद्दा फिर गर्माया हुआ है। भले ही देश के बाकी हिस्सों में कॉमन सिविल कोड सिर्फ चर्चा का विषय हो । लेकिन एक राज्य ऐसा है जहाँ कॉमन सिविल कोड की व्यवस्था दशकों से लागू है। यह राज्य है गोवा। इस राज्य में 'गोवा फॅमिली लॉ' की व्यवस्था लागू है जो नागरिक कानूनों का एक समूह है जो राज्य के सभी निवासियों को उनके धर्म और जातीयता के बावजूद नियंत्रित करता है।

गोवा में जब पुर्तगाली शासन था, तब वहां पुर्तगाली सिविल कोड लागू किया गया। यह वर्ष 1867 की बात है। तब तक भारत में ब्रिटिश राज में भी सिविल कोड नहीं बनाया गया था, परन्तु पुर्तगाल सरकार ने अपने कॉलोनी यानी उपनिवेश में ऐसा कर दिया। 1961 में गोवा की आज़ादी और भारत में उसके विलय के बाद भी यह व्यवस्था जस की तस लागू रही है।

शादी का रजिस्ट्रेशन सिविल अथॉरिटी के पास 

इस कानून के अंतर्गत शादी का रजिस्ट्रेशन सिविल अथॉरिटी के पास कराना आवश्यक है। इसके अंतर्गत अगर तलाक होता है तो महिला भी पति की हर संपत्ति में आधी की हकदार है। इसके अतिरिक्त अभिभावकों को अपनी कम से कम आधी संपत्ति का मालिक अपने बच्चों को बनाना होगा, जिसमें बेटियां भी शामिल होंगी। इस यूनिफॉर्म सिविल कोड में मुस्लमों को बहुविवाह की अनुमति नहीं दी गई है ।परन्तु हिंदुओं को विशेष परिस्थिति में इसकी छूट दी गई है। अगर किसी हिंदू की पत्नी 21 वर्ष की उम्र तक किसी बच्चे को जन्म नहीं देती है या फिर 30 की उम्र तक लड़के को जन्म नहीं देती है तो उसका पति दूसरा विवाह कर सकता है। मुस्लिमों को मौखिक तानी तीन तलाक की अनुमति भी इस कानून में नहीं है।

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